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Reading: Teacher Invention: टीचर का अविष्कार, प्रतिदिन बचाएगा एक लाख करोड़
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टेक्नोलॉजी

Teacher Invention: टीचर का अविष्कार, प्रतिदिन बचाएगा एक लाख करोड़

रावतभाटा के एक टीचर ने एक ऐसी खोज की है जिससे बिजली का उत्पादन डबल हो जाएगा। आपको आश्चर्य होगा कि इस अविष्कार की चर्चा देशभर में हो रही है इस खोज को उन्होंने पेटेंट भी करा....

WeStory Editorial Team
Last updated: 2024/01/19 at 3:28 PM
WeStory Editorial Team
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4 Min Read
Success Story Vegetable Vendor Son
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Teacher Invention: विद्युत संयंत्र संरचना की खोज

Teacher Invention: राजस्थान के चित्तौड़गढ़ जिले में स्थित रावतभाटा के एक टीचर ने एक ऐसी खोज की है जिससे बिजली का उत्पादन डबल हो जाएगा। आपको आश्चर्य होगा कि इस अविष्कार की चर्चा देशभर में हो रही है इस खोज को उन्होंने पेटेंट भी करा लिया है। रावतभाटा में भौतिकी विज्ञान के इस वैज्ञानिक शिक्षक का नाम है एसएल छाबड़ा है जिन्होंने एक सिंगल टरबाइन ट्विन जनरेटर टाइप विद्युत संयंत्र संरचना की खोज की है। इस संयंत्र के उपयोग से वर्तमान में संयंत्रों में किया जा रहा विद्युत उत्पादन दोगुना किया जा सकता है। इसे भारत सरकार के पेटेंट कार्यालय ने उनके नाम से पेटेंट किया है। शिक्षक होने के नाते जब छाबड़ा ने हाइड्रो, थर्मल और न्यूक्लियर विद्युत संयंत्रों का अध्ययन किया, तो उन्होंने पाया कि वहां वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन के कंजरवेशन ऑफ एनर्जी के सिद्धांत का पालन नहीं हो रहा था। इसी कमी को देखते हुए उन्होंने और उनके बेटे इंजीनियर हेमंत कुमार के सपोर्ट से इस नई तकनीक का इजात किया।

Table of Contents
Teacher Invention: विद्युत संयंत्र संरचना की खोज70 प्रतिशत ऊर्जा वेस्टदेश में सैकड़ों विद्युत संयंत्र कार्यरतअल्बर्ट आइंस्टीन के सिद्धांत से प्रेरणा

70 प्रतिशत ऊर्जा वेस्ट

वर्तमान में विद्युत संयंत्रों में दाब ऊर्जा (Pressure Energy) का मात्र 30 प्रतिशत ही उपयोग हो पा रहा है, जबकि 70 प्रतिशत ऊर्जा वेस्ट जा रही है। छाबड़ा की नई तकनीक से इस waste जा रही ऊर्जा को उपयोगी बनाने की संभावना है जिससे विद्युत उत्पादन क्षमता में काफी बढ़ोतरी होगी। इस नए आविष्कार से देश में संचालित हाइड्रो पावर स्टेशन, थर्मल पावर स्टेशन और न्यूक्लियर पावर स्टेशनों में उर्जा स्रोतों के उपयोग में काफी बचत होगी। इससे देश को प्रतिदिन लगभग एक लाख करोड़ रुपए की बचत होने की संभावना है।

देश में सैकड़ों विद्युत संयंत्र कार्यरत

देश में कई हाइड्रो पावर स्टेशन, थर्मल पावर स्टेशन व न्यूक्लियर पावर स्टेशन में सैकड़ों विद्युत संयंत्र कार्यरत हैं। जहां इनके संचालन के लिए प्रतिदिन करीब दो से ढाई लाख करोड़ रुपए के ऊर्जा स्रोत (रॉ मैटेरियल) प्रयुक्त किए जाते हैं। इनका करीब 50 फीसदी भाग बिना किसी उपयोग के व्यर्थ जा रहा है। इससे देश को प्रतिदिन करीब एक लाख करोड़ रुपए मूल्य के ऊर्जा स्रोतों का व्यर्थ दोहन हो रहा है। छाबड़ा ने बताया कि वर्तमान में जितनी दाब ऊर्जा की मात्रा का उपयोग कर एक विद्युत संयंत्र जितना विद्युत उत्पादन कर रहा है, अब यदि उतनी ही दाब ऊर्जा की मात्रा नई तकनीक के सिंगल टरबाइन ट्विन जनरेटर टाइप के विद्युत संयंत्र के संचालन के लिए उपयोग की जाएगी तो वह वर्तमान तकनीक से बने विद्युत संयंत्र दोगुनी विद्युत ऊर्जा की मात्रा का उत्पादन करेगा।

अल्बर्ट आइंस्टीन के सिद्धांत से प्रेरणा

छाबड़ा ने बताया कि मूल रूप से फिजिक्स शिक्षक होने के कारण जब उन्होंने हाइड्रो, थर्मल व न्यूक्लियर विद्युत संयंत्रों का अध्ययन किया तो पाया कि वहां वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन के सिद्धांत ऑफ कंजरवेशन ऑफ एनर्जी की पालना नहीं हो रही है। इस पर उन्होंने अपने पुत्र इंजीनियर हेमंत कुमार के सहयोग से अल्बर्ट आइंस्टीन के सिद्धांत पर काम करते इस नई तकनीक का आविष्कार किया। इससे दाब ऊर्जा की 30 फीसदी ऊर्जा का ही उत्पादन हो पा रहा है, जबकि 70 फीसदी दाब ऊर्जा व्यर्थ जा रही है। एस.एल. छाबड़ा की यह खोज न केवल विद्युत उत्पादन क्षेत्र में एक मील का पत्थर साबित हो सकती है, बल्कि देश की आर्थिक स्थिरता और ऊर्जा संरक्षण के लिए भी एक बड़ी क्रांति ला सकती है। इस आविष्कार से ऊर्जा उत्पादन की प्रक्रिया को और अधिक कुशल और पर्यावरण के अनुकूल बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है।

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