Job Crisis: आपूर्ति में कमी और इनपुट की बढ़ रही लागत
अगले पांच साल में नौकरियों के क्षेत्र में जो सबसे बड़ा परिवर्तन देखने को मिलेगा, वह यह होगा कि कामकाज का तरीका तो बहुत तेजी से बदलेगा, लेकिन मिलने वाली तनख्वाहें बहुत धीमी रफ्तार से ही आगे बढ़ेंगी या फिर स्थिर रहेंगी। क्योंकि आने वाले कुछ सालों में दुनिया के बाजारों की चिंता पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन होने जा रहे हैं, जिस कारण उपभोग से कहीं ज्यादा अस्तित्व बचाने के संकट से जूझना होगा।
रोजगार सृजन और विनाश का सबसे बड़ा प्रभाव पर्यावरण प्रौद्योगिकी और आर्थिक प्रवृत्तियों से तय होगा। शुद्ध नौकरियों से ज्यादा तेजी से अचानक आने वाले संकटों से जूझने वाली नौकरियां बढ़ेंगी। जलवायु परिवर्तन के कारण दुनिया की तमाम मौजूदा अर्थव्यवस्थाएं उलट पलट होंगी।
धीमी आर्थिक वृद्धि, आपूर्ति में कमी और इनपुट की बढ़ रही लागत के कारण आने वाले साल नौकरियों के लिहाज से संकट भरे हो सकते हैं या फिर ये कहा जाए कि साल 2029-30 में लोगों की तनख्वाहें साल 2021-22 से कम या इसके बराबर होंगी, तो अभी हो सकता है कि बहुत लोगों को यकीन न आएं, क्योंकि अब तक के इतिहास में नौकरियों में इस तरह का परिवर्तन नहीं देखा गया। लेकिन पर्यावरण विनाश और धीमी आर्थिक वृद्धि के कारण ऐसी स्थितियां पैदा हो रही हैं।

27 कई उद्योगों में बंटी हुई हैं 803 बड़ी कंपनियां
एक सर्वे में दुनिया की 803 बड़ी कंपनियां शामिल की गई हैं, जहां 1 करोड़ 13 लाख से ज्यादा लोग काम करते हैं। ये कंपनियां 27 विभिन्न तरह के उद्योगों में बंटी हुई हैं और दुनिया की 45 बड़ी अर्थव्यवस्थाओं का हिस्सा हैं। इस सर्वे को 2023 से 2027 के दौरान होने वाले बदलावों को ध्यान में रखकर किया गया है और उन संभावित बदलावों और जरूरतों की पड़ताल की गई है, जो जल्द ही हमारे उद्योग और जॉब की दुनिया का चेहरा बदलने वाले हैं।
इस सर्वे में फोकस इस बात पर किया गया है कि आने वाले पांच साल में नौकरियों की प्रवृत्तियों में मूलतः किस किस्म का बदलाव होगा? बाजार में किस स्तर के कौशल की मांग होगी और इस सबका दुनिया के मौजूदा जॉब बाजार की रणनीतियों में क्या असर पड़ेगा तथा इस सबसे विभिन्न व्यवसायों में किस तरह के नतीजे देखने को मिलेंगे? अगले पांच सालों में दुनिया के ज्यादातर व्यवसायों में मौजूदा तकनीकी बदल जायेगी।
इस बदलाव में एक तिहाई व्यवसाय या तो पहले से भिन्न रूप इख्तियार कर लेंगे या फिर इनका नामोनिशान ही खत्म हो जायेगा। हालांकि इस बीच कई उद्योग यथास्थिति पर बने रहने की ताकतवर कोशिश करेंगे, लेकिन नौकरियों के भविष्य की इस सर्वे रिपोर्ट का आंकलन है कि अगले पांच सालों में दुनिया के विभिन्न तरह के व्यवसायों में सबसे बड़ी हलचल तकनीकी की परिवर्तन की ही होगी।
सर्वेक्षण में शामिल 85 फीसदी से अधिक कंपनियों ने नई और सीमांत तकनीकों को अपनाने के लिए राजी दिखी हैं और इनका लक्ष्य है कि अगले पांच सालों में इनके कामकाज का ज्यादातर तरीका डिजिटल हो जाए। अगले पांच साल दुनियाभर के व्यवसायों का लक्ष्य खुद को अधिक से अधिक डिजिटल रूप आकार में बदलना है। क्योंकि हर कोई इस बात को मानता है कि तकनीकी, व्यवसायिक जगत की आने वाले दिनों में मुख्य चालक शक्ति होगी।
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बाजार में अनुकूल वातावरण नहीं
