Earthquake Aftershocks: धरती के नीचे तैर रहा दहकता हुआ लावा
दुनिया में हर दिन करीब 135 भूकंप आते हैं। साल 2022 में 49 हजार से ज्यादा भूकंप पूरे साल में आये थे। इनमें से 120-125 के आसपास ऐसे भूकंप होते हैं जिनसे जानमाल की तबाही होती है। धरती पर भूकंप की तबाही के बाद शक्तिशाली आफ्टरशॉक्स भी बहुत खतरनाक होते हैं। आफ्टरशॉक्स की वजह से राहत और बचाव कार्य बहुत बाधाएं आती हैं, परिणास्वरूप काम करना मुश्किल हो जाता है, इसके अलावा बढ़ी संख्या में जान माल का नुकसान होता है, वो अलग है।
इन आफ्टरशॉक्स की टाइमिंग और क्षमता का अंदाजा तो वैज्ञानिक एक पारंपरिक तरीके से लगा लेते हैं। लेकिन उनकी जगह का अनुमान लगाना अबतक नामुमकिन ही रहा है। पिछले साल 6 फरवरी, 2023 को तुर्की में जिस तीव्रता का भूकंप आया, करीब-करीब उतनी ही या उसके आसपास की तीव्रता के पिछले 2 वर्षों के बीच पूरी दुनिया में 6 भूकंप आये हैं। हालांकि किसी भी दूसरे भूकंप में इतनी तबाही नहीं हुई जितनी तुर्की में आये भूकंप में हुई।

विज्ञान भी फेल है भविष्यवाणी करने में
निश्चित रूप से तुर्की में आया भूकंप 7.8 की तीव्रता वाला बेहद खतरनाक श्रेणी का भूकंप था, लेकिन यह आशंका से भी ज्यादा खतरनाक इसलिए साबित हुआ क्योंकि तुर्की के नीचे की टेक्टोनिक प्लेट लगातार हिल रही है और अफ्रीकन प्लेट की तरफ दबाव बना रही है। यही वजह है कि भूकंप आने के बाद 24 घंटे में 78 ऑफ्टर शॉक्स आए जिसमें 6 की तीव्रता 5 से 6.4 तक थी। भूकंप के बाद बड़ी संख्या में आये ये ऑफ्टर शॉक्स ही हैं जिनके कारण धरती के 20 किलोमीटर नीचे भूकंप का केंद्र होने के बावजूद यह इतना खतरनाक साबित हुआ।
हैरानी की बात यह है कि वैसे तो आज भी विज्ञान के पास भूकंप को पूरी तरह से भविष्यवाणी करने का कोई जरिया नहीं है लेकिन नीदरलैंड के वैज्ञानिक फ्रैंक होगरबीट्स का 3 फरवरी, 2023 को एक ट्वीट वायरल हो रहा था। इसमें कहा गया था कि साउथ सेंट्रल तुर्की, जॉर्डेन, सीरिया और लेबलान में 7.5 की तीव्रता का भूकंप आयेगा। हालांकि अभी तक अंतिम रूप से पुष्टि नहीं हुई कि यह बात कितनी सच है, लेकिन फ्रैंक होगरबीट्स को भूकंपों का गंभीर अध्येता माना जाता है। वे सोलर सिस्टम जियोमेट्री सर्वे नामक एक जियोलॉजिकल इंस्टीट्यूट में सीनियर रिसर्चर हैं। अगर यह भविष्यवाणी सही है तो माना जा सकता है कि भविष्य में भूकंपों की काफी हद तक भविष्यवाणी की जा सकेगी।
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एनाटोलियन प्लेट के ऊपर बसा तुर्की
वास्तव में तुर्की 3 टेक्टोनिक प्लेट्स के बीच पिस सा गया है और लगातार पिस रहा है। यही वजह है कि 6 फरवरी, 2023 को सुबह आये भूकंप के बाद से 7 फरवरी, 2023 के शाम 5 बजे तक मरने वालों की संख्या 5000 पार कर गई थी और आशंका है कि अभी जितने लोग इसके शिकार हुए थे, उससे कहीं ज्यादा लोग मलबे में दबे हुए थे। तुर्की भूकंपों के मामले में इस कदर दुर्भाग्यशाली इसलिए है क्योंकि ये तीन खतरनाक भूकंप प्लेटों के बीच फंसा हुआ है। धरती चूंकि बड़ी-बड़ी टेक्टोनिक प्लेट्स पर स्थित है, जिनके नीचे तरल पदार्थ यानी दहकता हुआ लावा है।

