Cricketers Income: सिर चकरा देगा अरबों का नेटवर्थ
अगर वास्तव में भारतीय क्रिकेटरों की कमाई पर एक नजर डालें तो मौजूदा क्रिकेटरों की कमाई के सामने सचमुच कपिल, गावस्कर, अमरनाथ, वेंगसरकर और विश्वनाथ जैसे क्रिकेटर तो पैसों के मामले में आज के असफल से असफल खिलाड़ी के सामने भी ‘विपन्न’ जैसे नजर आते हैं। आज भले महेंद्र सिंह धोनी रिटायरमेंट ले चुके हैं पर चूंकि वे आज के दौर के खिलाड़ी हैं और अभी भी आईपीएल में उनकी स्मार्टनेस का डंका बजता है।
इसलिए उनकी आज भी सालाना कमाई 35 करोड़ से ऊपर है और उनकी नेटवर्थ की बात की जाए तो यह 900 करोड़ से ऊपर है। एक जमाने में ऐसी हैसियत देश के गिने चुने उद्योपतियों की हुआ करती थी। सिर्फ धोनी ही नहीं जो क्रिकेटर आज सीधे क्रिकेट से या क्रिकेट के विभिन्न व्यवसायों से जुड़े हुए हैं, उनकी कमाई चकाचौंध करने वाली है। पुराने दिग्गज सचिन तेंदुलकर को ही लें।
उनकी नेटवर्थ 17.5 करोड़ डॉलर है जो भारतीय रुपयों में डेढ़ हजार करोड़ रुपये से भी ज्यादा है। अगर विराट कोहली, रोहित शर्मा जैसे खिलाड़ियों की भी मौजूदा कमाई को देखें तो वे उद्योगपतियों के माफिक हैं। दूसरी तरफ ज्यादातर दूसरे भारतीय खिलाड़ियों को आज भी खेलों से इतनी कमाई नहीं होती कि वे जहां भी जाएं 5 सितारा होटलों में रुक सकें और देश के महानगरों के पॉश इलाकों में वैसे ही शानदार घरों में रह सकें जैसे कि भारतीय क्रिकेटर रहते हैं।

सबसे धनी खेल संगठन BCCI
Cricketers Income
Cricketers Income: भारतीय क्रिकेटरों की इस चकाचौंध कर देने वाली कमाई के पीछे बीसीसीआई (भारतीय क्रिकेट नियंत्रण बोर्ड) है। यह दुनिया के सबसे धनी खेल संगठनों में से एक है। आज बीसीसीआई जिसकी स्थापना 4 दिसंबर, 1928 में हुई थी, की सालाना कमाई 2000 करोड़ रुपये से ज्यादा की तो सिर्फ आईसीसी से मिलने वाली हिस्सेदारी की ही है जबकि विज्ञापनों और तमाम तरह के प्रमोशनों के जरिये क्रिकेट का यह संगठन हर साल 5 से 6 हजार करोड़ रुपये की कमाई करता है।
इसके मौजूदा और पूर्व खिलाड़ियों तथा देशभर में हर साल सम्पन्न होने वाली क्रिकेट गतिविधियों में कुल मिलाकर 250 से 300 करोड़ रुपये का ही खर्चा है। जाहिर है हर साल बीसीसीआई के पास हजारों करोड़ रुपये की कमाई एकत्र हो रही है। ऐसे में मौजूदा क्रिकेटरों को अंधाधुंध पैसा मिलना और एक से बढ़कर एक सुविधाएं हासिल होना लाजमी है।
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लोगों की दीवानगी का फायदा क्रिकेटरों को
क्रिकेटरों को बीसीसीआई से मिलने वाली सालाना कॉन्ट्रैक्ट फीस और विभिन्न खेल प्रतियोगिताओं में हिस्सेदारी के चलते हासिल होने वाली फीस के अलावा भी करोड़ों रुपये की कमाई होती है। भारत में क्रिकेट सबसे लोकप्रिय खेल है। हालांकि पिछले कुछ सालों में दूसरे खेल भी लोकप्रिय हुए हैं लेकिन आज भी क्रिकेट को लेकर भारतीय लोगों में जुनून है। क्रिकेट के प्रति लोगों की इस दीवानगी का सीधे-सीधे आर्थिक फायदा क्रिकेटरों को होता है क्योंकि क्रिकेट और क्रिकेटरों की लोकप्रियता के चलते कॉरपोरेट जगत में विज्ञापनों के लिए सबसे ज्यादा क्रिकेटरों की ही मांग है।
