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Reading: Decline Of The Mughal Empire: ब्रिटिश साम्राज्य का उदय, मुगल साम्राज्य का पतन
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हिंदी न्यूज़

Decline Of The Mughal Empire: ब्रिटिश साम्राज्य का उदय, मुगल साम्राज्य का पतन

30 अप्रैल 1526 ईस्वी में मुगलों ने भारत देश पर अपने मुगल साम्राज्य की स्थापना की थी। बाबर ने भारत में मुगल साम्राज्य की स्थापना की थी वह मुगल साम्राज्य का पहले संस्थापक....

WeStory Editorial Team
Last updated: 2024/02/19 at 5:36 PM
WeStory Editorial Team
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10 Min Read
Decline Of The Mughal Empire
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Decline Of The Mughal Empire: साने की चीड़िया पर आ गया था अंग्रेजों का दिल

Decline Of The Mughal Empire: 30 अप्रैल 1526 ईस्वी में मुगलों ने भारत देश पर अपने मुगल साम्राज्य की स्थापना की थी। बाबर ने भारत में मुगल साम्राज्य की स्थापना की थी वह मुगल साम्राज्य का पहले संस्थापक था। बाबर ने भारत में पानीपत की लड़ाई में लोदी वंश के सुल्तान इब्राहिम लोदी को हराया और दिल्ली की गद्दी पर कब्ज़ा कर लिया। इसके बाद उनका पोता अकबर मुग़ल साम्राज्य का संस्थापक बना। अकबर ने मुग़ल साम्राज्य को विशाल एवं शक्तिशाली बनाया। उन्होंने अपनी सेना को मजबूत करके और राज्य के प्रशासन में सुधार करके भारतीय साम्राज्यों को जीतना शुरू किया।

Table of Contents
Decline Of The Mughal Empire: साने की चीड़िया पर आ गया था अंग्रेजों का दिलईस्ट इंडिया कंपनी ने किया भारत का रुख19 लड़ाकू जहाज, 100 तोपें और 600 नौसैनिक बंगाल रवानामीर जाफर ने की दगाबाजी1857 में हुआ मुगल साम्राज्य का अंत

अकबर ने धार्मिक समझौते किए और हिंदी, फ़ारसी और तुर्की संस्कृतियों को अपने साम्राज्य में शामिल किया। 16वीं सदी में दिल्ली के बादशाह जलालुद्दीन मोहम्मद अकबर दुनिया के सबसे अमीर बादशाहों में से एक थे। तब केवल चीन का मिंग राजवंश ही अकबर की बराबरी करने में सक्षम था। पूरी दुनिया का एक चौथाई माल तब भारत में ही बनता था। वहीं, ब्रिटेन में गृह युद्ध चल रहा था और उसकी अर्थव्यवस्था भी खेती पर आश्रित थी। वहां दुनिया के कुल उत्पादन का सिर्फ तीन फीसदी माल बनता था। पुर्तगाल और स्पेन जैसे देश ब्रिटेन को पीछे छोड़कर व्यापार में आगे निकल गए थे।

Decline Of The Mughal Empire
Decline Of The Mughal Empire

ईस्ट इंडिया कंपनी ने किया भारत का रुख

अपने देश में व्यापार के हालात न देखकर घुमंतू अंग्रेज सर जेम्स लैंस्टर के साथ ब्रिटेन के 200 से भी ज्यादा व्यापारियों ने ईस्ट इंडिया कंपनी के बैनर तले भारत का रुख कर लिया। कई क्षेत्रों की यात्रा के बाद अगस्त 1608 में अंग्रेजों का एक जहाज भारत पहुंचा, नाम था हेक्टर। इसकी अगुवाई कर रहा था अंग्रेज कैप्टन विलियम हॉकिंस। इसने सूरत के बंदरगाह पर लंगर डाला। तब तक अकबर की मौत हो चुकी थी और जहांगीर बादशाह बन चुका था। हालांकि, तब किसको अंदाजा था कि छोटी सी एक कंपनी दुनिया के सबसे रईस देशों में से एक और अपने देश से 20 गुना बड़े देश पर राज करेगी।

हॉकिंस को यहां पहुंचते ही अहसास हो गया कि युद्ध से तो कुछ होने वाला नहीं है, क्योंकि मुगलों की सेना में तब 40 लाख लोग थे। इसलिए व्यापार के लिए जहांगीर की इजाजत और सहायता मांगने के लिए सूरत से चलकर साल भर में मुगलों की राजधानी आगरा पहुंचा। अपनी लाख कोशिशों के बावजूद हॉकिंस जहांगीर को मना नहीं पाया तो ब्रिटेन से सांसद सर थॉमस रो को शाही दूत बनाकर जहांगीर के पास भेजा गया, जो 1615 में पहुंचा।

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लगातार तीन साल की कोशिशों के बाद थॉमस रो को कामयाबी मिल गई। जहांगीर ने कंपनी के साथ एक समझौता कर लिया, जिसके अनुसार ब्रिटेन के व्यापारियों को भारत के हर बंदरगाह के इस्तेमाल और खरीद-बिक्री की अनुमति मिल गई। बदले में उन्होंने भारत को ब्रिटेन में बने सामान देने का वादा किया पर जब वहां कुछ बनता ही नहीं था तो देते क्या?

