Millennials vs Generation Z: नई पीढ़ी का वैश्विक उपभोक्ता बाजार 2 ट्रिलियन डॉलर से भी ज्यादा
Millennials vs Generation Z: आज पुरानी पीढ़ी से भिन्न इस नई पीढ़ी का वैश्विक उपभोक्ता बाजार 2 ट्रिलियन डॉलर से भी ज्यादा है जिसमें वयस्क पीढ़ियों की भूमिका नहीं है। सवाल यह कि कुछ-कुछ दशकों में बदलने वाली इन पीढ़ियों को तय कैसे किया जाता है? प्यू रिसर्च सेंटर के विश्लेषक मानते हैं कि जहां मिलेनियल्स जनरेशन समाप्त होती है वहीं जनरेशन जेड शुरू हो जाती है। हालांकि प्यू रिसर्च सेंटर कभी भी इस बात का खुलासा नहीं करता कि दो भिन्न पीढ़ियों के नजरिये को वे इसलिए दस्तावेज करते हैं कि बाजार को भिन्न पीढ़ियों के लिए प्रोडक्ट बनाने में सहूलियत हो। यह संस्थान तो सिर्फ यह कहता है कि हमारा फोकस अलग-अलग पीढ़ियों की दुनिया से संबंधित दृष्टिकोण को दस्तावेज करना होता है। हालांकि इसमें छिपा उद्देश्य वास्तव में अलग-अलग विचारों वाली पीढ़ियों के लिए अलग-अलग उत्पादों को पेश करना है ताकि उनकी अपनी भिन्नता बनी रहे।
ताकि कारोबार चमकता रहे
अमेरिका में कारोबारी समूह पीढ़ियों के स्वभाव, उनकी सोच, जीवन जीने के तौर तरीकों पर नजदीकी नजर रखते हैं और भिन्नता न भी हो तो इसे बनाने की कोशिश करते हैं ताकि कारोबार चमकता रहे। हकीकत यह है कि दुनिया में हमेशा एक साथ युवा, वयस्क, मध्यम आयु वर्ग के माता-पिता और सेवानिवृत्त दादा-दादी एक ही समय में जिंदगी गुजार रहे होते हैं। उपभोक्ता बाजार एक साथ गुजारी जाने वाली इस जिंदगी की भी इतनी भिन्न पैकेजिंग कर देते हैं कि ये सब वर्ग अलग-अलग उपभोक्ता बाजार के वालंटियरों की तरह व्यवहार करते हैं।

जब सोचने-विचारने की प्रवृत्ति इतनी स्पष्ट और बारीक नहीं भी हुई थी तब भी दो पीढ़ियों को एक दूसरे से भिन्न विचारों वाला माना जाता था और वह ऐसी दिखती भी थीं। इसलिए यह सदियों पुरानी धारणा है कि नई पीढ़ी पुरानी पीढ़ी से अधिकतम बातों पर असहमत होती है। असहमति की इस धारणा को अमेरिका और दूसरे पश्चिमी देशों ने कारोबार का बड़ा जरिया बना लिया है। अमेरिका का प्रसिद्ध प्यू रिसर्च सेंटर लगातार अलग-अलग पीढ़ियों के विचारों का दस्तावेजीकरण करता रहता है और फिर बाजार उसी के मुताबिक नई पीढ़ी के लिए पुरानी पीढ़ी से भिन्न उत्पादों का बाजार में ढेर लगाती रहती है। कहना न होगा कि पश्चिम ने पीढ़ियों की इस भिन्नता को कारोबार के कैटेलेटिक एजेंट में तब्दील कर दिया है।
पूंजीवाद की मनोवैज्ञानिक रणनीति
