Online Junk Food Promotion: जाल में फंस रहे बच्चों, युवाओं और पैरेंट्स भी
Online Junk Food Promotion: ऑस्ट्रेलियाई सरकार इस बात की जांच कर रही है कि क्या हमें Unhealthy खाद्य पदार्थों के ऑनलाइन विज्ञापन पर प्रतिबंध लगाना चाहिए और यह कैसे काम कर सकता है। ब्रिटेन में Unhealthy खाद्य और पेय पदार्थों के ऑनलाइन विज्ञापन पर प्रतिबंध अक्टूबर 2025 से शुरू होगा। हाल में ऑस्ट्रेलिया में फेसबुक पर लक्षित जंक-फूड विज्ञापनों की जांच करने के लिए ऑस्ट्रेलियाई विज्ञापन वेधशाला का एक अध्ययन उपयोग किया। अध्ययन में पता चला कि Unhealthy भोजन और पेय पदार्थों को माता-पिता और अभिभावों और खुद बच्चों को आकर्षित करने के लिए डिज़ाइन किए गए तरीकों से प्रचारित किया जाता है।
इसके अलावा, अध्ययन में पता चला है कि युवाओं को फास्ट-फूड विज्ञापनों द्वारा लक्षित किया जा रहा था। बच्चों, युवाओं और अभिभावकों को ऑनलाइन विज्ञापनदाताओं द्वारा Unhealthy खाने को सामान्य बनाने के लिए अपनाई जाने वाली रणनीतियों के बारे में पता होना चाहिए। सभी को अधिक स्वस्थ डिजिटल वातावरण की मांग करनी चाहिए। सभी को जंक फूड के विज्ञापन पर ऑनलाइन प्रतिबंध लगाने की मांगों का समर्थन करता है।
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सोशल मीडिया फीड से 328,107 विज्ञापन पर अध्ययन
ऑस्ट्रेलियाई विज्ञापन वेधशाला ने फेसबुक पर लोगों द्वारा देखे जाने वाले लक्षित विज्ञापनों का दुनिया का सबसे बड़ा ज्ञात संग्रह बनाया है। 1,909 स्वयंसेवकों ने अपने सोशल मीडिया फीड से 328,107 विज्ञापन दान किए हैं। इससे शोधकर्ताओं को यह जांचने का अभूतपूर्व अवसर मिला है कि ऑस्ट्रेलियाई लोग सोशल मीडिया पर क्या विज्ञापन देखते हैं और उन्हें किस तरह से लक्षित किया जा रहा है।
डेटाबेस में सबसे ज़्यादा बिकने वाले Unhealthy खाद्य और पेय पदार्थों के ब्रांड को बढ़ावा देने वाले विज्ञापनों की खोज की। ये “विवेकाधीन” या “कभी-कभी” ऐसे खाद्य पदार्थ होते हैं जिनमें वसा और शर्करा की मात्रा अधिक होती है। इनमें फास्ट-फूड भोजन, कन्फेक्शनरी, मीठे पेय और स्नैक्स शामिल हैं। खाद्य पदार्थों की आपूर्ति करने वाली ऑनलाइन कंपनियों पर भी नज़र डाली क्योंकि वे डिजिटल मंचों पर काफी लोकप्रिय हैं। वे Unhealthy खाद्य पदार्थों को बढ़ावा देने में संभवतः भूमिका निभाती हैं।

25 प्रतिशत का योगदान दिया बड़े ब्रांड ने
141 अलग-अलग विज्ञापनदाताओं द्वारा बनाए गए लगभग 2,000 विज्ञापन मिले, जिन्हें लोगों ने लगभग 6,000 बार देखा। अध्ययन में Unhealthy खाद्य विज्ञापन अवलोकन में आधे इश्तिहार फास्ट-फूड ब्रांड के थे। फास्ट-फूड की दिग्गज कंपनियों केएफसी और मैकडॉनल्ड्स ने संयुक्त रूप से सभी Unhealth खाद्य विज्ञापन में लगभग 25 प्रतिशत का योगदान दिया। स्नैक और कैडबरी जैसे कन्फेक्शनरी ब्रांड का विज्ञापन में एक तिहाई हिस्सा था। कोका-कोला जैसे शीतल पेय ब्रांड का 11 प्रतिशत हिस्सा रहा। ऑनलाइलन विज्ञापनों में करीब नौ फीसदी इश्तिहार खाद्य वितरण कंपनियों के थे और इनमें आम तौर पर फास्ट-फूड विकल्पों को बढ़ावा दिया गया। कोल्स सुपरमार्केट और 7-इलेवन सुविधा स्टोर जैसों को हम जंक फूड ब्रांड नहीं मानते हैं, लेकिन ये भी नियमित रूप से जंक फूड को बढ़ावा देते हैं।
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जंक फूड की ताकत
जंक फूड के विज्ञापनों के प्रति बच्चों की संवेदनशीलता अच्छी तरह से स्थापित है। बच्चों का खाद्य विज्ञापन के प्रति आकर्षण इस बात से जुड़ा हुआ है कि वे किस प्रकार का भोजन पसंद करते हैं और अपने माता-पिता से उसे खरीदने के लिए कहते हैं। जब वे Unhealth खाद्य पदार्थों को प्राथमिकता देने लग जाते हैं, तो यह Unhealth आदतों और संबंधित स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं में योगदान देता है। लेकिन ऐसा नहीं है कि केवल बच्चे ही Unhealth खाद्य पदार्थों के विज्ञापन के प्रति संवेदनशील होते हैं। जंक फूड का विज्ञापन 18 से 24 वर्ष की आयु के युवाओं के भोजन के तरीकों और दृष्टिकोण को भी प्रभावित करता है। ऑनलाइन और डिजिटल तकनीकें आम तौर पर हमारे स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकती हैं।
इन्हें ‘स्वास्थ्य के डिजिटल निर्धारक’ के रूप में जाना जाता है। खाद्य सामग्री के विज्ञापन बनाने वाले कर्मी दर्शकों के एक खास वर्ग को लक्षित करने के लिए लोगों से संबंधित विशाल डेटा का उपयोग करते हैं। वे विज्ञापन को रोज़मर्रा की ज़िंदगी में सहजता से जोड़ सकते हैं। व्यस्त माता-पिता को ध्यान में रखकर बनाए गए विज्ञापनों के उदाहरण भी मिले, जिनमें फास्ट फूड को ऐसी चीज़ के रूप में पेश किया गया जो माता-पिता का समय बचाता है, बच्चों को शांत करता है और परिवारों को भोजन उपलब्ध कराता है। भले ही फेसबुक मंच सिर्फ 13 वर्ष या उससे अधिक आयु के लोगों के लिए उपलब्ध हो, लेकिन जंक-फूड के विज्ञापनों में बच्चों से संबंधित थीम का उपयोग किया जाता है। कई विज्ञापन सीधे बच्चों को आकर्षित करने के लिए डिज़ाइन किए गए प्रतीत होते हैं। इसमें बच्चों के भोजन में सब्ज़ियों जैसे ‘स्वस्थ’ खाद्य पदार्थों को बढ़ावा देने वाले विज्ञापन शामिल थे।
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