Sports For Fitness: हर इंसान को जोड़ना चाहिये खेल से नाता
वैसे तो विश्व एथलेटिक्स दिवस आमतौर पर 7 मई को मनाया जाता है और 2028 तक यह फिक्स है कि 7 मई को ही मनाया जायेगा लेकिन 2021 में यह 5 मई को भी मनाया गया था। हालांकि इसके मनाये जाने के तौर तरीकों में कोई फर्क नहीं होता लेकिन 1996 से हर साल मनाये जाने वाले इस दिन पर अतिरिक्त रूप से कुछ थोपा नहीं जाता। यह दबाव नहीं होता कि यही खेल खेलना है और ऐसे ही यह दिन मनाना है। अंतरराष्ट्रीय एमोच्योर एथलेटिक्स महासंघ (आईएएएफ) हर साल विश्व एथलेटिक्स दिवस का आयोजन महज इस उद्देश्य से करता है कि लोग अपने जीवन में खेलों के महत्व को समझें।
इसलिए हमें विश्व एथलेटिक्स दिवस को स्वस्थ रहने की सजगता के तौर पर देखना चाहिए। साल 1996 से विश्व एथलेटिक्स दिवस मनाया जा रहा है। इस दिवस के मनाये जाने के पीछे अंतरराष्ट्रीय एमच्योर एथलेटिक महासंघ, जिसकी स्थापना 1912 में स्टॉकहोम स्वीडन में हुई थी, का उद्देश्य यह है कि इस दिवस से लोग प्रेरित हों और हर दिन कुछ न कुछ एक्सरसाइज करते रहकर अपने आपको हर उम्र में फिट रखे क्योंकि दुनिया में स्वस्थ रहने का सबसे आसान और खुशमय तरीका खेल ही है। अब चूंकि मानव शरीर संरचना के विशेषज्ञ इस बात को भलीभांति जानते हैं कि एथलेटिक्स यानी भागदौड़ ही वह सबसे आसान तरीका है जिसके जरिये हम फिट रह सकते हैं और यह फिटनेस हमें खुश भी रखती है।

फिट रहने के फायदे बताता रहा आईएएएफ
आईएएएफ लोगों को दशकों से फिट रहने के फायदे बताता रहा है लेकिन आमतौर पर उपदेश की शक्ल में कही गईं बातें लोगों को ज्यादा पसंद नहीं आतीं और वह इन पर अमल भी नहीं करते। साल 1996 से आईएएएफ ने विश्व एथलेटिक्स दिवस मनाने की घोषणा की। पहली बार यह दिवस 7 मई, 1996 को मनाया गया। इसे मनाने के क्रम में दुनिया के हर इंसान को किसी न किसी एक खेल को अपनाने और हर दिन खेलने के लिए प्रेरित किया गया।
यह तो नहीं कहा जा सकता कि इससे हर कोई प्रेरित होकर 1996 के बाद से कोई न कोई खेल खेल ही रहा है लेकिन यह भी सही है कि काफी बड़ी संख्या में लोगों पर इस अपील का फर्क पड़ा है। साथ ही लगातार व्यस्त और बेचैन करती दुनिया में शारीरिक फिटनेस का महत्व रेखांकित हुआ है। इस कारण लगातार ऐसे लोगों की तादाद में इजाफा हो रहा है जो किसी प्रतिस्पर्धा, किसी अवार्ड आदि के लिए नहीं बल्कि फिट रहने के लिए हर दिन कोई न कोई खेल खेलते हैं।
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देश में फिट रहने अच्छा खासा क्रेज
पहले भारत में इस तरह का चलन दुनिया के दूसरे देशों जैसा नहीं था। आज भी बहुत कम है लेकिन साल 2000 के बाद से नई जनरेशन के बीच शाम, सुबह फिट रहने के लिए किसी न किसी खेल के खेलने का अच्छा खासा क्रेज बढ़ा है। आज शहरों की ज्यादातर पॉश कालोनियों और सोसाइटियों के भीतर लोग हर दिन कोई न कोई खेल जरूर खेलते हैं।
