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Reading: Mauni Amavasya 2023: मौन रहकर कमजोर मन पर काबू पाने की परंपरा ‘मौनी अमावस्या’
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WeStory > अन्‍य > Mauni Amavasya 2023: मौन रहकर कमजोर मन पर काबू पाने की परंपरा ‘मौनी अमावस्या’
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Mauni Amavasya 2023: मौन रहकर कमजोर मन पर काबू पाने की परंपरा ‘मौनी अमावस्या’

WeStory Editorial Team
Last updated: 2024/01/03 at 4:00 PM
WeStory Editorial Team
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8 Min Read
Mauni Amavasya 2023
Mauni Amavasya 2023
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Mauni Amavasya 2023: कठोर शब्दों से बचें, भगवान विष्णु पूजा से खुलता मोक्ष का मार्ग

Mauni Amavasya 2023: क्या आपको पता है, साल 2024 यानी इस साल मौनी अमावस्या 9 फरवरी 2024 को मनाई जाएगी। मौनी अमावस्या के दिन उपवास करना शुभ माना जाता है। इस दिन मान्यतानुसार ऋषि-मुनि मौन व्रत भी रखते हैं। शास्त्रों के अनुसार चंद्रदेव आत्मा के देवता हैं। अमावस्या के दिन चंद्रमा दिखाई नहीं देता है इसलिए व्यक्ति की मानसिक स्थिति ख़राब होने लगती है। इसलिए इस दिन मौन रहकर कमजोर मन पर काबू पाने की परंपरा है। पौराणिक कथा के अनुसार, इस दिन व्यक्ति को उपवास करना चाहिए। इस दिन ऋषि की तरह मौन रहने से भी अच्छे परिणाम मिलते हैं। इस दिन कठोर शब्दों से बचना चाहिए। मौनी अमावस्या के दिन भगवान विष्णु और शिव की पूजा से मोक्ष का मार्ग खुलता है। जो व्यक्ति मौन रहकर व्रत समाप्त करता है उसे मुनि पद की प्राप्ति होती है।

Table of Contents
Mauni Amavasya 2023: कठोर शब्दों से बचें, भगवान विष्णु पूजा से खुलता मोक्ष का मार्गपवित्र नदियों में करें स्नान तिथि व शुभ मुहूर्तये चीजें करें दान12 होती हैं अमावस्याएंमनु ऋषि का हुआ था जन्म हुआसभी  तिथियों में सर्वश्रेष्ठसंगम में स्नान का विशेष महत्वपूजा विधिरविवार को होने का महत्व

पवित्र नदियों में करें स्नान

इस दिन सुबह पवित्र नदियों का स्नान करना शुभ माना जाता है। जो लोग नदी का स्नान करने में असमर्थ होते हैं वे बाल्टी में पवित्र नदियों का पानी मिलाकर नहा सकते हैं। स्नान के पश्चात स्वच्छ वस्त्र धारण किए जाते हैं। माघ मास के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली अमावस्या को मौनी अमावस्या या माघ अमावस्या कहा जाता है। इस दिन गंगा, यमुना या अन्य पवित्र नदियों, जलाशय अथवा कुंड में स्नान करना चाहिए। इस दिन दान-पुण्य का विशेष महत्व है। ज्योतिष विशेषज्ञों के अनुसार साल 2024 में 9 फरवरी, शुक्रवार सुबह 8 बजकर 2 मिनट से मौनी अमावस्या की तिथि शुरू हो रही है जो अगले दिन 10 फरवरी, शनिवार सुबह 4 बजकर 28 मिनट पर समाप्त होगी। इस चलते 9 फरवरी के दिन ही मौनी अमावस्या मनाई जाएगी। इस दिन भगवान शिव और भगवान विष्णु की पूजा की जाती है।

 तिथि व शुभ मुहूर्त

मौनी अमावस्या शुक्रवार, फरवरी 9, 2024 को
अमावस्या तिथि प्रारम्भ – फरवरी 09, 2024 को 08:02 एएम बजे
अमावस्या तिथि समाप्त – फरवरी 10, 2024 को 04:28 एएम बजे

ये चीजें करें दान

अमावस्या के दिन तिल, तिल के लड्डू, तिल का तेल, वस्त्र और आंवला दान में देना शुभ माना जाता है। इस दिन पितरों को अर्घ्य दिया जाता है और पितृ तर्पण करना शुभ होता है।

