Digital Arrest Scam – अपने ही घरों में कैद हो जाते हैं कैद हो जाते हैं लोग
Digital Arrest Scam: डिजिटल अरेस्ट शब्द का चलन इन दिनों जोरो पर है। इसमें साइबर अपराधी, लोगों के डर का फायदा उठाकर उन्हें ठगते हैं। डिजिटल अरेस्ट में वर्चुअल तौर पर लोगों को भय दिखार गिरफ्तार किया जाता है। डिजिटल अरेस्ट में लोग अपने ही घरों में कैद हो जाते हैं और कोई वीडियो कॉल के जरिए उनपर नजर बनाए रखता है। इसमें सखास बात साइबर ठग खुद को पुलिस या सरकारी अधिकारी का बताता है और इस तरह से ‘डिजिटल अरेस्ट’ स्कैम में लोग फंस जाते हैं. स्कैम का शिकार बनाने के लिए ठग लोगों को कानून का डर दिखाते हैं, जिसे लोग समझ नहीं पाते और इनके जाल में फंस जाते हैं।

गिरफ्तारी वारंट का भय
डिजिटल अरेस्ट स्कैम एक तरीके की ठगी है, जिसमें ठग खुद को कानून या सुरक्षा एजेंसियों का अधिकारी बताकर ईमेल, मैसेज या फ़ोन के जरिए संपर्क करते हैं। वे बताते हैं कि आपके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी हुआ है या आप पर जांच चल रही है, खासतौर पर किसी साइबर अपराध के मामले में। इस समस्या को सुलझाने के लिए, वे तुरंत आपसे पेमेंट करने या आपकी पर्सनल जानकारी देने की मांग करते हैं और उनकी बात न मानने पर गिरफ्तारी की धमकी देते हैं। ‘डिजिटल अरेस्ट’ करने वाले ठग, आपसे पैसे वसूलने या संवेदनशील जानकारी हासिल करने के लिए डर पैदा करके, आप पर दबाव डालते हैं। वे कॉल, ईमेल, मैसेज, सोशल मीडिया या वीडियो कॉल के जरिए संपर्क करते हैं।
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नकली सरकारी मुहर
अक्सर ऐसे साइबर ठग खुद को कानून या सरकारी अधिकारी बताते हैं। उनके मैसेज में नकली सरकारी मुहर या लोगो हो सकता है जिससे आपको लगेगा कि इसे किसी सरकारी नंबर से भेजा गया है। ये ठग सोशल मीडिया या मैसेजिंग ऐप्स का इस्तेमाल करके भी लोगों से संपर्क करते हैं। कई बार वे वीडियो कॉल पर पुलिस स्टेशन के नकली बैकग्राउंड और पुलिस की वर्दी में दिखाई देते हैं। वे अक्सर पीड़ितों को डराने-धमकाने के लिए इस रणनीति का इस्तेमाल करते हैं, आपराधिक गतिविधियों में आपकी भागीदारी का झूठा दावा करते हैं और गिरफ्तारी से बचने के लिए तुरंत पेमेंट या पर्सनल जानकारी की मांग करते हैं। वे दावा कर सकते हैं कि आप पर किसी संदिग्ध इंटरनेट गतिविधि या फर्ज़ी ट्रांज़ेक्शन जैसे आपराधिक मामलों की जांच चल रही हैं।

पर्सनल जानकारी मांगते हैं
साइबर ठग आपके सामने फर्ज़ी केस नंबर या ऐसे शब्द इस्तेमाल करते हैं, जिससे यह सब विश्वसनीय लगता हैं। वे आपसे कहते हैं कि गिरफ्तारी से बचने के लिए, आपको तुरंत इस पर कार्रवाई करनी होगी। जिसमें वे आपसे जुर्माना भरने (अक्सर क्रिप्टोकरेंसी या गिफ्ट कार्ड जैसे तरीकों से जिन्हें ट्रेस करना मुश्किल होता है) या पर्सनल जानकारी देने को कहते हैं। अगर आप उनकी बातों पर सवाल उठाते हैं या झिझकते हैं, तो वे कानूनी कार्रवाई को आगे बढ़ाने या ज़्यादा जुर्माना लगाने की धमकी देते हैं।
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सीधे संबंधित एजेंसी से संपर्क करें
डिजिटल अरेस्ट जैसे स्कैम से बचने के लिए फोनपे के साइबर सुरक्षा एक्सपर्ट कहते हैं कि अगर आपको लगता है कि आप इस स्कैम का शिकार बन गए हैं, तो शांत रहें तुरंत कोई कार्रवाई न करें क्योंकि ठग अक्सर लोगों की घबराहट का फायदा उठाते हैं। इस बात की सच्चाई जांचने के लिए सीधे संबंधित एजेंसी से संपर्क करें, लेकिन ठग ने जो नंबर दिया है उसका इस्तेमाल न करें। संदिग्ध मैसेज, स्थानीय अधिकारियों या उपभोक्ता सुरक्षा एजेंसियों को रिपोर्ट करें। इससे ठगी को ट्रैक करने और दूसरों को सतर्क करने में मदद मिलती है।

तुरंत अपना पासवर्ड बदलें
अगर आपने गलती से पर्सनल जानकारी शेयर कर दी है, तो तुरंत अपना पासवर्ड बदलें और अगर वित्तीय जानकारी से छेड़-छाड़ हुई हो तो अपने बैंक को इसकी सूचना दें। फोनपे के साइबर सुरक्षा एक्सपर्ट के अनुसार फ़िशिंग और मैलवेयर से बचने के लिए, अपने डिवाइस में लेटेस्ट सिक्योरिटी सॉफ़्टवेयर इंस्टॉल करके रखें। अपने सभी अकाउंट टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन (2FA) से सुरक्षित करें। स्कैम से जुड़े तरीकों के बारे में जानकारी रखें और इसके बारे में अपने दोस्तों और परिवार को भी बताएं ताकि वे इस तरह के स्कैम का शिकार न बनें। अगर आप फ़ोनपे के माध्यम से ठगी का शिकार हो गए हैं, तो अपने नज़दीकी साइबर क्राइम सेल में शिकायत दर्ज करें या ऑनलाइन https://www.cybercrime.gov.in/ पर शिकायत करें। साइबर क्राइम सेल की हेल्पलाइन 1930 पर भी संपर्क किया जा सकता है।
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