Bollywood Superstardom: दिलीप कुमार या अमिताभ बच्चन बनने में लगता है समय
नब्बे के दशक के सुपरस्टार्स को आप कभी राइट-ऑफ नहीं कर सकते। दुर्भाग्य से एक फिल्म के फ्लॉप होने के बाद लोग उनका शोक गीत लिखने लगते हैं। वह हर स्टार के जीवन का हिस्सा हैं। यही बात एसआरके पर भी लागू होती है। देखिये उन्होंने कैसी धमाकेदार वापसी की। मेरा कहना है कि टिकेट बेचने के लिए उनका नाम ही काफी है।” आमिर खान की ‘लाल सिंह चड्ढा’ (2022) भले ही सफल न हुई हो, लेकिन उनकी पिछली हिट फिल्में जैसे ‘दंगल’ (2016) व ‘3 इडियट्स’ (2009) उनके फैन बेस का सबूत हैं। आर बाल्कि एसआरके का उदाहरण अपवाद मानते हैं।
उनके अनुसार, “एसआरके जैसा स्टार अति दुर्लभ है। चार वर्ष गायब रहने के बाद भी लोग उन्हें देखना चाहते हैं। मैं सुपरस्टार्स की विस्तृत श्रेणी के बारे में नहीं जानता, लेकिन यहां मामला केवल एक व्यक्ति का है। क्या नई पीढ़ी एसआरके जैसी सफलता को दोहरा सकती है? इस पंक्ति में बहुत कम लोग हैं, जैसे रणबीर कपूर, लेकिन उन्हें समय लगेगा। इसी क्रम में ट्रेड एक्सपर्ट अतुल मोहन कहते हैं कि आजकल तो कुछ एक्टर्स एक दो हिट के बाद ही खुद को ‘सुपरस्टार’ मानने लगते हैं जबकि दिलीप कुमार या अमिताभ बच्चन बनने में समय लगता है।
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पब्लिक के दिल में जगह होनी चाहिए
दरअसल, सुपरस्टार की परिभाषा केवल बॉक्स ऑफिस की सफलता तक सीमित नहीं है, इसका संबंध दर्शकों पर प्रभाव डालने से भी है। दरअसल “पब्लिक के दिल में जगह होनी चाहिए। जो आम आदमी पे बीत रही है, अगर उससे वह स्टार कनेक्ट कर पाये तो लोग कहते हैं, अरे यह तो मेरी कहानी है। ऐसा स्टार सुपरस्टार होता है।” ‘पा’ व ‘चीनी कम’ जैसी सफल फिल्मों का निर्देशन करने वाले आर बाल्कि का कहना है, “सीधी सी बात है कि जिस व्यक्ति को देखने के लिए आप पैसे खर्च करने के लिए तैयार रहते हैं, वह ही सुपरस्टार है।”
सिने प्रेमियों ने ‘पठान’ की रिलीज पर न केवल रिकॉर्ड एडवांस बुकिंग की बल्कि ढोल, नगाड़े बजाते व पटाखे फोड़ते हुए सिनेमाघरों तक गए और शाहरुख खान के पोस्टरों की आरती उतारी व पूजा की। अब इस बात की तुलना उन वक्तव्यों से कीजिये जिनमें घोषणा कर दी गई थी कि शाहरुख खान का फिल्मी करिअर समाप्त हो गया है।

कंटेंट ‘हॉट’ शब्द बन गया था
ध्यान रहे कि जब बड़े सितारों से सजी कुछ फिल्में बॉक्स ऑफिस पर नहीं चली थीं तो कुछ आलोचक सुपरस्टार्स के दौर को समाप्त होना बताने लगे थे। कंटेंट ‘हॉट’ शब्द बन गया था, विशेषकर ओटीटी के आने से। लेकिन अजय देवगन की हिट फिल्म ‘दृश्यम 2’ का निर्देशन करने वाले अभिषेक पाठक का कहना है, “कंटेंट और सुपरस्टार्स मिलकर बहुत ऊंची उड़ान भर सकते हैं। जाहिर है कंटेंट आपको कुछ दूर तो लेकर जाता है, लेकिन आखिरकार स्टार के कारण ही फिल्म आम दर्शकों तक पहुंच पाती है। स्टार न हों तो अच्छे कंटेंट वाली फिल्में फिल्मोत्सव तक सीमित रह जाती हैं। बिना शाहरुख के ‘पठान’ की या बिना
