Wayanad Landslide – विजयन ने खारिज की गाडगिल-कस्तूरीरंगन समितियों की सिफारिशें
Wayanad Landslide: केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने कहा कि राज्य सरकार ने हाल ही में वायनाड में हुई अभूतपूर्व तबाही के लिए केंद्र से 2,000 करोड़ रुपये के राहत पैकेज की मांग की है और उन्हें ‘अच्छी सहायता’ मिलने की उम्मीद है। विजयन ने पश्चिमी घाट के पारिस्थितिकीय तौर पर संवेदनशील क्षेत्रों से संबंधित माधव गाडगिल और कस्तूरीरंगन समितियों की सिफारिशों को भी ‘अव्यावहारिक’ बताते हुए खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि (इन) समितियों ने राज्य में सामाजिक अपेक्षाओं और जमीनी हकीकतों पर विचार नहीं किया।

केंद्र से ‘अच्छी सहायता’ मिलने की उम्मीद
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने पीड़ितों के परिवारों और अभूतपूर्व तबाही के बावजूद सुरक्षित बचे लोगों के लिए ‘एक साल के भीतर’ नई टाउनशिप बनाने का फैसला किया है और ये आवास ‘‘जलवायु के अनुकूल और टिकाऊ” होंगे। जब उन्होंने हाल ही में दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मुलाकात की थी, तो राज्य सरकार ने केंद्र से लगभग 2,000 करोड़ रुपये के आपदा राहत पैकेज की मांग की थी। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री इस मुद्दे पर ‘बहुत सकारात्मक’ थे और राज्य को केंद्र सरकार से ‘अच्छी सहायता’ मिलने की उम्मीद है। मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्रीय टीम द्वारा केंद्र सरकार को रिपोर्ट सौंपे जाने के बाद धनराशि जारी होने की उम्मीद है। वायनाड भूस्खलन को ‘‘राष्ट्रीय या गंभीर आपदा” के रूप में वर्गीकृत करने से सभी सांसद केरल राहत कोष में एक करोड़ रुपये दान कर सकेंगे, अन्यथा केवल स्थानीय सांसद ही ऐसा कर पाएंगे। अगर इस आपदा को उस (राष्ट्रीय या गंभीर आपदा) श्रेणी में शामिल किया जाता है, तो हमें अच्छी सहायता मिलेगी। इससे पुनर्निर्माण के लिए अच्छा माहौल बनेगा।
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जीवन को झकझोर कर रख दिया
30 जुलाई की आपदा ने हमारे लोगों के जीवन को झकझोर कर रख दिया है तथा प्रभावित लोगों को अकल्पनीय आघात पहुंचाया है तथा उन्हें अपने भविष्य को लेकर चिंता में डाल दिया है। इस आपदा में वायनाड के अट्टामाला के कुछ क्षेत्रों के अलावा तीन गांव- पुंचिरिमट्टम, चूरलमाला और मुंडक्कई के बड़े हिस्से तबाह हो गए। चूरलमाला गांव में हाल ही में हुए भूस्खलन ने अभूतपूर्व तबाही मचाई है। मैं आश्वस्त करना चाहता हूं कि हमारी सरकार का प्राथमिक उद्देश्य सुरक्षित बचे लोगों को एक व्यापक पुनर्वास पैकेज प्रदान करना है। उन्होंने कहा कि हम केरल के विकास मॉडल के अनुरूप, अपने जन-केंद्रित दृष्टिकोण के साथ सुरक्षित बचे लोगों को हरसंभव पुनर्वास पैकेज प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

गाडगिल समिति की सिफारिशें
– गाडगिल रिपोर्ट ने पूरे वेस्टर्न घाट श्रृंखला को पारिस्थितिकी संवेदनशील क्षेत्र के रूप में मान्यता दी गई थी।
– पश्चिमी घाट के पारिस्थितिकी संवेदनशील क्षेत्र 1 और 2 में नए खनन अनुरोधों के लिए पर्यावरण मंजूरी देने पर रोक लगाने की सिफारिश
– पारिस्थितिकी संवेदनशील क्षेत्र 1 से खनन को पूरी तरह समाप्त करने की सिफारिश
– पारिस्थितिकी संवेदनशील क्षेत्र 1 और 2 दोनों में आठ वर्षों में सभी रासायनिक कीटनाशकों को समाप्त करना चाहिए। प्लास्टिक की थैलियों को चरणबद्ध तरीके से खत्म किया जाए।
– कोयला आधारित बिजली संयंत्र जैसे उद्योग, जो लाल और नारंगी उद्योगों के अंतर्गत आते हैं उनको संवेदनशील क्षेत्र 1 और 2 में प्रतिबंधित किया जाए। यहां कोई ऐसे उद्योग नहीं लगाएं जाएं।
– समिति ने पश्चिमी घाट की सीमा से लगे 142 तालुकों को श्रेणी 1, 2 और 3 के पारिस्थितिक संवेदनशील क्षेत्रों में विभाजित किया।
