Age For Health Insurance – जल्दी बीमा लेने से सस्ता प्रीमियम और बड़ी बचत
Age For Health Insurance: कहा जाता है कि स्वास्थ्य बीमा की जितनी जल्दी शुरुआत हो, उतना ही अच्छा होता है। अधिकांश लोगों को लगता है कि बीमा 30 या 40 के बाद भी लिया जा सकता है। लेकिन 40 के बजाय 25 की उम्र में बीमा लेने के कई फायदे हैं। जल्दी स्वास्थ्य बीमा लेने का सबसे बड़ा फ़ायदा है सस्ता प्रीमियम। बीमा कंपनियां प्रीमियम तय करने में उम्र, स्वास्थ्य स्थिति और जोखिम जैसे कारकों को ध्यान में रखती हैं। कहा जाता है कि सही उम्र में सही कदम नहीं उठाने से बाद में पछतावा होता है। जागरूक और समझदार व्यक्ति हमेशा अपना वर्तमान और भविष्य सोच के चलता है। भविष्य में क्या होगा, किसने देखा है? लेकिन पहले से सावधानी बरतने में कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए। कुछ ऐसा ही स्वास्थ्य बीमा के साथ भी है। अनिश्चिताओं से भरे आजकल के इस जमाने में कभी भी और कुछ भी हो सकता है चाहे आपकी उम्र कोई भी हो। कोविड की महामारी ने हम सबको स्वास्थ्य बीमा का महत्व जरूर समझा दिया है।
नो-क्लेम बोनस (एनसीबी) का लाभ
जरूरी नहीं कि अगर आपकी उम्र कम हो तो आपको कुछ हो नहीं सकता। इंसानी शरीर एक मशीन की भांति है, जो कभी भी खराब हो सकती है। ऐसे में आपको अपना ख्याल हर हाल में रखना होगा। आजकल इलाज मंहगा और एडवांस हो गया है। ऐसे में बेहद जरूरी है कि आपके पास अपने स्वास्थ्य को ठीक रखने के लिए पर्याप्त आर्थिक साधन हो। एक 25 साल के स्वस्थ व्यक्ति के लिए 5 लाख के बीमा का सालाना प्रीमियम 5,000-8,000 रुपये के बीच होता है। यही कवरेज 35 साल के व्यक्ति के लिए लगभग दोगुना हो सकता है क्योंकि स्वास्थ्य जोखिम और पहले से मौजूद बीमारियां बढ़ जाती हैं। जल्दी बीमा लेने से यह सस्ता प्रीमियम स्थिर रहता है, जिससे लंबे समय में बड़ी बचत होती है। इसके अलावा, नो-क्लेम बोनस (एनसीबी) का लाभ भी मिलता है, जो हर बिना दावे वाले साल के बाद कवरेज राशि बढ़ाता है। एक दशक में, यह बिना अतिरिक्त ख़र्च के कवरेज राशि को काफ़ी बढ़ा सकता है, जिससे बढ़ते चिकित्सा ख़र्चों से बचाव होता है।
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ख़र्चों के खिलाफ़ आर्थिक सुरक्षा
लोग अपने शुरुआती वर्षों में बीमा कराने के महत्व को कम आंकने की गलती करते हैं, उनकी सोच यह होती है कि इस उम्र में उनकी सेहत और रोग प्रतिरोधक क्षमता अच्छी होती है। आपको शुरुआत में ही स्वास्थ्य बीमा खरीद लेना चाहिए। जैसे ही आप बीमा लेने के योग्य हो जाएं, बीमा करवा लें क्योंकि कम उम्र में बीमा कराने पर कम प्रीमियम लागत आती है, क्योंकि इसमें वृद्धावस्था की कोई बीमारी और संबंधित जोखिम शामिल नहीं होते हैं। भारत में चिकित्सा महंगाई दर लगभग 14 फ़ीसदी सालाना है, जो सामान्य महंगाई से कहीं ज़्यादा है। एक साधारण इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती होने का ख़र्च 50,000-1,00,000 तक हो सकता है, जबकि कैंसर या ऑर्गन ट्रांसप्लांट जैसे इलाज का ख़र्च 30 लाख से ज़्यादा हो सकता है। 25 की उम्र में स्वास्थ्य बीमा लेने से इन बढ़ते ख़र्चों के खिलाफ़ आर्थिक सुरक्षा मिलती है।
वेटिंग पीरियड समय रहते पूरा
