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Reading: Road Accidents: सड़क दुर्घटनाओं से विकलांगता की चपेट में यूथ
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Road Accidents: सड़क दुर्घटनाओं से विकलांगता की चपेट में यूथ

दुनियाभर में जितने युवा हर साल सड़क दुर्घटनाओं में विकलांग हो रहे हैं या जितने युवा इन दुर्घटनाओं से मर रहे हैं, उनमें भी सबसे बड़ी तादाद भारतीय युवाओं की ही है

WeStory Editorial Team
Last updated: 2024/05/30 at 5:53 PM
WeStory Editorial Team
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8 Min Read
Road Accidents
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Road Accidents: दुनिया की 12 से 14% आबादी शारीरिक रूप से पूर्ण सक्षम नहीं

Road Accidents: दुनियाभर में जितने युवा हर साल सड़क दुर्घटनाओं में विकलांग हो रहे हैं या जितने युवा इन दुर्घटनाओं से मर रहे हैं, उनमें भी सबसे बड़ी तादाद भारतीय युवाओं की ही है। शायद एक कारण यह भी है कि किसी भी विकासशील देश से ज्यादा वाहन भारत में हैं। सच बात तो यह है कि पूरे यूरोप में जितने दोपहिया वाहन होंगे, अकेले भारत में उससे ज्यादा दोपहिया वाहन हैं। आखिर हम कब समझेंगे कि विकलांगता जीवन का सबसे बड़ा अभिशाप है, ऐसे में कम से कम हम खुद तो विकलांग होने की स्थितियां न बनाएं? भारत जैसे देश में हर साल होने वाली सड़क दुर्घटनाओं में जितने बड़े पैमाने पर लोग मारे जाते हैं या विकलांग होते हैं, उनके कारण देश के सकल घरेलू उत्पाद में 3 फीसदी से ज्यादा की गिरावट आती है क्योंकि जब सड़क दुर्घटनाओं का शिकार युवा होते हैं, तो वे सिर्फ किसी के घर का चिरागभर नहीं होते बल्कि अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी भी होते हैं।

Table of Contents
Road Accidents: दुनिया की 12 से 14% आबादी शारीरिक रूप से पूर्ण सक्षम नहींहमेशा सजग रहना चाहिए5 से 29 की उम्र समूह वाले हैं लोग शिकारयुवाओं में जागरूकता की बहुत कमी

विश्व स्वास्थ्य संगठन कहता है, सड़क दुर्घटनाओं का एक बड़ा पहलू जिसे आमतौर पर अनदेखा कर दिया जाता है, वह यह है कि पूरी दुनिया में सड़क दुर्घटनाओं के कारण हर साल 2 करोड़ से 5 करोड़ के बीच लोग गैर घातक चोटों का शिकार हो जाते हैं, जो भले कागज में गंभीर रूप से विकलांग न हों और न ही मरने वालों में उनकी संख्या शामिल हो, लेकिन हकीकत यह है कि जिंदगी जीने के मामले में उनकी क्षमताएं, उनके दुर्घटनाग्रस्त होने के पहले के मुकाबले काफी कम हो जाती हैं। करीब 30 से 35 फीसदी मामलों में तो यह 50 फीसदी तक क्षमताओं के ह्रास का मामला होता है।

Road Accidents
Road Accidents

हमेशा सजग रहना चाहिए

इन आंकड़ों से सीख लेनी चाहिए कि कम से कम हम कुदरत से मिले एक खूबसूरत शरीर को अपनी ज्यादातियों और लापरवाहियों के कारण हम धरती का बोझ तो न बनाएं क्योंकि एक विकलांग व्यक्ति सिर्फ अपने लिए ही नहीं बल्कि वे पूरे समाज के लिए एक तरह से बोझ हो जाता है। इसलिए हर युवा को अपने आपको विकलांगता से बचाने के लिए हमेशा सजग रहना चाहिए। दुनिया में पहले से ही इतने जोखिम हैं और इतनी वजहें हैं, जिनसे करीब दुनिया की 12 से 14 फीसदी आबादी शारीरिक रूप से पूर्ण सक्षम नहीं है यानी विकलांग है, जिसका बड़ा कारण कुदरती है।

ऐसे में हम खुद क्यों इस भयावह स्थिति में अपनी तरफ से इजाफा करते हैं। युवाओं को खास तौर पर अपने आपको न सिर्फ अपने परिवार के लिए, अपने घर के लिए, देश के लिए बल्कि दुनिया के लिए भी महत्वपूर्ण समझते हुए खुद को जानबूझकर विकलांग होने से बचाना चाहिए। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मुताबिक हर साल सड़क दुर्घटनाओं में 13 लाख लोग मारे जाते हैं। इससे करीब दोगुना लोग विकलांग हो जाते हैं। इन मारे जाने वालों और विकलांग होने वालों में बहुत बड़ी तादाद युवाओं की होती है।