देश का हर उद्योग अपने ब्रांड का विज्ञापन क्रिकेटरों के जरिये ही कराना चाहता है। अपनी और अपने खेल की इस लोकप्रियता को खिलाड़ी भी खूब जमकर भुनाते हैं। आम से आम क्रिकेटर को भी छोटे से छोटे विज्ञापन के लिए भी करोड़ों रुपये की धनराशि मिलती है। यह अकारण नहीं है कि देश में हर साल 20 हजार से ज्यादा किशोर अपने आपको क्रिकेट में झोंक देते हैं क्योंकि उन्हें मालूम है कि अगर वे देश के स्तर तक भी नहीं पहुंच पाए तो भी क्रिकेट में आज की तारीख में इतने ज्यादा अवसर हैं कि कहीं न कहीं, किसी न किसी जगह वे फिट हो ही जाएंगे और आज किसी छोटे-मोटे शहरी क्लब से भी जुड़ जाने के बाद एक क्रिकेटर की ग्रेड वन की सैलरी पाने वाले से ज्यादा कमाई होती है।

सीनियर्स की जरा भी परवाह नहीं करते
भारत की पहली विश्व विजेता क्रिकेट टीम के कप्तान कपिल देव ने क्रिकेटरों पर घमंडी होने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा है कि पैसे की चकाचौंध के चलते आज के क्रिकेटर जरा भी सीनियर की परवाह नहीं कर रहे। बार-बार बल्लेबाजी के खराब होने के बावजूद क्रिकेटर अपने आसपास मौजूद सुनील गावस्कर जैसे सीनियर खिलाड़ी से जरा भी कोई सीख या सलाह लेने की कोशिश नहीं करते। ठीक इसी तरह के आरोप मौजूदा क्रिकेटरों पर दिग्गज सुनील गावस्कर भी लगा चुके हैं।
वह भी कह चुके हैं कि आज के खिलाड़ी इतने घमंडी हैं कि आप से किसी भी तरह की राय, सलाह लेनी तो दूर की बात, बात करना तक पसंद नहीं करते। सुनील गावस्कर के मुताबिक भारतीय बल्लेबाजों की चमत्कारिक चौकड़ी जिसमें सचिन, सौरव, द्रविड़ और लक्ष्मण जैसे विश्व विख्यात बल्लेबाज शामिल थे, वे जब भी अपनी बल्लेबाजी में किसी तरह की कोई परेशानी महसूस करते थे तो उनके पास सलाह के लिए आते थे। सचिन तो बार-बार आते थे लेकिन अब क्रिकेटर्स अपने सीनियर्स की जरा भी परवाह नहीं करते।
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25 हजार करोड़ से ज्यादा का टर्नओवर
Cricketers Income: देश में क्रिकेट का सालाना 25 हजार करोड़ से ज्यादा का टर्नओवर है। बिना किसी उद्योग का टैग हासिल किए क्रिकेट का टर्नओवर देश के हजारों उद्योगों से कहीं ज्यादा है। देश में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से 5 लाख से ज्यादा लोगों को क्रिकेट ने रोजगार दे रखा है या इससे उन्हें कमाई हो रही है। सच बात यही है कि क्रिकेट आज की तारीख में भारत का महज खेल नहीं बल्कि जिंदगी का बहुत बड़ा और समृद्ध क्षेत्र बन गया है।
क्रिकेट की एक अपनी दुनिया है। सिर्फ खेल और उसकी लोकप्रियता के मामले में ही नहीं बल्कि इसके सामाजिक, आर्थिक हैसियत के कारण भी हैं। यही वजह है कि आज के क्रिकेटर महज अपने खेल और खेल कौशल पर ही नहीं इतराते बल्कि समाज में अपनी लोकप्रियता, अपनी डिमांड और लोगों में अपनी दीवानगी की वजह से भी ये खुद को विशेष समझते हैं। …तो कहना होगा कि भारतीय क्रिकेटरों में सीनियरों से सम्मान का भाव न रखने की वजह सिर्फ उनकी कमाई नहीं बल्कि समाज में उन्हें मिली लोकप्रियता और लोकप्रियता के चलते होने वाली कमाई भी है।