Pager Blast – चाइनीज प्रोडक्ट पर बैन लगाने का मामला गरमाया
Pager Blast: rfमोसाद के पेजर ब्लास्ट की घटना से चीनी जासूसी डिवाइस का मामला गर्म हो गया है। ऐसे में दोबारा से चाइनीज प्रोडक्ट बैन का मामला तूल पकड़ सकता है क्योंकि चीन पर लंबे वक्त से दुनियाभर में टेक्नोलॉजी की मदद से जासूसी करने के आरोप लगते रहे हैं। पेजर ब्लास्ट के बाद दुनियाभर की सरकारें चौकन्नी हो गई हैं। पिछले कुछ वर्षों में कई देशों में जासूसी चिप वाले चीनी निर्मित उपकरणों को लेकर चिंताएं बढ़ रही हैं। मोसाद के पेजर ब्लास्ट की घटना के बाद दोबारा से चाइनीज प्रोडक्ट बैन की मुहिम रफ्तार पकड़ सकती है। दरअसल जिस तरह से टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करके पेजर में रिमोटली ब्लास्ट किया गया है, उससे टेक्नोलॉजी और उसकी सिक्योरिटी को लेकर सवाल उठ रहे हैं।
ऐसे में चाइनीज टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल को लेकर दोबारा से चिंता जताई जा रही है। इसे देखते हुए भारत सहित दुनिया के सभी देशों में चीनी उत्पादों पर बैन की संभावना प्रबल हो गई है। यह पहला मौका नहीं है, जब चीन की टेक्नोलॉजी को शक के दायरे में खड़ा किया गया है। इस वर्ष जनवरी में आई एक रिपोर्ट के अनुसार चीनी कार, घरेलू उपकरण और लाइटबल्ब में माइक्रोचिप से जासूसी की जा सकती है। साथ ही चाइनीज लैपटॉप, वॉइस कंट्रोल स्मार्ट स्पीकर, स्मार्टवॉच, स्मार्ट एनर्जी मीटर और फ्रिज को इंटरनेट ऑफ थिंग्स की मदद से जासूसी की जा सकती है।

भारत के खिलाफ इस्तेमाल होगी चीन की टेक्नोलॉजी
सोशल मीडिया पर सवाल उठाए जा रहे हैं कि जब इजराइली जासूसी एजेंसी मोसाद की ओर से पेजर में दूर से बैठकर विस्फोट किया जा सकता है, तो चीन से आयात होने वाले इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस जैसे फोन, टीवी, इलेक्ट्रिक होम अप्लायंस प्रोडक्ट को जासूसी जैसे काम के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। साथ ही दूसरे देश में विस्फोट भी किया जा सकता है। भारत के मामले में यह खतरा ज्यादा बढ़ जाता है, क्योंकि चीन अपने दोस्त पाकिस्तान को ऐसी टेक्नोलॉजी देता है, तो उसका इस्तेमाल भारत के खिलाफ किया जा सकता है।
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हर 3 में से एक डिवाइस चाइनीज
रिपोर्ट की मानें, तो पूरी दुनिया में निर्यात की जाने वाली इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस में चीन की हिस्सेदारी करीब एक तिहाई है। मतलब पूरी दुनिया में बिकने वाली हर 3 इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं में से एक चाइनीज मेड है। चाइनीज दूरसंचार कंपनी हुआवेई की जासूसी को लेकर कई वर्ष से बीजिंग और अमेरिका के बीच टकराव जारी है। साथ ही भारत ने भी 5जी नेटवर्क से चीनी प्रोडक्ट से दूरी बना रखी है। इससे पहले अमेरिका ने चाइनीज डिवाइस के इस्तेमाल को लेकर चिंता जाहिर की थी, उनका कहना था कि इसे जासूसी के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है, जिसे चीन ने सिरे से खारिज कर दिया था, लेकिन पेजर ब्लास्ट के बाद दोबारा से चाइनीज टेक्नोलॉजी को शक के घेरे में रखा जा रहा है।

जर्मनी में इलेक्ट्रॉनिक प्रोडक्ट को हटाने का निर्देश
जर्मनी ने अगले 5 साल में अपने 5जी वायरलेस नेटवर्क से हुआवेई और चीनी दूरसंचार कंपनी जेडटीई के इलेक्ट्रॉनिक प्रोडक्ट को हटाने का निर्देश दिया है। जर्मनी की आंतरिक मंत्री नैन्सी फेसर ने जासूसी के खतरों के मद्देनजर ऐसा फैसला लिया है। वही वोडाफोन, डॉयचे टेलीकॉम और टेलीफोनिका सहित मोबाइल नेटवर्क ऑपरेटरों ने अपने 5जी कोर नेटवर्क से हुआवेई और जेडटीई के बनाए गए टेलिकॉम गियर को हटाने पर जोर दिया गया है
। भारत सरकार भी टेलिकॉम कंपनियों को 4जी और 5जी रोलआउट में चाइनीज टेलीकॉम गियर से दूर रहने को कहा है। जर्मनी और भारत की तरह अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, जापान ने 5जी नेटवर्क में चाइनीज प्रोडक्ट और उनकी कंपनियों को बैन किया है। 2019 में अमेरिका ने हुआवेई पर बैन लगा दिया था, जिससे हुआवेई को सेमीकंडक्टर चिप बेचना मुश्किल हो गया था। ऐसे में चीन और हुआवेई को खासा नुकसान उठाना पड़ा था।
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