ये प्लेट्स लगातार तैरती रहती हैं और इस तैरने के दौरान कई बार आपस में टकरा जाती हैं। टकराने के दौरान कई बार इन प्लेट्स के कोने मुड़ जाते हैं, जिस कारण इनका कुछ हिस्सा टूट जाता है। उस टूटने के दौरान बहुत बड़े पैमाने पर जो ऊर्जा धरती को फाड़कर बाहर की तरफ निकलने का रास्ता खोजती है, उसी उठापटक के चलते भूकंप आता है। तुर्की का बड़ा हिस्सा एनाटोलियन टेक्टोनिक प्लेट के ऊपर बसा है। यह प्लेट यूरोशियन प्लेट, अफ्रीकन और अरेबियन प्लेट के बीच फंसी हुई है। इसलिए जब अफ्रीकन और अरेबियन प्लेट खिसकती हैं तो तुर्की किसी सैंडविच की तरह दबके रह जाता है।
अब तक 6 बहुत भयानक भूकंप आये
यूनाइटेड स्टेस जियोलॉजिकल सर्वे का कहना है कि तुर्की में 6 फरवरी को जो भूकंप आया है, वह 100 साल के बाद आया बेहद खतरनाक भूकंप था। इसके मुताबिक भी तुर्की में इस भूकंप से 10,000 से ज्यादा लोगों की मौतें हुई थी। हालांकि तुर्की में भूकंप एक निरंतर की त्रासदी है। साल 1999 से 2023 के बीच अब तक 6 बहुत भयानक भूकंप आ चुके हैं। इससे पहले 7.4 तीव्रता का भूकंप 1999 में इसके इजमित शहर में आया था और तब 17,000 से ज्यादा मौतें हो गई थीं। इस बार का यह भूकंप तो 7.8 की तीव्रता का था।
पहली बार हिलीं इमारतें
तुर्की में चूंकि अकसर भूकंप आते रहते हैं। इसलिए 99 फीसदी इमारतें भूकंप को ध्यान में रखकर बनायी गई हैं, जो आमतौर पर 6-6.5 तीव्रता तक नहीं गिरतीं, लेकिन इस बार जिस तरह का भूकंप देखने को मिला है, शायद उसमें भी एक खास तरह की ग्लोबल वार्मिंग का प्रभाव था क्योंकि अब के पहले किसी भूकंप के बाद इतने ज्यादा ऑफ्टर शॉक्स नहीं आये जितने तुर्की और सीरिया में आये इस भूकंप के बाद आये।
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तुर्की में 7.8 तीव्रता का भूकंप आने के बाद 78 बार ऑफ्टर शॉक्स आ चुके थे। यही वजह है कि जो इमारते पहली बार हिलीं और अपनी जगह से थोड़ी उखड़ीं वे बाद के ऑफ्टर शॉक्स में भरभराकर ताश के पत्तों की तरह गिर गईं। तुर्की में आये भूकंप के खौफनाक होने का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि तुर्की में 7 दिनों का शोक घोषित किया गया था। साथ ही चौथी कैटेगिरी की इमरजेंसी लगा दी गई है। इसका मतलब ये होता है कि दुनिया की सहायता के बिना इससे निपटना ही संभव नहीं था।
देश की अर्थव्यवस्था भी नहीं बची
इस भूकंप के बाद जिस तरह से पूरी दुनिया ने बहुत तेजी से तुर्की के लिए सहायता की घोषणा की, वह भूमंडलीकरण के इस दौर में ही संभव था। तुर्की के इस भूकंप ने जहां हजारों लोगों की जान ले ली है, लाखों लोगों को बेघर कर दिया है और कई हजार लोगों को हमेशा हमेशा के लिए अपाहिज कर दिया। इसके बाद देश की अर्थव्यवस्था भी नहीं बची। वह भी ताश के पत्तों की तरह भरभराकर ढह गई है। एक तरफ तुर्की कुदरत की बहुत बड़ी तबाही से दोचार है, दूसरी तरफ दुनिया के मुद्रा बाजार में एक झटके में तुर्की की करंसी लीरा को 57 फीसदी से ज्यादा कमजोर कर दिया था। जिन घरों का किराया भूकंप के पहले 4 से 5 हजार लीरा था, भूकंप के बाद उनका किराया 10 से 12 हजार तक पहुंच गया।