Traction Control System: पहिये में खु-ब-खुद ब्रेक लगाता है सिस्टम
आजकल ड्राइविंग के वक्त ग्राहकों की सेफ्टी को ध्यान में रखते हुए ट्रैक्शन कंट्रोल सिस्टम को गाड़ियों में दिया जाने लगा है। ये सिस्टम इस बात को डिटेक्ट करता है कि कहीं कोई पहिया रोड से ग्रिप तो लूज नहीं कर रहा, आसान भाषा में अगर समझाएं तो ये सिस्टम गाड़ी को सड़क पर फिसलने से बचाने का काम करता है। जैसे ही ट्रैक्शन कंट्रोल सिस्टम को इस परेशानी का पता चलता है
कि वह खुद-ब-खुद दिक्कत को दूर करता है ताकि कार की स्टैबलिटी बनी रहे। जैसे ही ट्रैक्शन कंट्रोल सिस्टम को पता चलता है कि पहिये की सड़क से ग्रिप छूट रही है तो ये सिस्टम उस पहिये में खु-ब-खुद ब्रेक लगाने का काम करता है या फिर कार से पहिये को मिलने वाली पावर को कट कर देता है जिससे कि पहिया फिसलने से बच जाता है।
कई गाड़ियों में मिल जाएगा ये फीचर
ट्रैक्शन कंट्रोल सिस्टम की सबसे ज्यादा जरूरत बारिश के मौसम और बर्फीली रास्तों पर पड़ती है जहां पहिये के सड़क पर फिसलने का चांस काफी ज्यादा होता है। कुल मिलाकर ये सिस्टम सिचुएशन के हिसाब से पहिये के ट्रैक्शन को एडजस्ट करने में कार चालक की मदद करता है। अगर कोई एक भी पहिया अगर सड़क से ग्रिप छोड़ देगा तो कार के पलटने का चांस काफी बढ़ जाता है और ऐसे में बड़ा सड़क हादसा भी हो सकता है।
कई बार ऐसा भी देखा गया है कि इस तरह की सिचुएशन में फिर कार को कंट्रोल कर पाना मुश्किल हो जाता है। ऐसे में ट्रैक्शन कंट्रोल सिस्टम आप लोगों के बेहद ही काम आ सकता है। Nissan Magnite,Tata Nexon, Kia Seltos के अलावा कई गाड़ियां आप लोगों को ऐसी मिल जाएंगी जिसमें सेफ्टी के लिए ट्रैक्शन कंट्रोल सिस्टम मिलता है।
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कार की सुरक्षा में अहम भूमिका
ट्रैक्शन कंट्रोल सिस्टम आजकल की कारों में काफी इस्तेमाल किया जा रहा है। इस फीचर का मुख्य काम है कि ये सड़क पर कार को फिसलने से रोकता है। इसके साथ ही कई बार सड़क पर कार के आगे के पहिए फिसलने लगते हैं, मगर इस फीचर की मदद से कार के पीछे के पहियों को कंट्रोल किया जा सकता है। ट्रैक्शन कंट्रोल सिस्टम कार की सुरक्षा में अहम भूमिका निभाता है।
ट्रैक्शन कंट्रोल सिस्टम कार के फिसलने से पहले ही ड्राइवर को अलर्ट भेज देता है। इस फीचर की मदद से गाड़ी नियंत्रित हो जाती है। अगर ये सिस्टम ऑन होता है तो फिर ड्राइवर को गाड़ी संभलकर चलानी चाहिए। ऐसा न होने पर गाड़ी का इंजन सीज भी हो सकता है। हालांकि, इसके लगातार इस्तेमाल से इंजन की क्षमता पर बुरा असर पड़ता है।

सावधान होने की जरूरत
ये आप जानते ही होंगे कि बारिश वाली जगह पर कार अक्सर फिसलती है। इसके अलावा अगर आप कार को किसी बर्फीले स्थान पर चला रहे हैं तो भी कार को सड़क पर नियंत्रित करने के लिए इस फीचर को ऑन करना होता है। वहीं, अगर ये सिस्टम बिना फिसलन वाली सड़क पर भी ऑन हो तो आपको सावधान होने की जरूरत है। दरअसल इसके ऑन होने पर आपको कार के टायर बदलने पड़ सकते हैं।
अगर कार चलाते समय इस फीचर को कंट्रोल में नहीं रखा गया तो कार हादसा का शिकार हो सकती है। अक्सर लोग बारिश और ठंड के मौसम में पहाड़ों पर घूमने जाते हैं। ऐसे में वहां की सड़कें काफी ज्यादा पानी और मिट्टी के साथ फिसलन भरी हो जाती हैं। वहीं ठंड के मौसम में बर्फ के कारण भी सड़कों पर ग्रिप कम हो जाती है। वहीं मैदानी इलाकों में भी बारिश के बाद सड़कों पर पानी होने के कारण भी टायर की ग्रिप कम हो जाती है। ऐसे में इस सेफ्टी फीचर के साथ हादसों को कम किया जा सकता है।
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एबीएस के साथ मिलता है फायदा
अगर आपकी कार में एबीएस सेफ्टी फीचर को भी दिया जाता है तो इसके साथ यह फीचर काफी ज्यादा प्रभावी तरीके से काम करता है। एबीएस की तरह ही ट्रैक्शन कंट्रोल सिस्टम भी सेंसर की मदद से काम करता है। जब एक पहिया बाकी पहियों के मुकाबले में ज्यादा घूमता है तो सेंसर की मदद से ईएससी को एक्टिवेट किया जाता है और सेंसर की मदद से कार की पावर को कम कर दिया जाता है।
वहीं ट्रैक्शन कंट्रोल व्हील सेंसर का इस्तेमाल करके टायरों में घर्षण जनरेट करता है। जब फिसलन की वजह से गाड़ी का कोई पहिया अन्य पहियों की तुलना में काफी अधिक घूमने लगता है, तब टायरों के पास लगे सेंसर इसका पता लगाते हैं। जिसके बाद कार की इलेक्ट्रॉनिक नियंत्रण प्रणाली एक्शन में आती है और काम करना शुरू कर देती है। इसके शुरू होते ही कार का ऑन-बोर्ड कंप्यूटर इंजन की पावर को थोड़ा कम कर देता है और टायरों को रोकने के लिए कार्रवाई करता है।

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