दरअसल अब तक हमेशा नौकरियों में वेतन और सुविधाओं पर हमेशा बढ़ोत्तरी होती रही है। उसका कारण यह होता रहा है कि बाजार में लगातार चीजों की मांग बनी रहती रही है। लेकिन जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण के बिगड़ते ट्रेंड के कारण प्राकृतिक विनाश की प्रवृत्तियां बढ़ी हैं, जिस कारण उपभोक्ता बाजार में उपभोग के बढ़ने का अनुकूल वातावरण नहीं है।
नतीजतन नौकरियां प्रभावित होंगी। हां, यह जरूर है कि अगले पांच सालों में डेटा, क्लाउड कंप्यूटिंग और आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस जैसी तकनीक दुनिया की 75 फीसदी से ज्यादा कंपनियों का हिस्सा हो जाएंगी। डेटा वाणिज्य और व्यापार के डिजिटलीकरण को जबरदस्त तरीके से प्रभावित करेगा और दुनियाभर में 80 फीसदी से ज्यादा कारोबार एप्स आधारित हो जायेगा। 86 प्रतिशत कंपनियां अपने 75 फीसदी से ज्यादा व्यवसाय को अगले पांच साल में ई-कॉमर्स में बदल देंगी और ऑनलाइन आर्थिक गतिविधियां जीवन की मुख्य कारोबारी गतिविधियां बन जायेगी।

लेजर प्रौद्योगिकी का विस्तार
रोबोट, बिजली भंडारण, प्रौद्योगिकी, स्वास्थ्य के क्षेत्र में लेजर प्रौद्योगिकी का विस्तार, अगले पांच साल में इन विभिन्न क्षेत्रों में परिवर्तन उलट पलट करने वाला होगा। 86 फीसदी कंपनियां आने वाले सालों में अपने दूरदराज में खोले गए दफ्तरों को बंद कर देंगी और डिजिटल सेंटर कमांड के जरिये देश और पूरी दुनिया के अपने कारोबार को नियंत्रित करेंगी। इस सबका सीधा सा मतलब है कि ज्यादातर नौकरियों में इंसान की जरूरतें कम होंगी और जहां होंगी वहां बहुत उन्नत तकनीक में माहिर लोगों की होंगी। इससे भविष्य में कम कुशल लोगों का जीवन अब के मुकाबले कहीं ज्यादा कठिन हो जायेगा।
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माहिर लोगों को ज्यादा मौका
कुछ लोगों के लिए बाजार में एक की जगह कई कई नौकरियां मौजूद हैं, जबकि बड़ी संख्या ऐसे लोगों की है, जिन्हें कोरोना के बाद नौकरी पाने में बहुत मुश्किल हो रही है। नौकरी मिल भी रही है तो वह कोरोना के पहले के परिश्रमिक स्तर से या तो थोड़े कम या उतने पर ही मिल रही है। दरअसल यह संकट सबसे ज्यादा उन लोगों को झेलना पड़ रहा है, जिनके पास बहुत एकहरी और बुनियादी किस्म की शिक्षा है,
जिनके पास तकनीकी कुशलता या तो है नहीं या बहुत सतही स्तर की है, जो आज की जरूरत को अच्छी तरह से पूरा नहीं करती। ऐसे लोगों के लिए बाजार में नौकरियों का वाकई संकट बन गया है या होने वाला है। जबकि सच यह भी है कि कारपोरेट जगत को योग्य और तकनीकी क्षेत्र में कहीं ज्यादा माहिर लोगों की लगातार कमी बनी हुई है। कोरोना के बाद महिलाओं के लिए श्रम बाजार में पहले से ज्यादा तंगी आयी है।
सबसे बड़ी बात यह है कि दुनिया की ज्यादातर अर्थव्यवस्थाओं ने कोरोना के बाद, अब कोरोना के पहले वाली आर्थिक स्थिति लगभग हासिल कर ली है और इस पर भी पहले के मुकाबले 5 से 10 फीसदी कम कर्मचारियों की बदौलत उन्हें यह मुकाम मिल चुका है। यह चमत्कार दो तरीकों से हुआ है- एक तो कोरोना के बाद तकनीकी में ज्यादा माहिर लोगों को ज्यादा मौके मिले हैं, जो पुराने लोगों के मुकाबले कहीं बेहतर परफोर्मेंस कर रहे हैं। दूसरी वजह यह है कि श्रम बाजार में अनिश्चितता के कारण एक बड़ा तबका पहले से कम सैलरी पर करने को राजी हो गया है। जिस कारण कोरोना से पहले की लागत में आज कहीं ज्यादा कामगारों की सेवाएं मिल पा रही हैं।
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