Technology Sector Budget : LED इंटरैक्टिव फ्लैट पैनल डिस्प्ले पर कस्टम ड्यूटी बढ़ी
Technology Sector Budget LED – सरकार ने ओपन सेल LED टीवी पैनल पर लगने वाली इंपोर्ट ड्यूटी को कम किया है। इंटरैक्टिव डिस्प्ले पैनल पर लगने वाली इंपोर्ट ड्यूटी को 10 फीसदी से बढ़ाकर 20 फीसदी कर दिया है। इससे प्रीमियम स्मार्ट डिस्पले महंगे हो जाएंगे। वहीं स्मार्टफोन्स सस्ते हो सकते हैं, क्योंकि अब पार्ट्स पर लगने वाले इंपोर्ट ड्यूटी को हटा दिया गया है। इसके अलावा स्मार्टफोन्स एक्सेसरीज भी सस्ती हो सकती है।
इसकी वजह लिथियम आयन बैटरी पर दी गई छूट है। साथ ही सरकार भारत के लिथियम आयन बैटरी की मैन्युफैक्चरिंग को भी बढ़ावा दे रही है। मोबाइल फोन के विभिन्न पार्ट्स पर भी ड्यूटी कम की गई है। इंटरैक्टिव फ्लैट पैनल डिस्प्ले पर कस्टम ड्यूटी बढ़ा कर 20 प्रतिशत कर दिया गया है। हालांकि, LCD-LED TV ओपन सेल्स और कॉम्पोनेंट्स से ड्यूटी हटा ली गई है। इससे पहले 2.5 प्रतिशत की इंपोर्ट ड्यूटी लगती थी। इसे लोकल मैन्यूफैक्चरर्स के लिए किया गया है ताकि भारत में इसका प्रोडक्शन बढ़ सके।

मोबाइल फोन सेंसर पर कस्टम ड्यूटी खत्म
बजट 205 में पीसीबीए के पार्ट्स, कैमरा मॉड्यूल, कनेक्टर, वायर्ड हेडसेट के रॉ मैटेरियल, माइक्रोफोन और रिसीवर, यूएसबी केलब, फिंगरफ्रिंट रीडर, मोबाइल फोन सेंसर पर लगाने वाले कस्टम ड्यूटी को खत्म कर दिया गया है। पहले इन कंपोनेंट्स पर 2.5 फीसदी ड्यूटी लगती थी। इसकी वजह से स्मार्टफोन की कीमत कम हो सकती है। इसके अलावा ओपन सेल LCD और LED पैनल्स पर ड्यूटी को घटाकर 0 कर दिया गया है।
इसकी वजह से बड़ी स्क्रीन वाले डिवाइसेस की कीमत कम होगी। इसका असर भारत में मैन्युफैक्चर होने वाले लैपटॉप और टैबलेट्स पर पड़ेगा। साथ ही इंटरैक्टिव फ्लैट पैनल्स पर भी ड्यूटी को 10 फीसदी से घटाकर 5 फीसदी कर दिया गया है। इसकी वजह से स्मार्ट बोर्ड जैसे डिवाइसेस सस्ते होंगे।
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दलहन आत्मनिर्भरता मिशन की घोषणा
बजट 2025 में फसलों में विविधता लाने और आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के उद्देश्य से सरकार छह साल का दलहन मिशन शुरू करने जा रही है, जिसमें विशेष रूप से अरहर, उड़द और मसूर पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। भारत दालों का एक बड़ा उपभोक्ता और उत्पादक है तथा वह अपनी खपत की कुछ जरूरतें आयात के माध्यम से पूरी करता है। सरकार अब दालों की इन तीन किस्मों पर विशेष ध्यान देते हुए छह साल का “दलहनों में आत्मनिर्भरता मिशन” शुरू करेगी। केन्द्रीय एजेंसियां (नेफेड और एनसीसीएफ) इन तीन दालों की खरीद के लिए तैयार रहेंगी,
जो अगले चार वर्षों के दौरान उन किसानों से खरीदी जाएंगी जो इन एजेंसियों के साथ पंजीकरण कराते हैं और समझौते करते हैं। भारत में मुख्य रूप से चना, मसूर, उड़द, काबुली चना और अरहर दालों का सेवन किया जाता है। किसानों को विभिन्न प्रोत्साहनों सहित अनेक उपायों के बावजूद, भारत अभी भी अपनी घरेलू आवश्यकताओं के लिए दालों के आयात पर निर्भर है। 2023-24 में दालों का आयात लगभग दोगुना होकर 3.74 बिलियन अमरीकी डॉलर हो गया है।
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म्यांमार, ऑस्ट्रेलिया, रूस, कनाडा से आयात
दालों का एक महत्वपूर्ण उत्पादक होने के बावजूद, भारत का उत्पादन मांग के अनुरूप नहीं रहा है, जिसके कारण आयात में वृद्धि हुई है। आयात म्यांमार, ऑस्ट्रेलिया, रूस, कनाडा और कुछ अफ्रीकी देशों से किया जाता है। भारत में दालों का उत्पादन 2015-16 के दौरान 16.3 मिलियन टन से बढ़कर 2023-24 के दौरान 24.5 मिलियन टन हो गया है, लेकिन इस बीच मांग भी बढ़ी है।
एक अन्य निर्णय में सरकार ने निर्णय लिया कि संशोधित ब्याज अनुदान योजना के तहत केसीसी के माध्यम से लिए गए ऋण के लिए ऋण सीमा 3 लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये कर दी जाएगी। किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) मार्च 2024 तक 7.7 करोड़ किसानों, मछुआरों और डेयरी किसानों को अल्पावधि ऋण की सुविधा प्रदान करेगा। किसान क्रेडिट कार्ड योजना का उद्देश्य किसानों को पर्याप्त और समय पर ऋण उपलब्ध कराना है।
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