Made In India Chip : वाणिज्यिक सेमीकंडक्टर फैब से मेड-इन-इंडिया चिप जारी होगा – अश्विनी वैष्णव
Made In India Chip – आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने दावा किया है कि इस साल सितंबर या अक्टूबर में भारत के पहले वाणिज्यिक सेमीकंडक्टर फैब से मेड-इन-इंडिया चिप जारी हो जाएगी। टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स पावरचिप सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग कॉरपोरेशन (पीएसएमसी) के साथ मिलकर गुजरात के धोलेरा में देश का पहला सेमीकंडक्टर फैब बना रही है। सरकार ने भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी), बेंगलुरु को 334 करोड़ रुपये की राशि सेमीकंडक्टर टेक्नोलॉजी गैलियम नाइट्राइड (जीएएन) पर अनुसंधान और विकास (आरएंडडी) के लिए दी है। उन्होंने यह भी बताया कि सरकार जल्द ही कंपोनेंट्स के लिए एक उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना लाने वाली है।

ई-मोड गैलियम नाइट्राइट पावर ट्रांजिस्टर विकसित
भारतीय विज्ञान संस्थान के अनुसार, गैलियम नाइट्राइड भारत को सेमीकंडक्टर के इस विशिष्ट क्षेत्र में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने का अवसर प्रदान कर सकता है, क्योंकि यह तकनीक अभी भी विकसित हो रही है और सिलिकॉन की तुलना में फाउंड्री स्थापित करने में कम खर्चीली है।
संस्थान की शोधकर्ता टीम ने भारत का पहला ई-मोड गैलियम नाइट्राइट पावर ट्रांजिस्टर विकसित किया है, जिसकी प्रदर्शन क्षमता अब तक आए सर्वश्रेष्ठ ट्रांजिस्टरों में से एक के बराबर है। संस्थान की वेबसाइट के अनुसार, गैलियम नाइट्राइट उच्च शक्ति और उच्च आवृत्ति वाले अनुप्रयोगों के लिए अधिक उपयुक्त है।

234 विश्वविद्यालयों के छात्रों को डिजाइन टूल
वैष्णव ने बताया कि सरकार इंडिया एआई मिशन के तहत ग्राफिक्स प्रोसेसिंग यूनिट्स के लिए एक पोर्टल 7-8 दिनों में लॉन्च करेगी। वैष्णव ने यह भी बताया कि हाल के दिनों में इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण क्षेत्र में भारत में 13,162 करोड़ रुपये का निवेश हुआ है और भविष्य में और भी निवेश आने की उम्मीद है। वर्तमान में 234 विश्वविद्यालयों के छात्रों को नवीनतम सेमीकंडक्टर डिजाइन टूल दिए जा रहे हैं। वैष्णव ने कहा कि आईटी मंत्रालय पहले इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन 1.0 को पूरा करने के लिए उद्योग के साथ काम कर रहा है, जिसमें मोहाली के सेमीकंडक्टर लैब का आधुनिकीकरण अभी भी लंबित है। इसे पूरा करने के बाद, मंत्रालय इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन 2.0 की मंजूरी पर काम करेगा। इसके लिए बजटीय आवंटन कैबिनेट की मंजूरी के बाद घोषित किया जाएगा।
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यात्रा से पहले चार्ज करें फास्टटैग, नया नियम लागू
अधिकांश लोग हाईवे पर यात्रा करते समय यह चेक नहीं करते हैं कि उनके फास्टटैग वॉलेट में पर्याप्त राशि है कि नहीं, जिसके कारण कई बार उनका फास्टटैग निष्क्रिय हो जाता है। ऐसी स्थिति में टोल पर पहुंचने के बाद कई लोग फास्टटैग को चार्ज करते हैं। लेकिन, अब ऐसा करना आपको महंगा पड़ सकता है, क्योंकि अगर कोई फास्टटैग टोल पर पहुंचने के एक घंटे पहले तक एक्टिवेट नहीं है तो उस पर पेनल्टी लग सकती है। यही नहीं, टोल पार करने के 15 मिनट के भीतर आपके फास्टटैग से पैसा कटना भी अनिवार्य है। ऐसा नहीं होने पर भी आपको पेनल्टी देनी पड़ सकती है। अगर आपने सबकुछ ठीक किया है और फिर भी आपको पेनल्टी लग जाती है तो आप इसे वापस लेने का दावा तो कर सकते हैं, लेकिन इसके लिए आपको 15 दिन का इंतजार करना होगा। आपको बता दें कि यह बदलाव लागू हो गया है।
भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई) और सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने फास्टैग से जुड़े दो प्रमुख नए बदलाव जारी किए हैं। सरकार ने लेन-देन और चार्जबैक प्रक्रिया को सख्त बनाने का फैसला किया है, जिससे टोल भुगतान को अधिक सुव्यवस्थित किया जा सके और विवादों को कम किया जा सके। लागू होने वाले नए फास्टैग नियम उन उपयोगकर्ताओं को प्रभावित किया है, जो भुगतान में देरी करते हैं या जिनके फास्टैग ब्लैकलिस्टेड हैं।
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