Shapoorji Pallonji Group : कुल 15 कंपनियां, 40 हजार करोड़ का टर्नओवर
Shapoorji Pallonji Group – 1860 के दशक की बात है। पारसी कम्युनिटी से आने वाले पालोनजी मिस्त्री कंस्ट्रक्शन का काम करते थे। वह छोटे-मोटे कंस्ट्रक्शन का टेंडर लेते थे। उसी दौरान 1865 में उन्होंने एक अंग्रेज लिटलवुड के साथ मिलकर एक कंपनी शुरू की। कंपनी का नाम रखा गया ‘लिटलवुड पालोनजी एंड कंपनी’। उन्हें पहला काम मुंबई के चौपाटी में पेवमेंट यानी फुटपाथ कंस्ट्रक्शन का मिला था। छह महीने तक चले इस प्रोजेक्ट से उन्होंने 2 हजार रुपए का प्रॉफिट कमाया। यह उस समय बड़ी रकम थी। साल 1887 के आस-पास कंपनी को मुंबई के मालाबार हिल्स पर रिजर्वायर यानी जलाशय बनाने का प्रोजेक्ट मिला। आज 137 साल बाद भी मुंबई के लोग इस रिजर्वायर पर निर्भर है। कुछ साल बाद पालोनजी मिस्त्री के बेटे शापूरजी ने कंपनी जॉइन की। जिसके बाद लिटलवुड को बाहर कर के कंपनी का नाम शापूरजी पालोनजी ग्रुप कर दिया गया।

सेना और पीडब्ल्यूडी के लिए काम किए
1921 में पालोनजी मिस्त्री के निधन के बाद शापूरजी ने कंपनी की कमान संभाल ली। शुरुआत में सेना और पीडब्ल्यूडी के लिए साधारण काम किए। कम्युनिटी हॉल और नगरपालिका के कंस्ट्रक्शन का भी काम किया। शापूरजी के कंपनी जॉइन करने के बाद कंपनी को सबसे बड़ा प्रोजेक्ट 1930 में ‘बॉम्बे सेंट्रल टर्मिनल’ बनाने का मिला। 21 महीने और 1.6 करोड़ रुपए में बॉम्बे सेंट्रल टर्मिनल का काम पूरा हुआ। इस काम के लिए मुंबई के तत्कालीन गवर्नर सर फ्रेडरिक साइक्स ने शापूरजी की तारीफ की थी। 1947 में शापूरजी मिस्त्री के बेटे पालोनजी मिस्त्री ने 18 साल की उम्र में कंपनी जॉइन की। इन्होंने ही आगे चलकर कंपनी को विदेशों तक पहुंचाया। पालोनजी मिस्त्री का नाम उनके दादा जी के नाम पर रखा गया था। जिन्होंने इस कंपनी की शुरुआत की थी।

‘अल आलम पैलेस’ को तैयार किया
पालोनजी की लीडरशिप में ही 1970 के दशक में कंपनी ने ओमान के सुल्तान के लिए महल तैयार करने का कॉन्ट्रैक्ट लिया। यह पहली बार था जब कंपनी ने देश के बाहर कोई काम पूरा किया। ओमान के मस्कट में बसे इस ‘अल आलम पैलेस’ को शापूरजी पालोनजी ग्रुप ने तैयार किया। इसमें सी व्यू, लेडीज और चिल्ड्रन विंग, गेस्ट विंग, पैलेस ऑफिस, स्विमिंग पूल और रूफटॉप हेलीपैड सहित कई सुविधाएं हैं। फिल्में पसंद नहीं होने के बावजूद शापूरजी ने के. आसिफ की ऐतिहासिक फिल्म मुगल-ए-आजम में पैसा लगाया था। उन्हें सिनेमा बिल्कुल पसंद नहीं था, लेकिन नाटक देखने के शौकीन थे। वह पृथ्वीराज कपूर के नाटक देखने के लिए अक्सर ओपेरा हाउस जाया करते थे।
कहा जाता है कि पृथ्वीराज ने ही शापूरजी को मुगल-ए-आजम फाइनेंस करने के लिए मनाया था। हालांकि मुगल-ए-आजम में पैसा लगाने के पीछे एक और थ्योरी बताई जाती है। शापूरजी अकबर की शख्सियत के दीवाने थे। वहीं, फिल्म के डायरेक्टर आसिफ सलीम और अनारकली की मोहब्बत को परदे पर उतरना चाहते थे। शापूरजी इस फिल्म के अकेले फाइनेंसर नहीं थे, लेकिन उन्होंने इस फिल्म में सबसे ज्यादा पैसे लगाए थे। यह उस समय की सबसे महंगी फिल्म थी। 1944 में फिल्म की शूटिंग शुरू हुई थी। 1960 में मुगल-ए-आजम बनकर तैयार हुई।
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पद्म भूषण से सम्मानित हुए पालोनजी मिस्त्री
पालोनजी मिस्त्री की शादी आयरलैंड में जन्मीं पैट्सी पेरिन डबाश से हुई थी। जिसके बाद उन्होंने 2003 में आयरलैंड की नागरिकता हासिल कर ली। उनकी चार संतानों में दो बेटे और दो बेटियां हैं। पालोनजी मिस्त्री को 2016 में भारत का तीसरा सबसे बड़ा नागरिक पुरस्कार पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। शापूरजी पालोनजी ग्रुप की टाटा संस में सबसे ज्यादा 18.37% हिस्सेदारी है। मिस्त्री परिवार और टाटा फैमिली के बीच रिश्तों की शुरुआत 1930 में हुई थी। उस दौर में जेआरडी टाटा को स्टील फैक्ट्री बनाने के लिए पैसों की जरूरत थी। शापूरजी मिस्त्री ने दो करोड़ रुपए की मदद की थी। इसके बदले में जेआरडी ने उन्हें टाटा संस के 12.5% शेयर दिए थे। जो बाद में चलकर 18.37% तक पहुंच गया। कंपनी उनके काम करने के तौर-तरीकों से नाखुश थी। जिसके बाद से दोनों कंपनियों के बीच मतभेद शुरू हो गए थे। बाद में एसपी ग्रुप ने टाटा में अपने शेयर को गिरवी रखते हुए लोन लिया।

