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WeStory > हिंदी न्यूज़ > Great Nicobar Project: ग्रेट निकोबार द्वीप प्रोजेक्ट से पर्यावरण को होगा भारी नुकसान
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Great Nicobar Project: ग्रेट निकोबार द्वीप प्रोजेक्ट से पर्यावरण को होगा भारी नुकसान

WeStory Editorial Team
Last updated: 2024/08/27 at 11:15 AM
WeStory Editorial Team
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7 Min Read
Great Nicobar Project
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Great Nicobar Project – पर्यावरण के लिए ‘गंभीर खतरा’ परियोजना

Great Nicobar Project: कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने ग्रेट निकोबार द्वीप में आधारभूत ढांचे की परियोजना को पर्यावरण के लिए ‘गंभीर खतरा’ बताते हुए इसकी समीक्षा की मांग की है। जयराम रमेश ने पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव से परियोजना को दी गई सभी मंजूरियों को निलंबित करने का आग्रह किया और संसदीय समितियों से इसकी गहन और निष्पक्ष समीक्षा कराने की मांग की है।

Table of Contents
Great Nicobar Project – पर्यावरण के लिए ‘गंभीर खतरा’ परियोजना72,000 करोड़ रुपये की है ‘मेगा इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजना’13,075 हेक्टेयर वन भूमि का उपयोगशोम्पेन समुदाय के नरसंहार की संभावनाभूकंप संभावित क्षेत्र होने का दावा910 वर्ग किलोमीटर का आबादी वाला क्षेत्रसौर-आधारित विद्युत संयंत्र होगा विकसित

जयराम रमेश ने इस संबंध में पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव को पत्र भी लिखा है। कांग्रेस नेता ने पत्र में लिखा कि पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को अपना धर्म निभाते हुए ग्रेट निकोबार द्वीप परियोजना को मंजूरी नहीं देनी चाहिए। खासकर तब जब यह परियोजना मानवीय, सामाजिक और पारिस्थितिकी रूप से विनाशकारी हो।

Great Nicobar Project
Great Nicobar Project

72,000 करोड़ रुपये की है ‘मेगा इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजना’

जयराम रमेश ने लिखा कि ‘आपको राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान हमारी हाल की बातचीत याद होगी। ग्रेट निकोबार द्वीप में केंद्र सरकार की प्रस्तावित 72,000 करोड़ रुपये की ‘मेगा इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजना’ ग्रेट निकोबार द्वीप के आदिवासी समुदायों और प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्र के लिए गंभीर खतरा है।’ उन्होंने दावा किया कि इस परियोजना के ‘विनाशकारी पारिस्थितिक और मानवीय परिणाम’ हो सकते हैं और उचित प्रक्रिया का उल्लंघन करके और आदिवासी समुदायों की रक्षा करने वाले कानूनी और संवैधानिक प्रावधानों को दरकिनार करके इस परियोजना को आगे बढ़ाया गया है।

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Great Nicobar Project
Great Nicobar Project

13,075 हेक्टेयर वन भूमि का उपयोग

कांग्रेस नेता ने कहा, ‘सबसे पहले, इस परियोजना के लिए 13,075 हेक्टेयर वन भूमि के इस्तेमाल को बदलना होगा जो द्वीप के कुल क्षेत्रफल का 15% है। यह इलाका राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर पर एक अद्वितीय वर्षावन पारिस्थितिकी तंत्र है।’ उन्होंने लिखा कि ‘परियोजना स्थल के कुछ हिस्से कथित तौर पर सीआरजेड 1ए (कछुओं के रहने वाले क्षेत्र, मैंग्रोव, कोरल रीफ वाले क्षेत्र) के अंतर्गत आते हैं, इस क्षेत्र में बंदरगाह निर्माण प्रतिबंधित है।’ हालांकि, हाल ही में, एनजीटी द्वारा गठित एक उच्चाधिकार प्राप्त समिति ने निष्कर्ष निकाला है कि बंदरगाह सीआरजेड 1ए में नहीं आता है, बल्कि सीआरजेड-1बी में आता है, जहां बंदरगाह निर्माण की अनुमति है।