नये बन रहे आवासीय कॉम्प्लेक्सेस में अनिवार्य रूप से खेल गतिविधियों के लिए जगह सुनिश्चित करायी जाती है क्योंकि भारतीयों का फिटनेस लेवल काफी कम है। हम भारतीय भले दुनिया के बुद्धिमान लोगों में से माने जाते हों लेकिन एक्सरसाइज करने या कोई न कोई खेल खेलने के मामले में हम काफी फिसड्डी और पुरानी सोच के हैं। आईएएएफ ने हमारे देश ही नहीं बल्कि हमारे जैसे दुनिया के सैकड़ों देशों में नियमित रूप से एक्सरसाइज को लेकर बढ़तीं लापरवाहियों के लिए हर साल विश्व एथलेटिक्स दिवस मनाये जाने की शुरुआत की ताकि इस दिन लोगों को बताया जा सके के खेलों का जीवन में क्या महत्व है।
जब से विश्व एथलेटिक्स दिवस मनाया जाना शुरू हुआ है, विश्व एथलेटिक्स महासंघ हर साल लोगों को खेलों से जुड़े स्वास्थ्य लाभ बताता है। इस दिन दुनिया में हर जगह कुछ न कुछ खेल और स्वास्थ्य से जुड़ा हुआ कार्यक्रम होता है जिसमें जोर देकर बताया जाता है कि शारीरिक फिटनेस क्यों बहुत महत्वपूर्ण है? दरअसल खेल महज प्रतियोगिता जीतने के लिए ही नहीं होते, आप हर दिन किसी खेल का अभ्यास करते हुए निरंतर स्वस्थ और रोगमुक्त जीवन जी सकते हैं। इसलिए विश्व एथलेटिक्स महासंघ लोगों को फिट रहने के लिए एथलेटिक्स दिवस के मौके पर सिखाता है कि दौड़िए, तेज-तेज चलिए और सैकड़ों किस्म के जो जिस्मानी खेल है, उन्हें जरूर खेलिए। तभी आप स्वस्थ रह सकते हैं।
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नियमित रूप से कोई खेल खेलें, भागदौड़ करें
आमतौर पर यह समझा जाता है कि एक उम्र के बाद हर किसी को बीमार होना ही होता है लेकिन यह सही समझ नहीं है। यह धारणा बिल्कुल गलत है कि एक उम्र के बाद हर किसी को बीमार होना ही होता है। दरअसल हम बीमार इसलिए होते हैं क्योंकि एक उम्र के बाद हम शारीरिक रूप से सक्रिय नहीं रह जाते। हमारी फिजिकल एक्टिविटीज बहुत कम हो जाती है।
इस कारण हमारे शरीर को जिस नियमित व्यायाम की जरूरत होती है, वह नहीं मिल पाता, नतीजतन हम अनफिट होने लगते हैं और फिर धीरे-धीरे बीमार पड़ने लगते हैं लेकिन इसका उम्र के साथ बहुत ज्यादा और अनिवार्य रिश्ता नहीं है। जैसे कुछ लोग सोचते हैं कि बूढ़े होने पर दांत गिर ही जाते हैं लेकिन आज दुनिया में हजारों नहीं लाखों बल्कि करोड़ों ऐसे लोग हैं, जो 80 साल के हैं, 85 साल के हैं। लेकिन उनके मुंह से एक भी दांत नहीं गिरे क्योंकि दांतों के गिरने का रिश्ता उम्र के साथ नहीं है बल्कि देखरेख में बरती गई लापरवाही से है।
इसलिए डेंटल कॉलेज में एक सूत्र वाक्य लिखा होता है- दांत हैं सदा के लिए। जो इसी सच का बयान हैं कि अगर आप शुरू से अपने दांतों की नियमित देखभाल रखें, उन्हें गंदे होने से बचाएं, उनकी नियमित मसाज करें और तय समय के बाद हमेशा डॉक्टर को दिखाएं तो अंतिम सांस तक आपके दांत सलामत रह सकते हैं। ठीक यही बात शरीर की स्वास्थ्य संबंधी दूसरी बातों पर भी लागू होती है। शारीरिक रूप से फिट और सक्रिय रहने का सबसे आसान तरीका है कि हम नियमित रूप से कोई खेल खेलें, भागदौड़ करें या फिर शरीर की एक्सरसाइज के लिए डिजाइन की गई एक्सरसाइज करें। वास्तव में विश्व एथलेटिक्स दिवस के पीछे मानवता की इस बहुत बड़ी समस्या को अप्रत्यक्ष रूप से दिशा देने या कहना चाहिए हल करने का उद्देश्य छिपा है।
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