Monsoon Disease- जलजमाव वाले शहरों में बढ़ रह हैं मामले
Monsoon Disease: मुंबई देश के कई बड़े और छोटे शहरों में आमतौर पर मानसून में कई बीमारियां बढ़ जाती हैं। मुंबई नगर निगम की रिपोर्ट के मुताबिक शहर में कई बीमारियों जैसे डेंगू, मलेरिया, लेप्टोस्पायरोसिस और स्वाइन फ्लू आदि जैसे मामले बढ़े हैं। इसके चलते अस्पताल में भर्ती होने वालों की भी संख्या बढ़ रही है। हालांकि, मुंबई में यह कोई पहली बार नहीं है, बल्कि पिछले साल भी लोग इस स्थिति का सामना कर चुके हैं। राज्य में इन दिनों बरसात के दौरान और बरसात के बाद जलजमान वाले इलाकों में लेप्टोस्पायरोसिस के मामले बढ़ जाते हैं।
रिपोर्ट्स के मुताबिक बारिश आने के बाद से ही मुंबई में इन बीमारियों ने तेजी से पैर पसारना शुरु कर दिया है। जिसके चलते शहर में अबतक कुल 1300 से भी ज्यादा मरीजों की पुष्टि हो चुकी है। शहर में डेंगू के 166, गैस्ट्रोएंटेरेटाइटिस के 694, मलेरिया के 282 और 53 मामले स्वाइन फ्लू के भी देखे गए हैं। वहीं, सैकड़ों मरीज लेप्टोस्पायरोसिस के भी शिकार हुए हैं। इन मरीजों की संख्या महज 15 दिनों के भीतर तेजी से बढ़ी है।

सावधानियां बरतना जरूरी
Monsoon के दौरान कई बीमारियां पानी के माध्यम से फैलती हैं और समय पर निदान और उपचार बहुत महत्वपूर्ण है। मानसून के दौरान जल जमाव से बचा नहीं जा सकता है, और सीवेज से दूषित पानी के संपर्क में आना भी संभव है। इसलिए Monsoon के दौरान सुरक्षित रहने के लिए सावधानियां बरतना जरूरी है। सिर्फ पानी से हाथ-पैर धोना ही काफी नहीं है। हाथ-पैर धोने के लिए 15 भाग शुद्ध पानी में एक भाग एंटीसेप्टिक डिसइंफेक्टेंट लिक्विड मिलाना जरूरी होता है, ताकि संक्रमण से बचा जा सके। इन दिनों जलजमान वाले इलाकों में लेप्टोस्पायरोसिस बीमारी होने के मामले बढ़ रहे है।
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इंसानों और जानवरों दोनों होते हैं संक्रमित
लेप्टोस्पायरोसिस एक तरह का बैक्टीरियल इन्फेक्शन है, जो इंसानों और जानवरों दोनों को संक्रमित कर सकता है। लेप्टोस्पायरोसिस एक जीवाणु संक्रमण है जो जानवरों के मूत्र और मल के माध्यम से फैलता है जो मिट्टी, पानी और पौधों को दूषित करता है। इस संक्रमण का कारण बनने वाले जीवाणु को लेप्टोस्पाइरा कहा जाता है। संक्रमण जानवरों (या तो आवारा या घरेलू) जैसे चूहों, कुत्तों, घोड़ों, सूअरों या गायों के माध्यम से फैल सकता है। यह लेप्टोस्पाइरा जीनस (genus) के बैक्टीरिया के कारण होता है। इंसानों में लेप्टोस्पाइरा के कई तरह के लक्षण देखने को मिलते हैं। जिनमें से कई अन्य बीमारियों के लक्षणों से मिलते हैं। इसके अलावा कई मरीजों में इसका एक भी लक्षण नजर नहीं आता।