5 से 29 की उम्र समूह वाले हैं लोग शिकार

डब्ल्यूएचओ के मुताबिक सड़क दुर्घटनाओं में सबसे ज्यादा मरने और विकलांग होने वालों में 5 से 29 की उम्र समूह वाले हैं। इसे अगर और ज्यादा साफगोई से समझना हो तो यूं समझ सकते हैं कि देश में जो युवा विकलांग हैं, उनमें से करीब 10 फीसदी सड़क दुर्घटनाओं के कारण विकलांग हुए हैं। भारत में अकस्मात होने वाली मौतों में रोड एक्सीडेंट से हुई मौतें एक बड़ा हिस्सा हैं। देश में हर 1 घंटे में 19 लोग रोड एक्सीडेंट से मारे जाते हैं। साल 2022 में जो 4,61,312 सड़क दुर्घटनाएं हुई उनमें 1,68,451 लोगों की मौके पर ही मौत हो गई।

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अगर 2021 के आंकड़ों से तुलना की जाए तो साल 2022 में सड़क दुर्घटनाओं में 11.9 फीसदी की वृद्धि हुई जबकि मौतों में करीब 9।4 फीसदी की वृद्धि हुई। हालांकि इन दुर्घटनाओं से होने वाले विकलांगों का ठीक-ठीक आंकड़ा सुरक्षित नहीं रखा जाता लेकिन देश में हर घंटे में जो करीब 53 एक्सीडेंट हो रहे हैं उनमें 19 मौतों के साथ करीब 30 से 32 लोग बुरी तरह से दुर्घटना का शिकार होकर या तो आंशिक तौर पर या बहुत बड़े स्तर पर हमेशा के लिए विकलांग हो जाते हैं।

इसमें भी सबसे बड़ी संख्या युवाओं की है। मरने वालों और विकलांग होने वालों दोनों में। अमेरिकी पत्रिका फोर्ब्स के मुताबिक मोटरसाइकिल से मरने और विकलांग होने वालों में सबसे बड़ी संख्या युवाओं की होती है। साल 2022 में अपने यहां 75,000 मौतें दोपहिया वाहनों के चलते हुईं। ये कुल सड़क दुर्घटनाओं में मरने वालों की संख्या का 44 फीसदी थी और इन 75,000 मरने वालों में 70 फीसदी से ज्यादा युवा थे। मौत का यह आंकड़ा इसलिए भी डरावाना है क्योंकि यह इसके पहले साल से 8 फीसदी ज्यादा है।

Road Accidents
Road Accidents

युवाओं में जागरूकता की बहुत कमी

इससे साफ पता चलता है कि सड़क दुर्घटनाओं पर इतने जागरूकता अभियानों के बावजूद युवाओं में जरा भी जागरूकता नहीं आ रही। अगर युवा जागरूक होते तो फोर्ब्स पत्रिका के मुताबिक पिछले 10 सालों में सड़क दुर्घटनाओं में 19 फीसदी का इजाफा न हुआ होता। करेले में नीम वाली स्थिति यह है कि जहां तक मोटरसाइकिल से होने वाली दुर्घटनाओं का सवाल है, जिसका रिश्ता विशेषकर युवाओं से है, उनमें पिछले 10 सालों के भीतर 29 फीसदी का इजाफा हुआ है और मरने वालों की दर में 5 फीसदी का।

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इन आंकड़ों से अंदाजा लगाया जा सकता है कि अपनी नासमझियों और लापरवाहियों के कारण भी दुनिया में हर साल विकलांग लोगों की आबादी में अच्छी खासी वृद्धि हो रही है और इसमें सबसे बड़ा हाथ युवाओं का है। विश्व स्वास्थ्य संगठन बार-बार विकासशील देशों को चेतावनी दे रहा है कि ज्यादातर सड़क दुर्घटनाएं इन्हीं देशों में लचर कानून व्यवस्था के कारण हो रही हैं।

डब्ल्यूएचओ की बात को इस तथ्य से भी समझा जा सकता है कि दुनिया में जो 93 फीसदी सड़क दुर्घटनाएं होती हैं, वे सब गरीब या भारत जैसे मध्यम आय वाले देशों में होती हैं। भारत दुनिया में सड़क दुर्घटनाओं के मामले में सिरमौर देश है।

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