Rent Agreement: जबरदस्ती रहने की कोशिश में कानूनी एक्शन
कोई भी किरायेदार जहां रहता है, कुछ छोटे मोटे काम तो अक्सर कराता ही है। कई बार तो वह इसकी सूचना तक मकान मालिक को देना जरूरी नहीं समझता। लेकिन टायलेट सीट बदलवाना या मकान में बड़ा फेरबदल करवाना हो तो, यह निर्णय किरायेदार मकान मालिक से पूछे बिना नहीं ले सकता। अगर मकान मालिक इसकी इज़ाजत देता है, तो यह बात उसी समय तय हो जानी चाहिए कि जब वह मकान छोड़ेगा तो उसे अपने साथ ले जायेगा या वहीँ छोड़ जायेगा। अगर ऐसी सहमति के बाद दोनों में से कोई एक पक्ष उसका उल्लंघन करता है तो लीगल एक्शन हो सकता है। मकान मालिक भी और किरायेदार दोनों इस मसले में पुलिस को बुला सकते हैं।
हर बात लिखी जाती है रेंट एग्रीमेंट में
यदि किरायेदार मकान मालिक के साथ मारपीट करता है तो पुलिस किरायेदार के विरूद्ध आईपीसी की धारा 323 (चोट पहुंचाना), 341 (गलत तरीके से रोकना), 452 (हमला करना, चोट पहुंचाना), इन धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज कर सकती है। लेकिन सवाल है कि इस संबंध में रेंट एग्रीमेंट का नियम क्या कहता है? रेंट एग्रीमेंट के मुताबिक जब कोई मकान मालिक किसी किरायेदार को अपना मकान किराए पर देता है, तो उसमें हर बात लिखी जाती है।
मसलन- किरायेदार घर में कोई बदलाव, कोई इम्पलीमेंट अगर करायेगा तो यह पहले से लिखित में तय होगा कि वह जाते समय उन चीजों को अपने साथ ले जायेगा और किरायेदारी के लिए मकान देते समय मकान की जो स्थिति थी, उसी स्थिति में मकान मालिक को सौंपेगा। अगर एग्रीमेंट में यह पहले से लिखवा लिया जाता है कि किरायेदार मकान में कोई छेड़छाड़ करेगा, कोई चीज लगायेगा, तो उसे जाते समय नहीं ले जा सकता, तो फिर वह नहीं ले जा सकता, चाहे कितनी ही लागत की वह चीज क्यों न हो।
एग्रीमेंट को रजिस्टर्ड कराना जरूरी
किरायेदार और मकान मालिक के बीच झगड़ा न हो, किसी तरह की गलतफहमियां न हों, इसलिए 11 महीने का जो रेंट एग्रीमेंट बनवाया जाता है,उसमें हर चीज लिखी जानी चाहिए मसलन- रेंट एग्रीमेंट 11 महीने के लिए होता है और यह समयावधि उस एग्रीमेंट में स्पष्ट रूप से लिखी होनी चाहिए। साथ ही एग्रीमेंट को रजिस्टर्ड कराना भी जरूरी है। अगर किरायेदार 11 महीने के तयशुदा एग्रीमेंट के बाद और आगे समय तक रहना चाहता है, तो मकान मालिक को नयी अवधि शुरू होने के पहले ही एग्रीमेंट को रिन्यू करवाना होगा। लेकिन अगर मकान मालिक किरायेदार को आगे मकान नहीं देना चाहता, तो किरायेदार 11 महीने के बाद जबरदस्ती मकान में नहीं रह सकता। अगर वह जबरदस्ती रहने की कोशिश करता है, तो मकान मालिक उसके खिलाफ पुलिस एक्शन ले सकता है।
पुलिस वेरीफिकेशन भी जरूरी
इसके साथ ही मकान मालिक किसी किरायेदार को बिना पुलिस वेरीफिकेशन मकान किराए पर नहीं दे सकता। अगर वह व्यक्ति मकान मालिक का कोई जानकार या रिश्तेदार भी भी है, तो भी पुलिस वेरीफिकेशन जरूरी होता है। कोई किरायेदार पुलिस वेरीफिकेशन के लिए इंकार करके मकान नहीं ले सकता। इसके लिए मकान मालिक को व्यक्तिगत रूप से अदालत दोषी ठहरा सकती है। पुलिस के पास किरायेदार के वेरीफिकेशन के लिए एक फॉर्म होता है, पुलिस मकान मालिक को यह कहकर किरायेदार के वेरीफिकेशन को इंकार नहीं कर सकती कि उसके पास वेरिफिकेशन फॉर्म नहीं है। वेरिफिकेशन के समय किरायेदार को पुलिस के सामने उपस्थित रहना होगा, साथ ही अपनी फोटो, आधार कार्ड कॉपी जमा करना होगा ताकि उन्हें वेरीफिकेशन फॉर्म में लगाया जा सके।
पृष्ठभूमि की छानबीन
मकान मालिक चाहे तो अपने किरायेदार की पृष्ठभूमि या उसके स्वाभाव और व्यवहार को जानने के लिए उसके पुराने मकान मालिक से बातचीत कर सकता है। किरायेदार इस पर आपत्ति नहीं कर सकता। मॉडल टेनेंसी एक्ट के सेक्शन 5 के मुताबिक रेंट एग्रीमेंट अपनी तय अवधि के बाद लीगल डाक्यूमेंट नहीं रहता। किरायेदार मकान मालिक को जो किराया देता है, उसकी वह बकायदा प्राप्ति की रसीद ले सकता है और उन्हें अपने खर्च के दस्तावेज के रूप में इन्कम टैक्स रिटर्न में भी दिखा सकता है। साथ ही जहां भी कानूनी तौरपर उसकी जरूरत हो, वहां इसे इस्तेमाल कर सकता है।
लीगल नोटिस दे सकता है
मॉडल टेनेंसी एक्ट के चलते अगर समय खत्म होने के बाद किरायेदार मकान मालिक के कहने के बावजूद मकान खाली नहीं करता तो मकान मालिक को पहले इसके लिए लीगल नोटिस देगा, फिर वह पुलिस की सहायता ले सकता है और चाहे तो रेंट कंट्रोल अथॉरिटी की मदद लेकर भी किरायेदार को घर से निकलवा सकता है, लेकिन वह खुद किरायेदार का सामान घर से निकालकर बाहर नहीं फेंक सकता। अगर मकान मालिक को लगता है किरायेदार ने उसकी प्रॉपर्टी पर कब्जा कर लिया है तो मकान मालिक को आईपीसी की धारा 103 के चलते फ़ौरन 100 नंबर या 112 नंबर पर डायल करना चाहिए और पुलिस की मदद लेनी चाहिए।
इसके साथ ही मकान मालिक को किरायेदार से समय पर नियमित रूप से किराया लेने का भी हक है। साथ ही वह किरायेदार को घर साफ रखने की हिदायत भी दे सकता है। अगर 11 महीने के पहले किरायेदार मकान खाली करना चाहता है तो उसे एक महीने पहले नोटिस देना होगा। साथ ही कोई किरायेदार बिना मकान मालिक की अनुमति के किसी दूसरे व्यक्ति को अपने साथ घर पर नहीं रख सकता और न ही अपनी तरफ से अपने बाद वह किसी और किरायेदार के रूप में रख सकता है।
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