Johny Hot Dog, Indore – 42 साल से ‘जॉनी हॉट डॉग’ नाम से शॉप चला रहे हैं विजय राठौर
Johny Hot Dog, Indore: इंदौर के यूनिक स्ट्रीट फूड में 51, 52 नंबर शॉप 62 साल के विजय सिंह राठौर की है, लेकिन यहां के लोग इन्हें जॉनी भाई या दादू के नाम से बुलाते हैं और सलाम-नमस्ते करते हुए गुजरते हैं। विजय राठौर पिछले 42 साल से ‘जॉनी हॉट डॉग’ नाम से शॉप चला रहे हैं। हर दिन 2,000 से ज्यादा हॉट डॉग बेचते हैं। सालाना 2 करोड़ से ज्यादा का बिजनेस कर रहे हैं। 2019 में उन्होंने 3 करोड़ का बिजनेस किया था। दरअसल, हॉट डॉग अमेरिकी डिश है, लेकिन विजय आलू की टिक्की को ब्रेड में भरकर अपने स्टाइल में कस्टमर को परोसते हैं। साल 2019 में विजय राठौर को UBEREATS की तरफ से एशिया में 90 दिनों में सबसे ज्यादा ‘हॉट डॉग’ बेचने का खिताब मिल चुका है। विजय राठौर इसके पीछे का कारण कस्टमर का विश्वास, जॉनी हॉट डॉग का स्वाद और किफायती रेट बताते हैं, लेकिन यहां तक पहुंचने के पीछे उनकी लंबी और संघर्ष भरी कहानी है।

हर वक्त अच्छी-खासी भीड़
जब आप इनकी दुकान पर आएंगे तो हर वक्त अच्छी-खासी भीड़ नजर आएगी। दो-चार घंटे यदि आप इस गली में गुजार दें, तो कुछ ऐसे लोग भी मिल जाएंगे, जो दो-तीन बार हॉट डॉग खाते हुए दिख जाएंगे। विजय सिंह राठौर तवे पर टिक्की गर्म करते हैं और फिर उसे ब्रेड के बीच डालकर कस्टमर को परोसते हैं। इसे ही हॉट डॉग कहा जाता है। विजय राठौर हमें 60-70 के दशक में लेकर लौटते हैं। बताते हैं, गरीबी इतनी थी कि कई दिनों भूखे पेट ही सो जाना होता था। कुछ खाने को नहीं मिलता था। बिस्किट खाकर रहना पड़ता था। पापा पलायन कर मध्यप्रदेश के धार जिले से इंदौर आ गए थे। वे दिहाड़ी मजदूरी करते थे।
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इंजीनियरिंग कॉलेज की कैंटीन में काम
जब मैं 8 साल का हुआ, तो मजदूरी करनी शुरू कर दी। लोगों को चाय पिलाना और कप-प्लेट धोने का काम करने लगा। उस वक्त महीने के 5 रुपए मिल जाते थे। 11 साल का हुआ, तो इंदौर के गवर्नमेंट इंजीनियरिंग कॉलेज की कैंटीन में काम करने लगा। यहां स्टूडेंट्स को चाय, ब्रेड, टिक्की परोसता था। यह करीब 6 साल तक चलता रहा। गरीबी के कारण महज 8वीं तक की पढ़ाई ही कर पाया। पढ़ा लिखा नहीं था, तो कोई ढंग का काम भी नहीं मिलता था। विजय राठौर अपनी दुकान दिखाते हुए कहते हैं, घर के हालात और कमाई देखकर सोचता था कि कुछ अपना करूं। इस तरह से कब तक भूखा पेट सोना पड़ेगा। 8 भाई-बहनों का परिवार था।