अजय के ‘दृश्यम’ की कल्पना नहीं की जा सकती थी। स्टार्स कभी जाने वाले नहीं हैं।” फिल्म ‘पठान’ भारी विरोध व विवाद के बावजूद दर्शकों ने न केवल मल्टीप्लेक्स में बल्कि एकल स्क्रीन थिएटरों में भी भीड़ लगायी अपने किंग ऑफ रोमांस शाहरुख खान को एक्शन हीरो के रूप में देखने के लिए। यह भारतीय सिनेमा इतिहास में पहला अवसर था, जब किसी नई फिल्म का पहला शो सिनेमाघरों में सुबह छह बजे आयोजित किया गया। यही नहीं, विशेषज्ञों ने लिख दिया था कि एकल स्क्रीन थिएटरों का समय समाप्त हो गया है।
अधिकतर शहरों में एकल स्क्रीन थिएटरों को तोड़कर उनकी जगह मल्टीप्लेक्स बनाये जाने लगे थे। लेकिन ‘पठान’ को देखने के लिए लोग न केवल एकल स्क्रीन थिएटरों में जमा हुए बल्कि हॉल में नाचे व पैसे भी बरसाये। थिएटरों में पब्लिक के लौटने से पूरा बॉलीवुड उत्साहित है, उसे पुराने दिन लौटते हुए प्रतीत हो रहे हैं। गौरतलब है कि लगभग चार वर्ष के अंतराल के बाद बड़े पर्दे पर लौटने वाले शाहरुख खान ने कुछ समय पहले भविष्यवाणी की थी कि अब लोग सिनेमाघरों में केवल फिल्म देखने के लिए नहीं बल्कि जश्न मनाने के लिए जायेंगे। सिने प्रेमी ‘पठान’ का उत्सव ही मना रहे थे। आज से पहले किसी फिल्म के लिए इतना जोश नहीं देखा गया। इससे यही साबित होता है कि शाहरुख खान सुपरस्टार हैं और सुपरस्टारों का दौर समाप्त नहीं हुआ है।
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ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर फिल्में देखने का चलन बढ़ा
कोविड महामारी व लॉकडाउन के दौरान ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर फिल्में देखने का चलन बढ़ गया था। लोग फिल्में देखने के लिए घर से कम बाहर निकल रहे थे, फिर काफी समय तक सिनेमाघर भी बंद रहे। फलस्वरूप थिएटरों में रिलीज होने वाली अधिकतर फिल्में फ्लॉप होने लगीं या आशा के अनुरूप कमाई नहीं कर पा रही थीं। हैशटैग बायकाट चलाने वालों को लगने लगा कि उनकी मुहिम के कारण फिल्में फ्लॉप हो रही हैं।
स्वयंभू विशेषज्ञ घोषणा करने लगे कि सुपरस्टारों का युग समाप्त हो गया है, अब कंटेंट व पटकथा ही स्टार है। इस पृष्ठभूमि में बॉलीवुड के किसी भी नामी चेहरे में ‘बायकाट पठान’ मुहिम का विरोध करने का खुलकर साहस नहीं था, सब अपनी अपनी फिल्मों को लेकर डरे हुए थे कि कहीं उनकी फिल्मों के पोस्टर भी फाड़े न जायें। ऐसे में शाहरुख खान ने कहा कि वह हवा से हिलने वाले पेड़ नहीं हैं और जब पहले पांच दिन में लगभग 500 करोड़ रूपये का कलेक्शन ‘पठान’ ने किया तो यह साबित हो गया कि उनका स्टारडम अभी खत्म नहीं हुआ है।
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