19 लड़ाकू जहाज, 100 तोपें और 600 नौसैनिक बंगाल रवाना

भारत के दम पर ईस्ट इंडिया कंपनी खूब माल कमा रही थी। यहां के सामान दूसरे देशों में बेचती और भारी मुनाफा कमाती। यह सिलसिला लंबा चला। फिर 1670 में ब्रिटेन के सम्राट चार्ल्स द्वितीय ने कंपनी को युद्ध लड़ने और अपना उपनिवेश बनाने की इजाजत दे दी। फिर क्या था अंग्रेजों ने पहले से ही भारत में आधिपत्य जमाने की कोशिश कर रहे फ्रांसीसियों, पुर्तगालियों और डच लोगों को हराकर बंगाल के तटों को अपने कब्जे में ले लिया।

Decline Of The Mughal Empire
Decline Of The Mughal Empire

अंग्रेजों का मनोबल बढ़ता ही जा रहा था। इसी बीच 1681 में कंपनी के निदेशक सर चाइल्ड से कर्मचारियों ने शिकायत कर दी कि तत्कालीन बादशाह औरंगजेब आलमगीर के भांजे नवाब शाइस्ता खान के अधिकारी टैक्स के लिए उन्हें परेशान करते हैं। इसकी गुहार सर चाइल्ड ने ब्रिटेन में अपने सम्राट से लगाई तो वहां से 19 लड़ाकू जहाज, 100 तोपें और 600 नौसैनिक बंगाल रवाना कर दिए गए। यहां मुगल सेना भी तैयार थी और अंग्रेजों को बड़ी आसानी से कुचल दिया।

कंपनी के पांच कारखाने बर्बाद कर दिए और बंगाल से अंग्रेजों को खदेड़ दिया। सूरत और बंबई में भी उनका यही हाल हुआ। इस पर ब्रिटिश सम्राट ने खुद मुगल बादशाह से गिड़गिड़ाकर आधिकारिक रूप से माफी मांगी, जो उसे 1690 में मिल भी गई।

औरंगजेब की 1707 ईस्वी में मौत के बाद देश के कई इलाकों में लोग एक-दूसरे का विरोध करने लगे और अंग्रेजों को मौका मिल गया फूट डालने का। अपनी सेना में स्थानीय लोगों को भर्ती करने लगे। इसमें मुगल, मराठा, सिख और स्थानीय नवाबों को हार का सामना करना पड़ा। साल 1756 में भारत के सबसे धनी राज्य बंगाल की गद्दी पर नवाब सिराजुद्दौला बैठा हुआ था। बंगाल की उत्पादन क्षमता को देखते हुए कंपनी इसी बीच अपने किलों का विस्तार करने लगी और सैनिक भी बढ़ाने लगी। नवाब ने इससे मना कर दिया तब भी कंपनी नहीं मानी तो नवाब ने कलकत्ता पर हमला कर दिया। अंग्रेजों को कैदी बना लिया। किलों पर कब्जा कर लिया।

मीर जाफर ने की दगाबाजी

कहावत है न कि घर का भेदी लंका ढाए। अंग्रेजों ने इसी का सहारा लिया और नवाब के सेनापति मीर जाफर को अपनी ओर कर लिया। इसके बाद बंगाल के प्लासी में नवाब और कंपनी के बीच 23 जून 1757 को हुए युद्ध में मीर जाफर के दगा देने की वजह से अंग्रेज जीत गए। उन्होंने मीर जाफर को बंगाल की गद्दी पर बैठा दिया और मनमानी करने लगे। खुद मीर जाफर से टैक्स लेने लगे। खजाना खाली होने पर मीर जाफर को भूल का अहसास हुआ तो डच सेना की मदद से अंग्रेजों को भगाने की कोशिश की। हालांकि, इस कोशिश में 1759 और 1764 में अंग्रेज जीते और बंगाल पर शासन करने लगे।

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ताकत बढ़ने पर ईस्ट इंडिया कंपनी ने अगस्त 1765 में मुगल बादशाह शाह आलम को भी पराजित कर लिया। तब लॉर्ड क्लाइव ने उड़ीसा, बंगाल और बिहार में राजस्व वसूलने के साथ ही वहां की जनता को नियंत्रण में करने का हक ले लिया। इसके बाद तो पूरे भारत का शासन कंपनी के हाथों में चला गया। अकबर के बाद, मुग़ल साम्राज्य अपनी शक्ति के चरम पर पहुंच गया और सुल्तान अब्दुल्ला के अधीन समाप्त हो गया, जिन्होंने 1773 में दिल्ली छोड़ दी और ब्रिटिश कंपनी ने इस पर कब्ज़ा कर लिया।

Decline Of The Mughal Empire
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1857 में हुआ मुगल साम्राज्य का अंत

मुगल साम्राज्य का अंत 1857 में हुआ, जिसे ब्रिटिश इंडिया कंपनी के खिलाफ सिपाही विद्रोह या भारतीय विद्रोह के रूप में जाना जाता है। इसकी शुरुआत 10 मई 1857 को बरमा (मोदर्न म्यांमार) के आगर कैंट में हुई और फिर दिल्ली और उत्तर भारत के विभिन्न हिस्सों में फैल गई। सिपाही विद्रोह के पीछे कई कारण थे, साम्राज्य के अंत का एक प्रमुख कारण यह था कि मुगल सम्राट बहादुर शाह जफर ने विद्रोह के नेताओं के साथ सहयोग किया था।

इस विद्रोह का नेतृत्व हाथीसिघ, रानी लक्ष्मीबाई, बहादुरशाह जफर, नाना पाटेकर जैसे नेता कर रहे थे। हाथी सिंह ने छावनियों में बड़े बड़े हमले किए और दिल्ली को निमंत्रण भेजा, जबकि लक्ष्मीबाई ने अपनी सेना के साथ जवारी और ग्वालियर के क्षेत्रों में लड़ाई लड़ी। विद्रोह के रणनीतिक और सांस्कृतिक निहितार्थ थे, अंततः ब्रिटिश सरकार ने इसे दबा दिया और ब्रिटिश साम्राज्य की स्थापना हुई।

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