Inspirational Indian Women: भारीय महिलाये जिन्होंने दुनिया को दिखा दिया कि महिलाये किसी से कम नहीं हैं
आज भी हमारे समाज में महिलाओं को कई प्रकार की चुनौतियों का सामना करना पड़ता हैं और किसी भी क्षेत्र में उनके लिए खुद को सफल बनाना मुश्किल होता हैं। परंपराओं के चलते भी महिलाओं को हमेशा ज्यादा जिम्मेदारिया उठानी पड़ती है।इन सब मुश्किलों के बावजूद वे उन क्षेत्रों में भी प्रवेश कर चुकी है, जहा आमतौर पर पुरुषो का बोलबाला रहता हैं। अपने रास्ते में आने वाली तमाम परेशानियों को पार करते हुए ना सिर्फ उन्होंने खुद सफलता प्राप्त की बल्कि देश में अन्य महिलाओं के लिए भी प्रेरणा स्रोत बनी हैं। आइए आज इस लेख में ऐसी ही कुछ भारतीय महिलाओं के बारे में जानते हैं जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रिकॉर्ड तोड़ते हुए देश का नाम रोशन कर रही हैं।
मेरी कॉम
मणिपुर की रहने वाली मेरी कॉम का नाम तो शायद ही कोई ना जानता हो वे एक मशहूर भारतीय महिला बॉक्सर हैं। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत मात्र 18 साल की उम्र में करि थी। ओलंपिक 2012 में उन्होंने ब्रोंज मैडल किया था। पहली बार कोई महिला बॉक्सर यहा तक पहुंच पाई थी। वे 5 बार वर्ल्ड चैंपियनशिप भी जीत चुकी हैं। इसके अलावा उनके नाम पर लगातार छह पदक जीतने का रिकॉर्ड भी हैं। उन्हें 2003 में अर्जुन पुरस्कार और 2006 में पद्मश्री से भी सम्मनित किया जा चूका हैं। 2009 में उन्हें भारत के सर्वोच्च खेल सम्मान राजीव गाँधी खेल रत्न पुरस्कार के लिए भी चुना जा चूका हैं। फिलहाल वे इम्फाल में एक महिला मुक्केबाजी फाउंडेशन चला रही हैं और इसके साथ वे अपने 3 बच्चो की भी देखभाल कर रही हैं। उनके जीवन पर एक फिल्म भी बन चुकी हैं। जिसमे प्रिंयका चोपड़ा ने उनका किरदार निभाया था।
किरण बेदी
भारत की पहली महिला आईपीएस किरण बेदी आज के समय में लाखो महिलाओ के लिए एक मिशाल बन चुकी हैं। वे 1972 में भारतीय पुलिस सेवा में शामिल होने वाली पहली महिला थी। 2007 में उन्होंने रिटायरमेंट ले लिया था। वे लोकप्रिय टीवी सीरियल ‘आप की कचहरी’ की होस्ट भी रह चुकी हैं।
यूं तो वे हमेशा ही सुर्खियो में रहती हैं मगर वे लाइमलाइट में तब आई,जब उन्होंने इंदिरा गांधी की गाड़ी को रोका था। उन्होंने 2011 में अन्ना हजारे के आंदोलन में भी भाग लिया था। उन्हें 1994 में रेमन मैग्सेसे पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चूका हैं।
मिताली मधुमिता
लेफ्टिनेंट कर्नल मिताली मधुमिता ने 26 फरवरी 2010 को अफगानिस्तान के काबुल में आतंकवादियों द्वारा भारतीय दूतावास पर किये हमले में अद्भुत साहस दिखाया जिस के लिए उन्हें सेना पदक देकर सम्मानित किया गया।उन्होंने भारतीय दूतावास के अंदर जाकर, घायल नागरिकों और सैन्य कर्मियों को मलबे के निचे से निकल कर बचाया था। वह हमला बहुत धातक था जिस में 19 लोगो ने अपनी जान गवाई थी। उन्होंने जम्मू-कश्मीर और भारत के पूर्वोत्तर राज्य में भी सेवाएं दी हैं। मधुमिता ने सेन में लेडी अफसर के लिए स्थायी कमीशन के लिए सरकार के खिलाफ जंग छेड़ी थी। लम्बी लड़ाई के बाद 2015 में ट्रिब्यूनल को उनकी अपील सही लगी और उनकी तरफ से रक्षा मंत्रालय से उनकी स्थाई कमीशन की मांग को स्वीकार लिया।
सीमा राव
सीमा राव पहली भारतीय महिला कमांडो ट्रेनर हैं। कमांडो प्रशिक्षण को भले ही महिलाओ का क्षेत्र नहीं माना जाता हैं। लेकिन सीमा ने सारी रूढ़िवादी सोचो को पीछे छोड़ते हुए वह पहली भारतीय महिला कमांडो ट्रेनर बनी। उन्होंने लगभग 15,000 से अधिक सैनिकों को ट्रेन किया हैं। वह एक डॉक्टर भी हैं और उन्होंने क्राइसिस मैनेजमेंट में एमबीए भी किया हैं। सबसे दिलचस्प बात यह है की वे दुनिया की उन 10 महिलाओं में से एक है जिन्होंने ब्रूस ली के मार्शियल आर्ट फॉर्म, जीत कुन डो में प्रशिक्षण किया हैं।
अवनि लेखरा
मात्र 11 साल की छोटी सी उम्र में अवनि के साथ एक दुखत घटना घटी,जिस कारण उन्हें व्हीलचेयर पर बैठना पड़ा। वह एक क्रूर घटना थी परन्तु वह अवनि का हौसला नहीं तोड़ पाई। हालांकि, उन्हें कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। पर वह पीछे हटने के लिए तैयार नहीं हुई और हर मुश्किल का सामना करते हुए जयपुर की रहने वाली इस लड़की ने अपनी कड़ी मेहनत के बल पर 2020 पैरालिंपिक में R-2 महिलाओं की 10 मीटर एयर राइफल में स्वर्ण पदक जीता। अवनि 2015 से लगातार ट्रेनिंग ले रही थी और आखिर कार 2020 में उनकी मेहनत का फल मिल ही गया।
- Content Marketing : भारत में तेजी से बढ़ रहा है कंटेंट मार्केटिंग का क्रेज - January 22, 2025
- Black Magic Hathras: ‘काले जादू’ के नाम पर 9 वर्ष के बच्चे की बलि - January 18, 2025
- Digital Marketing: आपके व्यवसाय की सफलता की कुंजी ‘डिजिटल मार्केटिंग’ - January 18, 2025