Manufacturing Activities – दुनिया के सबसे ऊंचे टैरिफ वाले देशों में से एक भारत : ट्रंप
Manufacturing Activities: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि उन्होंने एप्पल के सीईओ टिम कुक से कह दिया है कि वे भारत में अपनी विनिर्माण गतिविधियों का विस्तार न करें, जब तक कि वह विस्तार विशेष रूप से भारत के घरेलू बाजार के लिए न हो। उन्होंने यह भी दावा किया कि भारत ने अमेरिका पर लगाए गए सभी शुल्क हटाने की पेशकश की है। ट्रंप यह बात अमेरिका और कतर के व्यापारिक नेताओं के साथ बैठक के बाद कह रहे थे। ट्रंप का यह बयान और हाल के कुछ अन्य बयान उनके कथित दोस्त प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पीठ में छुरा घोंपने जैसे हैं।
क्या कहा ट्रंप ने : मेरी टिम कुक से बातचीत हुई। मैंने कहा, ‘टिम, तुम मेरे दोस्त हो, मैंने तुम्हारे साथ बहुत अच्छा व्यवहार किया है, तुम (अमेरिका में) 500 अरब डॉलर की घोषणा के साथ आ रहे हो, और अब मैं सुन रहा हूं कि तुम पूरे भारत में निर्माण कर रहे हो। मैं नहीं चाहता कि तुम भारत में निर्माण करो। भारत अपनी चिंता खुद कर सकता है, क्योंकि वह दुनिया के सबसे ऊंचे टैरिफ वाले देशों में से एक है।’
ट्रंप की टिप्पणी क्यों महत्वपूर्ण है
ट्रंप की यह टिप्पणी ऐसे समय आई है जब टिम कुक ने पुष्टि की है कि चीन से जुड़ी व्यापार अनिश्चितताओं के चलते एप्पल जून तिमाही में अमेरिका में बिकने वाले अधिकांश आईफोन का निर्माण भारत में करेगा। कंपनी अगले कुछ वर्षों में अपने कुल आईफोन निर्माण का एक चौथाई भारत में स्थानांतरित करना चाहती है, जो चीन पर निर्भरता को धीरे-धीरे कम करने की योजना का हिस्सा है। इस महीने की शुरुआत में निवेशकों के साथ बातचीत के दौरान कुक की इस घोषणा के बाद एक बड़ा घटनाक्रम हुआ। अमेरिका और चीन के बीच टैरिफ विवाद में प्रारंभिक तनाव के बाद अब एक अंतरिम व्यापार समझौता हो गया है। यह समझौता ऐसे समय पर हुआ है, जब अमेरिका और चीन के बीच व्यापारिक तनाव का भारत को फायदा मिल रहा था, क्योंकि अमेरिकी खरीदार 145 प्रतिशत शुल्क के कारण चीनी सामान की जगह भारतीय आपूर्तिकर्ताओं की ओर रुख कर रहे थे। यह व्यापक रूप से माना जा रहा था कि चीन पर ऊंचे टैरिफ की वजह से एप्पल जैसी कंपनियां तेजी से भारत की ओर शिफ्ट होंगी, जहां कंपनी ने पहले ही एक मजबूत असेंबली बेस विकसित कर लिया है। अमेरिका-चीन के संबंधों में कोई भी सुधार भारत में सप्लाई चेन शिफ्ट को चुनौती दे सकता है।
Read more: US Saudi Arabia Arms Deal: अमेरिका-सऊदी में 124 अरब डॉलर का हथियार सौदा
अमेरिका-चीन समझौते की छाया
हालांकि, भारत सरकार अमेरिका-चीन समझौते को लेकर ज्यादा चिंतित नहीं है, क्योंकि उसका मानना है कि एप्पल का भारत की ओर रुख केवल टैरिफ के दबाव के कारण नहीं था, बल्कि 2020 में ही शुरू हो गया था, जब भारत ने वैश्विक इलेक्ट्रॉनिक विनिर्माण केंद्र बनने की महत्वाकांक्षा जताई थी। यह अभी भी स्पष्ट नहीं है कि अगर अमेरिका-चीन व्यापार समझौते से बीजिंग को टैरिफ राहत मिलती है तो एप्पल जैसी कंपनियों की सप्लाई चेन कैसी प्रतिक्रिया देगी। चीन की तकनीकी दक्षता और इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र में कुशल मानव संसाधन को आम तौर पर भारत की तुलना में कहीं बेहतर माना जाता है। लेकिन जो बात स्पष्ट है, वह यह है कि अमेरिका-चीन व्यापारिक रिश्तों में सुधार नई दिल्ली के नीति निर्माताओं के लिए अच्छी खबर नहीं है।
एप्पल: भारतीय सब्सिडी का सबसे बड़ा लाभार्थी
एप्पल ने 2020 में भारत में निर्माण को बढ़ावा देना शुरू किया, जब भारत सरकार ने स्मार्टफोन निर्माण के लिए प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआई) स्कीम की घोषणा की। इस योजना के तहत सरकार ने कंपनियों को उनकी अतिरिक्त बिक्री के आधार पर सब्सिडी देने का प्रावधान किया। शुरुआत में एप्पल ने भारत में पुराने मॉडल्स का निर्माण शुरू किया था, लेकिन आज वह सभी मॉडल्स, यहां तक कि उच्च श्रेणी के प्रो मॉडल्स का भी उत्पादन कर रहा है। एप्पल और उसके कॉन्ट्रैक्ट निर्माताओं को इस योजना का सबसे अधिक लाभ मिला है, जिसने उसे चीन से कुछ उत्पादन भारत में स्थानांतरित करने में मदद की। कंपनी ने भारत में तीन निर्माताओं के साथ शुरुआत की फॉक्सकॉन और टाटा द्वारा अधिग्रहीत विस्ट्रॉन व पेगाट्रॉन।
– 6,600 करोड़ की सब्सिडी मिली है इन तीनों को तीन वर्षों में
– 2,450 करोड़ की सबसे अधिक सब्सिडी मिली 2023-24 में फॉक्सकॉन को
- Pakistan Hunger Emergency: पाकिस्तान में बढ़ी भुखमरी, गंभीर खाद्य असुरक्षा से प्रभावित एक करोड़ से ज्यादा लोग - May 31, 2025
- JK Tyre, ISCC Certified Sustainable Tyres: जेके टायर ने की पैसेंजर कार टायर मैन्युफैक्चरिंग की शुरुआत - May 31, 2025
- Vedanta Mining company: लीडरशिप रोल्स में 28% महिलाएं, कुल कार्यबल में महिलाओं की संख्या 21% - May 30, 2025