– पारिस्थितिकी संवेदनशील क्षेत्र 1 और 2 क्षेत्रों में बांधों, रेलवे परियोजनाओं, प्रमुख सड़क परियोजनाओं, हिल स्टेशनों या विशेष आर्थिक क्षेत्रों से संबंधित नये निर्माण पर रोक।
– पारिस्थितिकी-संवेदनशील क्षेत्र 1 और 2 क्षेत्रों में किसी भी भूमि को वन से गैर-वनीय उपयोग में तथा सार्वजनिक से निजी स्वामित्व में नहीं बदला जाएगा।
– पश्चिमी घाट पारिस्थितिकी प्राधिकरण (डब्ल्यूजीईए) पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम 1986 के तहत स्थापित एक वैधानिक निकाय होगा।
– गाडगिल रिपोर्ट में सिफारिश की गई थी कि क्षेत्र में पर्यटन को कम करने के लिए कदम उठाने की जरूरत है।
आलोचना भी हुई
– सिफारिशों को क्रियान्वयन के लिहाज से अव्यवहारिक माना गया।
– पूरे पश्चिमी घाट को पारिस्थितिकी संवेदनशील क्षेत्र के अंतर्गत लाने से छह राज्यों की ऊर्जा और विकास जरूरतों पर गंभीर असर पड़ेगा।
– एक नए वैधानिक पश्चिमी घाट पारिस्थितिकी प्राधिकरण (WGEA) की स्थापना की सिफारिश की भी आलोचना
– रिपोर्ट में सिफारिशों के कारण होने वाली राजस्व हानि के लिए कोई समाधान नहीं सुझाया गया।
– देश की बढ़ती ऊर्जा जरूरतों के मद्देनजर बांधों के निर्माण पर प्रतिबंध से विद्युत क्षेत्र पर नकारात्मक असर होगा।
– रेत खननकर्ताओं ने इन सिफारिशों की कड़ी आलोचना की, क्योंकि नए खनन पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया गया था।
– केरल के किसान इस बात से बहुत आशंकित थे कि यदि गाडगिल रिपोर्ट की सिफारिशें लागू कर दी गईं तो उनकी आजीविका छिन जाएगी।
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कस्तूरीरंगन समिति की रिपोर्ट
चूंकि 6 संबंधित राज्यों में से किसी ने भी गाडगिल समिति की रिपोर्ट को स्वीकार नहीं किया, इसलिए सरकार ने 2012 में कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता में पश्चिमी घाट पर एक अन्य उच्च स्तरीय कार्य समूह का गठन किया।
कस्तूरीरंगन समिति की सिफारिशें
– कस्तूरीरंगन रिपोर्ट में सिफारिश की गई कि पश्चिमी घाट के केवल 37% क्षेत्र को ही पारिस्थितिकी-संवेदनशील क्षेत्र (ईएसए) के रूप में वर्गीकृत किया जाना चाहिए।
– पश्चिमी घाट का लगभग 60% क्षेत्र मानव बस्तियों, वृक्षारोपण और कृषि के साथ ‘सांस्कृतिक परिदृश्य’ के रूप में वर्गीकृत है।
– शेष क्षेत्र, जो लगभग 60,000 वर्ग किमी में फैला है, को ‘प्राकृतिक परिदृश्य’ के रूप में वर्गीकृत किया जाना चाहिए, जो कि जैविक रूप से विविध क्षेत्र है।
– कस्तूरीरंगन रिपोर्ट ने पारिस्थितिकी-संवेदनशील क्षेत्र (ईएसए) में खनन, उत्खनन, ताप विद्युत संयंत्रों, टाउनशिप परियोजनाओं और अन्य ‘लाल उद्योगों’ पर प्रतिबंध लगाने की सिफारिश की।
– पारिस्थितिकी-संवेदनशील क्षेत्र (ईएसए) में चल रहे खनन कार्यों के मामले में, उन्हें अगले 5 वर्षों में या उनके पट्टे की अवधि समाप्त होने पर बंद करने की सिफारिश।
– सामुदायिक स्वामित्व आधारित पारिस्थितिकी-संवेदनशील पर्यटन को बढ़ावा दिया जाना चाहिए।
– रेलवे परियोजनाओं की सावधानीपूर्वक योजना बनाने की जरूरत ताकि पारिस्थितिकी पर उनका नकारात्मक प्रभाव न्यूनतम हो सके।
इसकी भी हुई आलोचना
– पश्चिमी घाट को अलग-अलग क्षेत्रों में विभाजित करने का काम ज़मीनी आकलन के बजाय हवाई डेटा और रिमोट सेंसिंग के आधार पर किया गया। इससे ज़मीनी स्तर पर कई ग़लतियां हुईं।
– किसानों को डर था कि अगर सिफारिशें लागू की गईं तो उन्हें बेदखल कर दिया जाएगा
– पर्यावरणविदों को डर था कि इस रिपोर्ट से खनिकों को खुली छूट मिल जाएगी और पर्यावरण को नुकसान पहुंचेगा।
– कस्तूरीरंगन रिपोर्ट में रबर बागान गांवों को पारिस्थितिकी-संवेदनशील क्षेत्र (ईएसए) के अंतर्गत शामिल करने को गलत माना गया।
– रिपोर्ट में पारिस्थितिकी-संवेदनशील क्षेत्र (ईएसए) के अंतर्गत कुछ संवेदनशील क्षेत्रों पर विचार नहीं किया गया।
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