35 हजार से ज्यादा एम्प्लॉई हैं
एसपी ग्रुप की कमान संभालने वाले साइरस मिस्त्री को 2012 में 10 साल के लिए टाटा ग्रुप का चेयरमैन बनाया गया था, लेकिन उन्हें 4 साल में ही पद से हटा दिया गया। 2022, शापूरजी ग्रुप और मिस्त्री परिवार के लिए बहुत ही बुरा रहा। 28 जून 2022 को पालोनजी मिस्त्री का 93 की उम्र में निधन हो गया। तीन महीने बाद उनके बेटे साइरस मिस्त्री की भी सड़क दुर्घटना में मौत हो गई। साइरस ने 1991 में शापूरजी पालोनजी ग्रुप जॉइन किया था। उनकी मौत के बाद उनके बड़े भाई शापूर मिस्त्री कंपनी की बागडोर संभाल रहे हैं। शापूरजी पालोनजी कंपनी 40 से ज्यादा देशों में मौजूद है। कंपनी के पास 35 हजार से ज्यादा एम्प्लॉई हैं। आज कंपनी का टर्नओवर 40 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का है। SP ग्रुप ने कई ऐतिहासिक इमारतें बनाई है। जिसमें मुंबई स्थित आरबीआई का हेडक्वार्टर, एसबीआई की बिल्डिंग, क्रिकेट क्लब ऑफ इंडिया और भारत मंडपम जैसी इमारतें शामिल हैं।
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85 हजार करोड़ रुपए का एसेट बेस बनाया
अंग्रेजों के जमाने से चल रहा शापूरजी पालोनजी ग्रुप जल्द ही अपना काम करने का तरीका बदलने जा रहा है। कंपनी ने अपना फ्यूचर रोडमैप तैयार कर लिया है। इसके लिए 85 हजार करोड़ रुपए का एसेट बेस बनाया है। कंपनी का फोकस रियल एस्टेट और एनर्जी सेक्टर पर है। शापूरजी पालोनजी ग्रुप में कुल 15 कंपनियां हैं। यह ग्रुप 6 बिजनेस सेगमेंट में काम करता है। इसमें इंजीनियरिंग एंड कंस्ट्रक्शन, इन्फ्रास्ट्रक्चर, रियल एस्टेट, वाटर, एनर्जी और फाइनेंशियल सर्विसेज शामिल हैं। फिलहाल कंपनी का टर्नओवर 40 हजार करोड़ रुपए है।
इसी ग्रुप की एक कंपनी एफकॉन इंफ्रा कुछ ही महीने में मार्केट में अपना आईपीओ भी ला सकती है। 40 देशों में बिजनेस करने वाले शापूरजी पालोनजी ग्रुप ने भारत के आर्थिक विकास में बड़ी भूमिका निभाई है। देश की पहली अंडर वाटर मेट्रो लाइन को शापूरजी पालोनजी ग्रुप ने ही बनाया है। यह कंपनी ताज होटल से लेकर अटल टनल तक के कंस्ट्रक्शन वर्क में शामिल रही है।
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