शायद पूंजीवाद की यह मनोवैज्ञानिक रणनीति हो पर कुछ भी हो प्यू रिसर्च सेंटर के अध्यक्ष माइकल डि मॉक कहते हैं, ‘हम अपनी तरफ से कुछ नहीं करते। हम तो योजना बनाने वाले नौकरशाहों, बाजार को संचालित करने वाली ताकतों को अलग-अलग पीढ़ियों की चाहतें, उनके स्वभाव और सोचने के तौर-तरीकों भर को बताने की कोशिश करते हैं। अगर उपभोक्ता बाजार उसे अपने पक्ष में भुना सकता है तो यह उसकी ताकत है। हम तो सिर्फ अलग-अलग उम्र समूह के लोगों को रचनात्मक तरीके से समझने का एक जरियाभर पेश करते हैं।’ हालांकि बाजार की अपनी रणनीतियां हैं और तथ्यों को इस्तेमाल करने की अपनी ताकत लेकिन यह बात तो है ही कि भिन्न-भिन्न पीढ़ियां, दुनिया की घटनाओं, दुनिया में हो रहे तकनीकी विकास तथा आर्थिक व सामाजिक बदलवों के संबंध में न सिर्फ अनुभव अलग करते हैं बल्कि चाहतें भी भिन्न रखते हैं।
किसी टकराव के जिंदगी जी सकते हैं
एक ही समय में जी रहे अलग-अलग उम्र समूह के लोग अपने-अपने अनुभवों, उम्मीदों और कल्पनाओं से दुनिया को विविध रंगों और बहुनजरियों वाली बनाते हैं। इससे यह भी पता चलता है कि युवा, वयस्क और वृद्ध एक दूसरे से भिन्न रहते हुए भी अपनी भिन्नताओं के साथ आराम से बिना किसी टकराव के जिंदगी जी सकते हैं। यह एक तरह की बहुलतापूर्ण पूर्णता होती है। वृद्ध, वयस्क और युवा के बीच करीब-करीब सभी मुद्दों में भिन्नता होती है।
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इस भिन्नता को लेकर वयस्क महसूस करते हैं कि जब वे युवा थे, ऐसा ही सोचते थे और वृद्ध सोचते हैं कि उन दोनों की सोच और विचारों से वे गुजर चुके हैं। इस तरह देखें तो दुनिया भिन्न उम्र का एक सफर भर है। प्यू रिसर्च सेंटर एक दशक से मिलेनियल्स जनरेशन का अध्ययन कर रहा है। इसका मानना है कि 2018 तक आते-आते यह स्पष्ट हो गया था कि अब वह कटऑफ प्वाइंट आ गया है जब हम एक नई जनरेशन का नामकरण कर लें। इस तरह 1980 से शुरू हुई मिलेनियल जनरेशन का 38 सालों तक प्रभावशाली समय रहा और अब जनरेशन जेड शुरू हो चुकी है।

मिलेनियल्स का अंतिम जन्म वर्ष 1996 था
वैसे प्यू रिसर्च का यह भी मानना है कि मिलेनियल्स का अंतिम जन्म वर्ष 1996 था। 1981 और 1996 के बीच पैदा हुए किसी भी व्यक्ति की आयु 2019 में 23 से 38 साल के बीच थी और यही मिलेनियल्स जनरेशन थी। इस तरह देखें तो 1997 में पैदा हुआ कोई भी शख्स नई पीढ़ी का हिस्सा था और यह नई पीढ़ी भी 2019 में 22 साल की हो चुकी थी लेकिन जहां एक तरफ किस पीढ़ी के शुरुआती सदस्य 22 वर्ष के थे वहीं अधिकांश अभी किशोर हुए या उससे भी कम उम्र के और कुछ तो अभी शिशु ही थे।
इसलिए लंबे समय तक यह झिझक रही कि आखिर इस जनरेशन का नाम क्या दिया जाए? हालांकि फिर लौटकर उन बातों पर आते हैं कि इस बटंवारे का या इस भिन्नता को मार्क करने का कोई सटीक विज्ञान नहीं है और इनसे संबंधित हर विश्लेषण को चुनौती दी जा सकती है। फिर भी अलग-अलग पीढ़ियों को चिन्हित करने के लिए, उन्हें समझने के लिए, उनकी भिन्नता को स्थापित करने के लिए कोई न कोई नाम तो देना ही पड़ेगा। इसलिए 1965 से 1980 के बीच पैदा हुए लोगों को जनरेशन एक्स और 1981 से 1996 के बीच पैदा हुए लोगों को मिलेनियल्स और 1997 के बाद पैदा हुए लोगों को जनरेशन जेड नाम दिया गया है।
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