Great Nicobar Project
Great Nicobar Project

शोम्पेन समुदाय के नरसंहार की संभावना

जयराम रमेश ने दावा किया कि इस परियोजना के कारण शोम्पेन नामक स्वदेशी समुदाय का नरसंहार हो सकता है, जिसे विशेष रूप से कमज़ोर जनजातीय समूह के रूप में वर्गीकृत किया गया है। द्वीपों की जनजातीय परिषद से पर्याप्त परामर्श नहीं किया गया, जैसा कि कानूनी रूप से आवश्यक है। ग्रेट निकोबार द्वीप की जनजातीय परिषद ने वास्तव में परियोजना पर आपत्ति व्यक्त की है, जिसमें दावा किया गया है कि अधिकारियों ने पहले उन्हें भ्रामक जानकारी के आधार पर ‘अनापत्ति’ पत्र पर हस्ताक्षर करने के लिए जल्दबाजी की थी।

 

Great Nicobar Project
Great Nicobar Project

भूकंप संभावित क्षेत्र होने का दावा

रमेश ने कहा कि जिस तट पर बंदरगाह और परियोजना का निर्माण प्रस्तावित है, वह भूकंप संभावित क्षेत्र है और दिसंबर 2004 की सुनामी के दौरान इसमें लगभग 15 फीट की स्थायी गिरावट देखी गई थी। उन्होंने कहा कि यहां इतनी बड़ी परियोजना स्थापित करना जानबूझकर निवेश, बुनियादी ढांचे, लोगों और पारिस्थितिकी को खतरे में डालना है।

यादव को लिखे अपने पत्र में रमेश ने कहा, ‘उचित प्रक्रियाओं के इन अनगिनत उल्लंघनों को देखते हुए, इस अदूरदर्शी परियोजना को दी गई सभी मंजूरियों को निलंबित किया जाना चाहिए। प्रस्तावित परियोजना की गहन और निष्पक्ष समीक्षा की जानी चाहिए, जिसमें संबंधित संसदीय समितियां भी शामिल हैं।’

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Great Nicobar Project
Great Nicobar Project

910 वर्ग किलोमीटर का आबादी वाला क्षेत्र

ग्रेट निकोबार, निकोबार द्वीपसमूह का सबसे दक्षिणी और सबसे बड़ा द्वीप है, जो बंगाल की खाड़ी के दक्षिण-पूर्वी भाग में, मुख्य रूप से उष्णकटिबंधीय वर्षावन का 910 वर्ग किलोमीटर का एक विरल आबादी वाला क्षेत्र है। इस द्वीप पर इंदिरा प्वाइंट, भारत का सबसे दक्षिणी बिंदु, इंडोनेशियाई द्वीपसमूह के सबसे बड़े द्वीप सुमात्रा के उत्तरी सिरे पर सबांग से 90 समुद्री मील (<170 किमी) की दूरी पर स्थित है।

अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह में 836 द्वीप हैं, जिन्हें दो समूहों में विभाजित किया गया है, जिन्हें उत्तर में स्थित अंडमान द्वीप और दक्षिण में स्थित निकोबार द्वीप के रूप में जाना जाता है, यह 10 डिग्री चैनल द्वारा अलग होते हैं जो 150 किलोमीटर चौड़ा है।ग्रेट निकोबार में दो राष्ट्रीय उद्यान, एक बायोस्फीयर रिज़र्व, शोम्पेन, ओंग, अंडमानी और निकोबारी आदिवासी लोगों की लघु आबादी और कुछ हज़ार गैर-आदिवासी निवास करते हैं।

Great Nicobar Project
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सौर-आधारित विद्युत संयंत्र होगा विकसित

वर्ष 2021 में प्रारंभ हुआ ग्रेट निकोबार आइलैंड (GNI) प्रोजेक्ट, अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह के दक्षिणी छोर पर लागू किया जाने वाला एक मेगा प्रोजेक्ट है। इसमें द्वीप पर एक ट्रांस-शिपमेंट पोर्ट, एक अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा, टाउनशिप विकास और 450 MVA गैस और सौर-आधारित विद्युत संयंत्र विकसित करना शामिल है। इस प्रोजेक्ट को नीति आयोग की रिपोर्ट के बाद लागू किया गया था, जिसमें द्वीप की लाभप्रद स्थिति का उपयोग करने की क्षमता की पहचान की गई थी, जो दक्षिण-पश्चिम में श्रीलंका के कोलंबो और दक्षिण-पूर्व में पोर्ट क्लैंग (मलेशिया) और सिंगापुर से लगभग समान दूरी पर स्थित है।

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