Nuclear Weapon – अमेरिकी परमाणु वैज्ञानिकों का बड़ा खुलासा
Nuclear Weapon: पूरी दुनिया में इन दिनों तीसरे विश्वयुद्ध की आहट सुनाई दे रही है। यूक्रेन से लेकर ताइवान तक परमाणु युद्ध की धमकी दी जा रही है। एटम बम से लैस चीन और पाकिस्तान से घिरा भारत एक परमाणु हथियार संपन्न राष्ट्र है और इनको दागने के लिए जमीन, हवा और पानी तीनों से ही क्षमता मौजूद है। अमेरिका के परमाणु वैज्ञानिकों ने भारतीय युद्धपोतों पर योग करने की तस्वीरों के आधार पर भारत के परमाणु हथियारों के सीक्रेट को लेकर बड़ा खुलासा किया है। वैज्ञानिकों ने इन तस्वीरों के आधार पर बताया कि भारत ने अब समुद्र के अंदर छिपी रहने वाली सबमरीन आधारित परमाणु मिसाइलों की ओर कदम बढ़ा दिया है। यही नहीं भारत ने चुपके से अपनी पुरानी नौसैनिक परमाणु मिसाइल क्षमता को रिटायर कर दिया है। इससे भारत अब दुनिया के उन कुछ चुनिंदा देशों की लिस्ट में शामिल हो गया है जो सबमरीन से परमाणु हमला करने में सक्षम हैं। भारत के पास अभी 172 परमाणु बम हैं।

सबमरीन पर बहुत तेजी से काम बढ़ाया
भारत ने अभी परमाणु ऊर्जा से चलने वाली सबमरीन पर बहुत तेजी से काम बढ़ाया है जिससे यह ताकत आने वाले समय में और ज्यादा बढ़ जाएगी। अमेरिका के फेडरेशन आफ अमेरिकन साइंटिस्ट के वैज्ञानिकों ने हाल के दिनों में भारत के युद्धपोतों की तस्वीरों के आधार पर यह निष्कर्ष निकाला है। भारत के पास जब परमाणु ऊर्जा से चलने वाली बलिस्टिक सबमरीन और सबमरीन से दागी जाने वाली मिसाइल नहीं थी, तब भारत ने इसका जुगाड़ निकाला था। भारत ने पानी में अपनी परमाणु प्रतिरोधक क्षमता को हासिल करने के लिए अपने दो ऑफशोर पेट्रोल वेसल में धनुष परमाणु मिसाइल को लॉन्च करने की क्षमता से लैस कर दिया था।
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कम दूरी तक मार करने वाली बैलिस्टिक मिसाइल
धनुष भारत की एक कम दूरी तक मार करने वाली बैलिस्टिक मिसाइल है जिसे युद्धपोत से दागा जा सकता है। यह पृथ्वी मिसाइल परिवार की ही है। इसमें पृथ्वी 1, पृथ्वी 2 और पृथ्वी एयर डिफेंस इंटरसेप्टर शामिल हैं। धनुष एक सिंगल स्टेज, तरल ईंधन से चलने वाली मिसाइल है जो परमाणु और परंपरागत दोनों ही तरह के हथियार ले जा सकती है। 2013 में सतह से सतह तक मार करने वाली इस मिसाइल का बंगाल की खाड़ी में सफल परीक्षण किया गया था। धनुष मिसाइल को नौसेना के सुकन्या क्लास के 2 युद्धपोतों आईएनएस सुभद्रा और आईएनएस सुवर्णा में तैनात किया गया था।

धनुष मिसाइल में तरल ईंधन
लड़ाई होने की स्थिति में इन दोनों ही भारतीय युद्धपोतों को चीन या पाकिस्तान के तटों के पास जाना पड़ता ताकि वे एक परमाणु हमला कर सकें लेकिन इससे वे बड़े खतरे में आ जाते और दुश्मन उनकी पहचान करके उस पर हमला कर सकते थे। इसके अलावा धनुष मिसाइल में तरल ईंधन आता था जिससे हमला करने से ठीक पहले उसमें इसे भरना होता। अमेरिकी वैज्ञानिकों ने बताया कि ये दोनों ही परमाणु मिसाइल से लैस युद्धपोत अन्य सुकन्या क्लास के युद्धपोतों से अलग है। अप्रैल 2018 में इनमें मिसाइल स्टेबिलाइजर लगा हुआ था लेकिन अब इसे हटाकर बदल दिया गया है और उसे हेलिकाप्टर के उतरने की जगह बना दिया गया है।
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युद्धपोत अक्टूबर 2022 में सेशेल्स गया था
भारत का यह युद्धपोत अक्टूबर 2022 में सेशेल्स गया था जहां से योग की तस्वीरें जारी की गईं जिससे यह बड़ा खुलासा हुआ। अब यह युद्धपोत परमाणु मिसाइल धनुष को दागने की क्षमता नहीं रखता है। भारतीय मिसाइल विशेषज्ञों का कहना है कि धनुष मिसाइल को रिटायर करना निश्चित था और यह दर्शाता है कि भारत अब परमाणु प्रतिरोधक क्षमता हासिल करने के करीब है और उसके पास सबमरीन से परमाणु हथियार को लॉन्च करने की क्षमता आ गई है। विशेषज्ञों का कहना है कि लंबी दूरी तक मार करने वाली सबमरीन लॉन्च मिसाइल के आने से अब भारत को परमाणु हमला करने के लिए दुश्मन के तट के बहुत करीब नहीं जाना होगा।
यही नहीं अगर दुश्मन की ओर से परमाणु हमला होता है तो परमाणु ऊर्जा से चलने वाली सबमरीन और पर्याप्त दूरी तक मार करने वाली मिसाइलों के बचने की संभावना सबसे ज्यादा होगी। परमाणु सबमरीन लंबे समय तक समुद्र की गहराइयों में छिपी रहने में सक्षम है और इसी वजह से दुश्मन की पकड़ में नहीं आती है। भारत पहले परमाणु हमला नहीं करने की नीति पर चलता है और इसी वजह से जवाबी हमले में परमाणु सबमरीन की अहम भूमिका होगी।
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