Career in Dentistry: राष्ट्रीय स्तर की होती हैं प्रवेश परीक्षा
डेंटिस्ट्री यानी दंत चिकित्सा का क्षेत्र तेजी से बदल रहा है। ऐसे में विद्यार्थियों के लिए डेंटिस्ट्री में भविष्य बनाना एक अच्छा विकल्प हो सकता है। इस क्षेत्र में करिअर बनाने के लिए छात्र का 12वीं कक्षा में भौतिकी, रसायन विज्ञान और जीव विज्ञान के विषयों के साथ कम से कम 50 प्रतिशत अंकों से पास होना जरूरी है। इसके बाद संयुक्त प्रवेश परीक्षा देनी होती है। डेंटिस्ट्री में बैचलर यानी बीडीएस और पोस्ट ग्रेजुएट यानी एमडीएस स्तर के कोर्स हैं।
बैचलर ऑफ डेंटल सर्जरी
अखिल भारतीय प्रवेश परीक्षा में अंकों के आधार पर उम्मीदवारों को बैचलर ऑफ डेंटल सर्जरी (बीडीएस) में सीट मिलती है। यह कोर्स चार साल का है। बीडीएस उस कॉलेज से करें, जिसका पाठ्यक्रम डेंटल काउंसिल ऑफ इंडिया (डीसीआई) द्वारा मान्यता प्राप्त हो। डेंटल काउंसिल ऑफ इंडिया भारत में दंत विज्ञान शिक्षा के लिए शीर्ष निकाय है। बीडीएस के बाद, छात्र को कम से कम एक साल की इंटर्नशिप पूरी करनी होती है। छात्र व्यावहारिक कौशल प्राप्त करने के लिए एक वरिष्ठ दंत चिकित्सक के साथ काम कर सकता है।

मास्टर इन डेंटल सर्जरी
ग्रेजुएशन के बाद यह 3 साल का होता है। इसमें चयन राष्ट्रीय, राज्य या डीम्ड विश्वविद्यालयों की प्रवेश परीक्षाओं में प्राप्त अंकों के आधार पर होता है। एमडीएस में स्पेशलाइजेशन विभिन्न तरह के हैं। इनमें इंडोडांटिक्स, ओरल एंड मैक्सिलोफेशियल पैथोलॉजी, ओरल सर्जरी, ऑर्थोडॉन्टिक्स, पीडोडोंटिक्स, पीरियडॉन्टिक्स एवं प्रोस्थोडोंटिक्स जैसे क्षेत्र शामिल हैं। मास्टर्स डिग्री प्राप्त करना न केवल कौशल को बढ़ाता है, बल्कि पेशेवर के लिए प्रोफेसरशिप के साथ और बेहतर स्थान हासिल करने के अवसर बढ़ेंगे।
नेशनल लेवल एग्जाम्स
बीडीएस के कोर्स के लिए नीट-यूजी की परीक्षा आयोजित की जाती है। यह एक राष्ट्रीय स्तर की प्रवेश परीक्षा है, जिसमें बड़ी संख्या में कॉलेज शामिल होते हैं। प्रतियोगिता बहुत कठिन होती है, जिसके लिए बहुत मेहनत और लगन से पढ़ाई करना जरूरी है।
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विशेषज्ञता के क्षेत्र
डेंटिस्ट्री में चिकित्सक के तौर पर तो आप काम कर ही सकते हैं, साथ ही आप डेंटल हाइजीन का क्षेत्र भी चुन सकते हैं। एक डेंटिस्ट किसी डेंटल हाइजीनिस्ट के साथ मिलकर मरीजों की मौखिक स्वास्थ्य जरूरतों को पूरा करने के लिए मिलकर काम करता है। डेंटल हाइजीनिस्ट दांतों से टार्टर और प्लाक को हटाने, दांतों में फ्लोराइड या सीलेंट लगाने, एक्सरे लेने और उचित मौखिक स्वच्छता पर मरीजों की मदद करता है। इसके अलावा बतौर डेंटिस्ट आपको कुछ विशेषज्ञता के क्षेत्र चुनने का विकल्प होगा:
एंडोडॉन्टिक्स : इसमें दांत की बायोलॉजी के आधार पर मरीज की दांतों की समस्या का निदान करना शामिल है। रूट कैनाल प्रोसीजर, दांत की चोट, उसके लिए प्रिवेंटिव तरीके आदि अपनाना इनका कार्यक्षेत्र
होता है।
ओरल ऐंड मैक्सिलोफेशियल पैथोलॉजी : इसमें दांतों की समस्याओं को लेकर रिसर्च व विभिन्न तकनीकों का इस्तेमाल करते हुए परीक्षण आदि के माध्यम से निदान पर कार्य किया जाता है।

ओरल सर्जरी : ये विशेषज्ञ जबड़े, सिर या गर्दन के ट्यूमर्स आदि का निदान व इलाज करते हैं।
ऑर्थोडॉन्टिक्स : दांतों की बनावट या संरचना में या चेहरे की संरचना में अनियमितताओं का इलाज करते हैं।
पेडोडॉन्टिक्स : बच्चों के मसूड़ों, जबड़ों और दांतों की देखरेख और सेहत से जुड़ा क्षेत्र है यह।
पेरिडोडॉन्टिक्स : इस क्षेत्र के जानकार मसूड़ों से जुड़ी समस्याओं पर काम करते हैं और उनका इलाज भी करते हैं।
प्रोस्थोडॉन्टिक्स : मुंह, चेहरे और दांतों के कार्यसंचालन में होने वाली किसी भी समस्या को देखते हैं।
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हाइजीनिस्ट
दंत चिकित्सा के क्षेत्र में दंत चिकित्सक, डेंटल असिस्टेंट और बतौर डेंटल हाइजीनिस्ट बनकर अच्छा करिअर बनाया जा सकता है। अपना खुद का क्लिनिक खोला जा सकता है, लेकिन उसके लिए आपके पास लाइसेंस होना जरूरी है। एक डेंटिस्ट्री अस्पताल से लेकर कम्युनिटी डेंटल सर्विस में भी काम कर सकते हैं। साथ ही वे पीरियोडोंटिक्स या बाल दंत चिकित्सा में भी कार्य कर सकते हैं। भारतीय सैन्य सेवाओं में भी डेंटिस्ट के लिए अलग से नियुक्तियां होती हैं। चूंकि यह सरकारी नौकरी होगी, इसलिए आपको सभी सेवाएं और भत्ते भी बेहतर मिलेंगे।
भारतीय सैन्य सेवाओं में शामिल होना भी आपके लिए गर्व का विषय रहेगा। आप डेंटल लैब टेक्नीशियन के तौर पर भी काम कर सकते हैं। यह एक्सपर्ट डेंटिस्ट की टीम के साथ मिलकर काम करता है। ये डेंटिस्ट्स के बताए निर्देशों पर मरीज के अनुकूल डेंटल एप्लाएंसेज बनाने के एक्सपर्ट होते हैं। डेंटल एप्लाएंसेज जैसे डेंचर, प्रोस्थेसिस, इम्प्लांट्स व अन्य उपकरण आदि।
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