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Reading: Women Empowerment: दृष्टिबाधित बेटियां दे रहीं दूसरों को जीवनदान, स्पर्श की शक्ति के जरिए बचा रहीं जान
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सफलता की कहानी

Women Empowerment: दृष्टिबाधित बेटियां दे रहीं दूसरों को जीवनदान, स्पर्श की शक्ति के जरिए बचा रहीं जान

Women Empowerment : समाज में लगभग हर एक हिस्से में, या यूं कहें कि हमारे आस पास ही कोई न कोई प्रेरणादायक कहानी जरूर मिल जाती है।

Meena Bhardwaj
Last updated: 2024/01/22 at 9:48 PM
Meena Bhardwaj
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6 Min Read
Women Empowerment
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Women Empowerment:जानिए कैसे स्वयं दृष्टिबाधित होकर भी ये बेटियां बचा रही दूसरों की जान।

Women Empowerment : समाज में लगभग हर एक हिस्से में, या यूं कहें कि हमारे आस पास ही
कोई न कोई प्रेरणादायक कहानी जरूर मिल जाती है। जरुरत होती है तो बस उससे कुछ सीखने की
और उससे प्रेरणा लेकर आगे बढ़ने की।

Table of Contents
Women Empowerment:जानिए कैसे स्वयं दृष्टिबाधित होकर भी ये बेटियां बचा रही दूसरों की जान।दृष्टिबाधित बेटियां स्पर्श से बचा रही कैंसर सेWomen Empowerment का बेहतरीन उदाहरणडिस्कवरिंग हैंड्स प्रोग्राम के पहले बैच से हैं नूरोनिशा और आयशाजानिए डिस्कवरिंग हैंड्स प्रोग्राम के बारे मेंकैसे बनते हैं एमटीई (MTE)

ऐसी ही कहानियों में से एक है नूरोनिशा और आयशा
बानो की कहानी (Women Empowerment) । जिन्होंने स्वयं दृष्टि के मामले में अक्षम होकर भी
अपने हौसलों को कभी कम नहीं होने दिया। यही नहीं उन्होंने कभी भी अपनी कमी के चलते अपने
कदम पीछे नहीं हटाए बल्कि दूसरों की मदद की है।

आइये आज जानते हैं नूरोनिशा और आयशा की कहानी, जो हमे किसी भी परिस्थिति में हार न
मानने की प्रेरणा देती है।

दृष्टिबाधित बेटियां स्पर्श से बचा रही कैंसर से

नूरोनिशां और आयशा बानो जन्म से ही देख नहीं सकती, बावजूद इसके वो बहुत सी महिलाओं को कैंसर
जैसी भयानक बीमारी से बचाने में मदद कर रही हैं। दोनों ही बेटियां अपने स्पर्श की शक्ति के माध्यम से
महिलाओं में स्तन कैंसर (Breast Cancer) के प्रारंभिक लक्षणों को पहचानने में सहायता कर रही हैं। बता दें
कि ये दोनों युवतियां मेडिकल टैक्टाइल एग्जामिनर (एमटीई) हैं।

जिन्हे डिस्कवरिंग हैंड्स प्रोग्राम
(Discovering Hands Programme) के अंतर्गत एनएबल इंडिया (EnAble India- बेंगलुरु में स्थित एक
एनजीओ) द्वारा महिलाओं में स्तन कैंसर का शीघ्र पता लगाने हेतु स्क्रीनिंग के लिए प्रशिक्षित किया गया है।

Women Empowerment का बेहतरीन उदाहरण

डिस्कवरिंग हैंड्स प्रोग्राम (Discovering Hands Programme) की शुरुआत जर्मनी के डॉ. फ्रैंक हाॅफमैन द्वारा
की गयी थी। इस प्रोग्राम के जरिये दृष्टिबाधित और नेत्रहीन महिलाओं को EnAble India द्वारा प्रशिक्षित
किया जाता है जिससे वो महिलाओं में, स्तन कैंसर में ट्यूमर के प्रारम्भिक लक्षणों को विशेष स्पर्श के माध्यम
से पता लगा सकती हैं।

इसी विशेष स्पर्श कौशल का प्रयोग करके एमटीई के तौर पर नूरोनिशा और आयशा जैसी अन्य नेत्रहीन
महिलाएं भी बाकी स्त्रियों में स्तन कैंसर के शुरूआती लक्षणों का पता लगा सकती है।

रितुपर्णा सारंगी (एनएबल इंडिया की वरिष्ठ प्रबंधक) का कहना है कि, यह प्रोग्राम नेत्रहीन और दृष्टिबाधित
महिलाओं को उनकी रोजमर्रा के जीवन, उनके शिक्षा अथवा उनकी आजीविका में इस तरह के कौशल के
साथ उन्हें सक्षम बनाने और उनकी सहायता करने हेतु एनजीओ के दृष्टिकोण के साथ मेल खाता है।