1978 में ‘छप्पन दुकान’ में फूड स्टॉल लिया
विजय राठौर 18 साल के हुए, तब उन्होंने 1978 में ‘छप्पन दुकान’ में अपना फूड स्टॉल किराए पर लेकर शुरू किया। वो कहते हैं, मैं कुछ अलग बेचना चाहता था। समोसे और कचौड़ी जैसा फूड आइटम्स नहीं। इतने पैसे भी नहीं थे कि इन सब चीजों का धंधा कर सकूं। फिर आपने हॉट डॉग बनाना सीखा कैसे ? पूछने पर विजय को उनकी मां याद आने लगती हैं, जिनकी मौत करीब 11 साल पहले ब्रेस्ट कैंसर की वजह से हो गई थी। वे कहते हैं, मां घरों में काम करने जाती थी। उसे अच्छा खाना बनाना आता था, तो उन्होंने ही मुझे आलू टिक्की बनाना सिखाया। फिर मैंने ब्रेड के बीच टिक्की को डालकर चटनी के साथ इसे बेचना शुरू किया।
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2006 के बाद मार्केट ग्रोथ करने लगा
कस्टमर ने ही इसे ‘हॉट डॉग’ नाम दे दिया, तब से जॉनी हॉट डॉग नाम से मेरी दुकान है। दिलचस्प है कि विजय राठौर ने आज तक कभी ओरिजिनल हॉट डॉग नहीं खाया। वे कहते हैं, इंदौर के एक थिएटर में सिर्फ इंग्लिश मूवी दिखाई जाती थी। मुझे समझ में तो कुछ आता नहीं था, लेकिन फिल्में देखने का शौक था। किसी तरह कोने में छुपकर बैठ जाता था। उसकी कैंटीन में हॉट डॉग नाम से कोई स्नैक्स बिकता था, लेकिन बाद में थिएटर ही बंद हो गया। जब विजय ने हॉट डॉग बनाने की शुरुआत की, तो 50 पैसे में वेज हॉट डॉग और 75 पैसे में नॉन-वेज हॉट डॉग बेचा करते थे। वे कहते हैं, हर दिन 30 हॉट डॉग बिक जाए, यही बड़ी बात थी। बहुत कम कस्टमर आते थे। आज हम हर रोज 2 हजार हॉट डॉग बेचते हैं।
इसके लिए 200 किलोग्राम आलू, 50 किलोग्राम प्याज, 2,000 से ज्यादा ब्रेड और 60 किलो के करीब केचप का इस्तेमाल होता है। आलू की टिक्की बनाने में हर तरह का मसाला, चने का बेसन, हरा धनिया पत्ता, मिर्च पाउडर, घी समेत कई चीजों का इस्तेमाल करते हैं। विजय राठौर कहते हैं, 2006 के बाद से धीरे-धीरे मार्केट ग्रोथ करने लगा। जो लोग एक बार खाते, वो फिर कनेक्ट हो जाते। यदि किसी कस्टमर की टेस्ट को लेकर कोई शिकायत होती, तो उसमें हम सुधार करते। इससे कस्टमर के बीच विश्वास बनने लगा। कह सकता हूं कि कस्टमर ने ही मुझे ये सारी चीजें सिखाई। विजय कहते हैं, जितना भी रॉ मटेरियल हम यूज करते हैं, वो लोकल मार्केट का होता है।

ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर ला दिया
विजय के बेटे हेमंदर राठौर भी अब इस बिजनेस में जुड़ चुके हैं। हेमंदर ने मैकेनिकल इंजीनियरिंग करने और कई साल तक अलग-अलग जगहों पर जॉब करने के बाद उन्होंने ‘जॉनी हॉट डॉग’ को ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर ला दिया है। ऑनलाइन फूड मार्केटिंग का पूरा जिम्मा हेमंदर संभालते हैं। विजय कहते हैं, अब मेरा सपना पैसे कमाना नहीं है। इसलिए सालों से कम रेट पर हॉट डॉग की तीन कैटेगरी बेच रहा हूं। टोटल टर्नओवर पर सालाना 20% का नेट प्रॉफिट होता है। अब चाहता हूं कि देश की सेवा कर रहे जवानों को अपने हाथों से बने हॉट डॉग खिलाऊं।
विजय राठौर कस्टमर से कुछ वक्त निकालते हुए कहते हैं, कई जानी-मानी हस्तियों के अलावा विदेशों से आने वाले वाले लोग भी मेरे बनाए हॉट डॉग खाते हैं। कई कंपनियों ने फ्रेंचाइजी खोलने, अलग-अलग आउटलेट सेटअप करने और इन्वेस्टमेंट का न्योता दिया, लेकिन मैं इन चीजों से अब डरता हूं। सोचता हूं, अब उम्र भी वो नहीं रही। कस्टमर का विश्वास न खो दूं। कुछ लोग धमकी देने के लिए भी आ जाते हैं। कई बार ऐसा भी हुआ कि मुझे लगा कि दुकान बंद कर देनी चाहिए, लेकिन कस्टमर को देखकर मन बदल जाता है। अब यही मेरा घर-परिवार लगता है। इस उम्र में भी हर दिन 10 घंटे यानी 600 मिनट काम करता हूं।
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