12 होती हैं अमावस्याएं

साल में 12 अमावस्याएं होती हैं। मान्यता है कि इस दिन का पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिए विशेष महत्व होता है क्योंकि यह दिन तर्पण, स्नान, दान आदि के लिए बहुत पुण्य और फलदायी होता है। अमावस्या की तिथि को ही सूर्य पर ग्रहण लगता है। यह तिथि कालसर्प दोष से पीड़ित जातक की मुक्ति के उपाय के लिए भी असरदार मानी जाती है। यह दिन शुभ व अशुभ भी हो सकता है। अमावस्या से शुरू होने वाले पक्ष को शुक्ल पक्ष कहा जाता है। वहीं माघ के महीने में आने वाली अमावस्या को मौनी अमावस्या के नाम से जाना जाता है, जो बहुत शुभ और मंगलकारी होता है।

मनु ऋषि का हुआ था जन्म हुआ

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, मौनी अमावस्या के दिन मनु ऋषि का जन्म हुआ था। मनु शब्द से ही मौनी की उत्पत्ति हुई थी इसलिए कहा जाता है कि इस दिन मौन व्रत करने से मुनि पद की प्राप्ति होती है। इस तिथि पर मौन धारण कर मुनियों के समान आचरण करते हुए स्‍नान करना चाहिए। यही कारण है कि माघ मास के कृष्‍ण पक्ष की अमावस्‍या तिथि मौनी अमावस्‍या कहलाती है।

सभी  तिथियों में सर्वश्रेष्ठ

सभी अमावस्या तिथियों में मौनी अमावस्या को सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। शास्त्रों में मौनी अमावस्‍या के दिन प्रयागराज के संगम में स्‍नान का विशेष महत्‍व बताया गया है। इस दिन यहां देव और पितरों का संगम होता है। शास्‍त्रों के मुताबिक, माघ मास में देवता प्रयागराज आकर अदृश्‍य रूप से संगम में स्‍नान करते हैं। इस दिन पितर पितृलोक से संगम में स्‍नान करने आते हैं। इस तरह देवता और पितरों का इस दिन संगम होता है। मान्यता है कि माघ मास में देवता पृथ्वी पर निवास करते हैं। इस दौरान गंगा में डुबकी लगाने से व्यक्ति पाप मुक्त होकर स्वर्ग की प्राप्ति होती है।

संगम में स्नान का विशेष महत्व

मौनी अमावस्या सर्वोत्तम अमावस्या तिथि है। शास्त्रों में मौनी अमावस्या के दिन प्रयागराज के संगम में स्नान का विशेष महत्व बताया गया है। इस दिन देवता और पितर यहां एकत्रित होते हैं। शास्त्रों के अनुसार माघ माह में देवतागण प्रयागराज आते हैं और अदृश्य रूप से संगम में स्नान करते हैं। इस दिन पितर लोक के पूर्वज संगम में स्नान करने आते हैं। इसलिए इस दिन देव और पितरों का मिलन होता है। मौनी अमावस्या के दिन गंगा स्नान का बहुत महत्व है। इस दिन देवता और पितर एक साथ मिलकर गंगा में स्नान करने धरती पर आते हैं। इस कारण इस दिन गंगा स्नान करने से देवता और पितर दोनों का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

पूजा विधि

मौनी अमावस्या के दिन सुबह जागने के बाद नित्यकर्म से निवृत्त होने के बाद स्नान करना चाहिए। स्नान करने के बाद तिल, तिल के लड्डू, तिल का तेल, आंवला, वस्त्र आदि का दान करना चाहिए। माघ मास में कड़ाके की ठंड होती है, इसलिए इस दिन साधु-संतों, महात्माओं और ब्राह्मणों के लिए अग्नि प्रज्वलित करनी चाहिए । उन्हें कंबल आदि जाड़े के वस्त्र देने चाहिए। इस दिन ब्राह्मणों को काला तिल देना चाहिए। गुड़ में काला तिल मिलाकर लड्डू बनाकर ब्राह्मणों को देना काफी अच्छा माना जाता है। इस दिन ब्राह्मणों को भोजन कराने के साथ ही उन्हें अपनी सामर्थ्य के अनुसार दक्षिणा अवश्य देनी चाहिए। मौनी अमावस्या पर स्नान, दान आदि पुण्यकर्मों के अतिरिक्त पितृ श्राद्ध आदि करने का भी विधान है। इस दिन पितरों को अर्घ्य और उनके नाम से दान करने से पितृ तर्पण का फल प्राप्त होता है।

रविवार को होने का महत्व

ऐसी मान्यता है कि यदि मौनी अमावस्या रविवार, व्यतिपात योग और श्रवण नक्षत्र में हो, तो इस योग में सभी स्थानों का जल गंगातुल्य हो जाता है और सभी ब्राह्मण ब्रह्मसंनिभ शुद्धात्मा हो जाते हैं। अतः इस योग में किए हुए स्नान, दान आदि का फल भी मेरु पर्वत के समान हो जाता है।

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