Read More: Women Empowerment: टैक्सी चलाकर अपनी आर्थिक रूप से सक्षम बनेंगी महिलाएं, 500 गृहणियों को दिया जा रहा प्रशिक्षण

डिस्कवरिंग हैंड्स प्रोग्राम के पहले बैच से हैं नूरोनिशा और आयशा

आप की जानकारी के लिए बता दें कि बेंगलुरु में साइटकेयर कैंसर अस्पताल में आयशा और नूरोनिशा एक
एमटीई के रूप में कार्यरत हैं। वो इस प्रोग्राम के अंतर्गत पहले बैच में से हैं। इन्ही दोनों की तरह अन्य
महिलाओं को EnAble India द्वारा डिस्कवरिंग हैंड्स प्रोग्राम के तहत प्रशिक्षित किया जा रहा है। इससे न
सिर्फ वो अपनी स्वयं की शारीरिक कमियों से ऊपर उठकर आगे बढ़ सकेंगी बल्कि दूसरों की मदद भी कर
सकेंगी।

जानिए डिस्कवरिंग हैंड्स प्रोग्राम के बारे में

डिस्कवरिंग हैंड्स प्रोग्राम एक ऐसा कार्यक्रम है जिसे मुख्य रूप से उंगलियों के स्पर्श के माध्यम से प्रारंभिक
स्तन कैंसर ट्यूमर का पता लगाने के लिए तैयार किया गया है। इस प्रोग्राम के अंतर्गत नेत्रहीन और
दृष्टिबाधित महिलाओं को बिना किसी उपकरण, गैजेट्स अथवा अन्य किसी मशीनरी के उपयोग किये बिना
मेडिकल टैक्टाइल परीक्षक (एमटीई) बनने हेतु प्रशिक्षित किया जाता है। बता दें कि इस विशेष स्पर्श कौशलका प्रयोग करके एक एमटीई शुरूआती चरण में 0.3 मिमी से कम के माप वाले ब्रैस्ट कैंसर /ट्यूमर का पता
लगाने में सक्षम हैं।

कैसे बनते हैं एमटीई (MTE)

अश्विनी राव डिस्कवरिंग हैंड्स प्रोग्राम के प्रमुख और प्रशिक्षक हैं। वो इस प्रोग्राम के बारे में बताते हैं कि
इसके तहत प्रशिक्षण देकर महिलाओं को एमटीई (MTE) के तौर पर तैयार किया जाता है। यह प्रशिक्षण
कार्यक्रम नौ महीने तक चलता है।

इसके तहत उन्हें छह महीने के बाद एक सैद्धांतिक परीक्षा देनी होती है।
और इस परीक्षा के बाद उन्हें अगले तीन महीने स्त्री रोग विशेषज्ञ या स्तन ऑन्कोलॉजिस्ट के अंतर्गत काम
करना होता है। ये एक प्राकर की इंटर्नशिप होती है, जिसके बाद उन्हें अपनी व्यावहारिक परीक्षाओं को देने के
लिए इनेबल इंडिया में वापस आना होता है।

बता दें कि इस प्रशिक्षण के दौरान इन महिलाओ को स्तन सम्बन्धी जानकारी के साथ साथ मानव शरीर
रचना विज्ञान और महिला प्रजनन प्रणालीआदि के बारे में भी जानकारी दी जाती है।

यही नहीं इनेबल इंडिया
ने प्रशिक्षण में तीन महीने की अवधी और जोड़कर दृष्टिबाधित महिलाओं को कंप्यूटर साक्षरता, गतिशीलता,
रोजगार योग्यता, जीवन कौशल और परामर्श आदि प्रदान करने की व्यवस्था की है।

इससे उन्हें अस्पताल में
विभिन्न कार्यिओं जैसे रिपोर्ट दर्ज करने, नेविगेट करने और मरीजों के साथ बातचीत करने और उनके प्रति
सहानुभूति रखने में सहायक होगा।

 

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Meena Bhardwaj
Meena Bhardwaj
मेरा नाम- मीनू भरद्वाज है, मैंने अपनी स्नातक दिल्ली यूनिवर्सिटी से हिंदी और पत्रकारिता में किए हैं ! इसके उपरांत कई सारे डिजिटल न्यूज़ पोर्टल के लिए आपने लेख विभिन्य विषय पे पब्लिश कर चुकी हु ! अभी मैं वेस्टरी (WeStory.co.in ) के लिए एजुकेशन,ऑटोमोबाइल,खेल,टेक्नोलॉजी,फाइनेंस,बिज़नेस,मनोरंजन,लाइफस्टाइल,सफलता की कहानी,सेहत,स्टोरीज और हिंदी न्यूज़ लिख रही हु ! मेरे लिखे पोस्ट को लाइक और अपना प्यार बनाये रखने के लिये प्लीज फॉलो करिये मेरे सोशल हैंडल को !
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