Hungry For 48 Hours – रेलवे की खानपान एजेंसी की तरफ से भद्दा मजाक
Hungry For 48 Hours: देश का सबसे बड़ा केंद्रीय अर्धसैनिक बल ‘सीआरपीएफ’, जिसके जवानों की संख्या लगभग 3.25 तीन लाख है, वे विभिन्न प्रदेशों में चुनावी प्रक्रिया को शांतिपूर्ण एवं निष्पक्ष तरीके से संपन्न कराते हैं। इस दौरान जवानों को कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। ताजा मामला, जम्मू कश्मीर के सांबा से चली स्पेशल ट्रेन 00328 का है। इसमें सीआरपीएफ की 10 कंपनियां, (लगभग 700 जवान) सवार थे। रायपुर जा रही ट्रेन में जवानों को 48 घंटे तक खाना मुहैया नहीं कराया गया। जवानों ने केवल दो वक्त के ब्रेक फास्ट से ही अपना काम चलाया। उनके साथ रेलवे की खानपान एजेंसी की तरफ से भद्दा मजाक किया गया। अगले स्टेशन पर मिलेगा खाना, ये कह कर उन्हें भूखे पेट यात्रा करने के लिए मजबूर किया जाता रहा। सीआरपीएफ जवानों को ला रही यह स्पेशन ट्रेन गुरुवार को दोपहर बाद रायपुर पहुंची है।

अंबाला में मुहैया कराया नाश्ता
ट्रेन को सात अक्टूबर को सांबा से चलना था। किन्हीं कारणों से यह ट्रेन लेट हो गई। इसके बाद 8 अक्टूबर को सुबह तीन बजे ये ट्रेन रायपुर के लिए रवाना हुई। सांबा से चलने के बाद जवानों को अंबाला स्टेशन पर ब्रेकफास्ट मुहैया कराया गया। इसके बाद उन्हें पूरा दिन कुछ नहीं मिला। उन्हें बताया गया कि दिल्ली स्टेशन पर लंच मिलेगा। ट्रेन शाम को आठ बजे पहुंची, ऐसे में लंच का समय तो निकल गया। दिल्ली में उन्हें जो खाना देने का प्रयास हुआ, उसकी क्वालिटी बहुत घटिया थी। जवानों के मुताबिक, वह खाना सुबह का बना हुआ था। ऐसे में जवानों ने खाना लेने से मना कर दिया।
ट्रेन में मौजूद सीआरपीएफ अधिकारियों के साथ भी यही सब करने का प्रयास हुआ। चूंकि यहां पर बात जवानों की थी तो अफसरों ने उन्हें दो टूक शब्दों में कह दिया कि जवानों को समय पर और बढ़िया क्वालिटी वाला खाना चाहिए। अगर वे ऐसा नहीं करते हैं तो मामले की शिकायत भी होगी। दिल्ली रेलवे स्टेशन पर संबंधित एजेंसी के कर्मचारियों से फ्रेश खाना मुहैया कराने का आग्रह किया गया। रेलवे की तरफ से जवाब दिया गया कि ये संभव नहीं है। हमने अपने उच्च अधिकारियों से बात कर ली है कि अब आपको आगरा में बढ़िया खाना मिलेगा। उन्होंने फोन नम्बर भी दिया।
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आगरा में नहीं दिया खाना
इसके बाद जवान भूखे पेट ही आगे चल पड़े। आगरा में खाना मुहैया कराने के लिए जिस व्यक्ति का नंबर, सीआरपीएफ अफसरों को दिया गया था, वह फोन ही नहीं लगा। कई बार फोन ट्राई किया गया। 9 अक्टूबर को झांसी में ब्रेकफास्ट दिया गया। लंच और डिनर का अंदाजा लगा सकते हैं। इसके बाद रात को मप्र के कटनी में रात 12 बजे डिनर मिला। सूत्रों ने बताया कि इस मामले में जब भी रेलवे एजेंसी के किसी अधिकारी/ठेकेदार से बातचीत की जाती तो वे पल्ला झाड़ लेते। एक दूसरे पर जिम्मेदारी डालने लगते। वे कहते कि आप आगे बात कर लें। ट्रेन लेट है, इसलिए अब तो खाना नहीं मिल पाएगा। अब कोई शेड्यूल नहीं है। रेल में लंच और डिनर तो शेड्यूल पर ही मिलता है।

विभाग भी नहीं करता कोई खास कार्रवाई
जवानों को अब अगले दिन की चिंता थी। जब डिनर दिया गया तो उन्होंने पैक लंच भी देने की बात कही। इसके लिए संबंधित एजेंसी ने जवानों को मना कर दिया। सूत्रों का कहना है कि इस तरह के मामलों में खुद का विभाग भी कोई खास कार्रवाई नहीं करता। जवानों के खाने से जुड़े मामले को टरकाने का प्रयास किया जाता है। सीआरपीएफ अधिकारियों ने इस मामले को अपने विभाग तक पहुंचाने का प्रयास किया था। अगर बल के कैडर अधिकारी इस तरह के मामलों की शिकायत करते हैं तो संबंधित फोर्स के शीर्ष अफसर उन्हीं के खिलाफ ही कार्रवाई कर देते हैं।
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