उम्र बढ़ने के साथ ना सिर्फ आपका तजुर्बा और जिम्मेदारियों बढ़ती हैं, बल्कि आपकी बीमारियां भी बढ़ती हैं। इस उम्र में आपको खुद के अलावा अपने परिवार का भी ध्यान रखना होता है, जिसमें वित्तीय बोझ बढ़ जाता है। इस उम्र में आप स्वास्थ्य का मूल्यांकन कर परिवार के लिए व्यापक स्वास्थ्य कवर की योजना बनानी चाहिए। इसमें न केवल अप्रत्याशित घटनाओं में महत्वपूर्ण स्वास्थ्य देखभाल पर खर्च शामिल है, बल्कि डॉक्टर के परामर्श, निदान, दवाओं आदि पर होने वाले खर्च भी शामिल होता है। बीमा योजनाएं अक्सर नक़द इलाज की सुविधा देती हैं, जिसमें अस्पताल में भर्ती, जांच, दवाइयां और इलाज के बाद की देखभाल शामिल होती है। इससे चिकित्सा आपात के समय वित्तीय तनाव कम होता है। अधिकतर स्वास्थ्य बीमा योजनाओं में पहले से मौजूद बीमारियों के लिए 2-4 साल का वेटिंग पीरियड होता है। 25 की उम्र में बीमा लेने से यह वेटिंग पीरियड समय रहते पूरा हो जाता है, जिससे बाद में पूरा कवरेज मिलता है|
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परिवार पर निर्भरता कम करता
अगर आपको पहले से कोई बीमारी हो तो इस उम्र तक बहुत मुमकिन है कि वो आपको परेशान करना शुरू कर दे। जैसे-जैसे आपकी उम्र बढ़ती है वैसे-वैसे बीमा की लागत भी बढ़ती है। इस उम्र में आपको रिटायरमेंट के अलावा अपने स्वास्थ्य के बारे में सोचना जरूर शुरू कर देना चाहिए। आपको इस वक्त एक अच्छी स्वास्थ्य बीमा योजनाओं की तलाश करनी चाहिए। स्वास्थ्य बीमा के बारे में समझदारी से सोचें और उन योजनाओं में निवेश करें जो स्वास्थ्य के मामले में व्यापक कवरेज प्रदान करती हैं। नौकरी शुरू करने वाले युवाओं के लिए आकस्मिक आने वाले चिकित्सा ख़र्च वित्तीय लक्ष्यों को बिगाड़ सकते हैं। स्वास्थ्य बीमा इन ख़र्चों को कवर करता है, जिससे निजी बचत ख़र्च करने या क़र्ज लेने की ज़रूरत नहीं पड़ती। यह आर्थिक स्वतंत्रता भी देता है और आपातकाल के समय परिवार पर निर्भरता कम करता है। इसके अलावा, स्वास्थ्य बीमा का प्रीमियम आयकर अधिनियम की धारा 80डी के तहत टैक्स लाभ भी देता है।
25,000 तक की टैक्स कटौती का दावा
60 साल से कम उम्र के व्यक्ति ख़ुद के लिए 25,000 तक की टैक्स कटौती का दावा कर सकते हैं, साथ ही माता-पिता का बीमा कराने पर अतिरिक्त लाभ मिलता है। कुछ कंपनियां हेल्थ इंश्योरेंस क्लेम नहीं करने पर एक निश्चित अवधि के बाद नो क्लेम बोनस देती हैं। ‘नो-क्लेम बोनस’ को हर महीने बीमित राशि के निश्चित हिस्से के तौर पर गिना जाता है। साल दर साल ये तब तक जुड़ता जाता है, जब तक कि किसी निश्चित आंकड़े जैसे 50 फ़ीसदी तक नहीं पहुंच जाता। इससे आपका प्रीमियम वही रहता है लेकिन बीमा कवर की राशि बढ़ जाती है। हालांकि, इसे लेकर बीमा कंपनियों की अपने-अपने दिशानिर्देश होते हैं।
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65 वर्ष पार वालों के लिए स्वास्थ्य देखभाल अधिक जटिल
जैसे-जैसे व्यक्ति इस उम्र के करीब आते हैं, वे हाई बीपी, मधुमेह और गठिया जैसी पुरानी जीवन शैली की बिमारीयों से ग्रस्त हो सकते हैं। उन्हें इस उम्र में अधिक चिकित्सा की आवश्यकता हो सकती है, अगर आपको पास स्वास्थ्य बीमा नहीं है तो आपका स्वास्थ्य देखभाल खर्च बढ़ सकता है। इस उम्र तक लोगों के पास न्यूनतम 31-50 लाख रुपये का बीमा कवरेज होना चाहिए। 65 वर्ष से ऊपर के लोगों के लिए स्वास्थ्य देखभाल की जरूरतें अधिक जटिल हो सकती हैं और अधिक ध्यान देने की जरूरत होती है। यूं तो अक्सर ही लोग 30 के बाद बीमा ख़रीदने का विचार करते हैं। पर इसे 30 से पहले लेने के लिए इसलिए कहा जाता है क्योंकि इस उम्र तक आते-आते व्यक्ति की ज़िम्मेदारियां और ख़र्चों का बोझ बढ़ जाता है। इससे प्रीमियम राशि का भुगतान करने में समस्या हो सकती है। इसके अलावा, आमतौर पर कॅरियर की गति 25-30 की उम्र में उच्चतम होती है। ऐसे में यह आवश्यक है कि आप अपनी कर योग्य आय को कम करने के लिए जीवन के आरंभ में ही बीमा जैसे कर-बचत साधनों का चयन करें।
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