दूषित पानी के संपर्क में आने से होता है
लेप्टोस्पायरोसिस कोई मामूली बीमारी नहीं है, इसका समय पर इलाज न होने से किडनी डैमेज, लिवर फेल, सांस संबंधी समस्या और यहां तक कि मौत भी हो सकती है। लेप्टोस्पाइरा से संक्रमित जानवर पानी या मिट्टी को प्रदूषित करते हैं, जिससे बैक्टीरिया अन्य जानवरों या मनुष्यों में फैल सकता है। लेप्टोस्पायरोसिस सीवेज जैसे दूषित पानी के संपर्क में आने से होता है। Monsoon के दौरान इन प्रकोपों की घटनाएं बढ़ जाती हैं, क्योंकि जल निकासी लाइनों के लीक होने से सड़कों पर पानी भर जाता है, जिसके परिणामस्वरूप बीमारी का खतरा बढ़ जाता है। व्यक्ति के इस संक्रमण के संपर्क में आने और बीमार होने के बीच का समय 2 दिन से 4 सप्ताह तक हो सकता है।
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अचानक शुरू होते हैं लक्षण
बीमारी आमतौर पर बुखार और अन्य लक्षणों के साथ अचानक शुरू होती है। हालांकि, कुछ मामलों में लेप्टोस्पायरोसिस दो चरणों में हो सकता है। पहले चरण के बाद (बुखार, ठंड लगना, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, उल्टी या दस्त के साथ) रोगी कुछ समय के लिए ठीक हो सकता है, लेकिन फिर बीमार हो जाता है। जबकि दूसरे चरण में यह लक्षण बेहद गंभीर हो जाते हैं; वहीं, कुछ लोगों में किडनी या लिवर फेलियर हो सकता है। यह बीमारी कुछ दिनों से लेकर 3 सप्ताह या उससे अधिक समय तक रह सकती है।
अगर सही इलाज न मिले, तो ठीक होने में कई महीने लग सकते हैं। लेप्टोस्पायरोसिस के लक्षण हर व्यक्ति में अलग-अलग हो सकते हैं। लेप्टोस्पायरोसिस के सामान्य लक्षण बुखार, सिरदर्द, शरीर पर दाने, उल्टी और पेट दर्द हैं। निर्धारित एंटीबायोटिक दवाओं के साथ शीघ्र उपचार इन लक्षणों को प्रभावी ढंग से नियंत्रित कर सकता है। लेकिन सीडीसी लक्षणों की सावधानीपूर्वक निगरानी करने की सलाह देता है, और यदि इलाज नहीं किया जाता है, तो आंतरिक रक्तस्राव से अंग विफलता हो सकती है।

खतरे को कम करने के उपाय
– मानसून के दौरान खासकर जलजमाव वाले इलाकों में लेप्टोस्पायरोसिस से बचाव के लिए सावधानी बरतना बहुत जरूरी है। संक्रमण से बचने का सबसे अच्छा तरीका है कि जलजमाव वाले इलाकों से दूर रहें।
– रुके हुए पानी में बड़ी मात्रा में बैक्टीरिया होते हैं, इसलिए ऐसी जगहों पर चलने से बचें।
– बरसात के मौसम में बाहर जाते समय सुरक्षात्मक कपड़े जैसे लंबी पैंट, बंद जूते, विशेष रूप से रबर के जूते पहनें। घाव या खरोंच को जलरोधी पट्टियों से ढकें, ताकि घायल क्षेत्र दूषित पानी या मिट्टी के संपर्क में न आए।
– घर लौटने के बाद, संभावित बैक्टीरिया को हटाने के लिए हाथ और पैर धोएं। सीवेज या संभावित दूषित पानी के संपर्क में आने पर लेप्टोस्पायरोसिस से बचाव के लिए सेवलॉन एंटीसेप्टिक कीटाणुनाशक तरल का उपयोग करें। दूषित पानी के संपर्क में आने वाले हाथों और पैरों पर लेप्टोस्पायरोसिस पैदा करने वाले बैक्टीरिया से 99.9 प्रतिशत सुरक्षा के लिए, एक भाग सेवलॉन एंटीसेप्टिक कीटाणुनाशक तरल को 15 भाग साफ पानी के साथ मिलाएं। स्वच्छता की आदतें और डॉक्टर की सलाह से लेप्टोस्पायरोसिस से बचा सकता है, याद रखें ‘अच्छी स्वच्छता ही अच्छा स्वास्थ्य है’।
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