Smart Parenting: अपशब्द बोलें या बदतमीजी करे तो स्मार्ट डील करें
‘महात्मा बुद्ध एक बार एक गांव से गुजर रहे थे, लोगों ने उनको बहुत से अपशब्द कहे, उन्होंने एक भी शब्द प्रति उत्तर नहीं दिया, शिष्य ने हैरान होकर उनसे पूछा, की आपने कोई भी उत्तर क्यों नहीं दिया,उन्होंने कहा- एक बार लोग मेरे लिए सेब लेकर आये, मेरा पेट भरा था, तो मैंने उनकी भेंट स्वीकार नहीं की, तो फिर वो सेब वापस ले गये, अपने साथ…इसी प्रकार मैंने अपशब्द स्वीकार ही नहीं किये, फिर प्रति उत्तर कैसा,और अपशब्द कहने वाले अपने साथ ही वापस ले गये..शिष्य मुस्कुराकर, बुद्ध के साथ आगे बढ़ गया’।
इसी प्रकार बच्चे भी यदि अपशब्द बोलें या बदतमीजी करें तो उपरोक्त कहानी के अनुसार उनसे डील करें..आप जबाब न दें ,तो फिर प्रति उत्तर देने की भी आवशयकता नहीं है। इसी प्रकार हम नैतिक उदाहरण देकर बच्चों में संस्कार पैदा कर सकते हैं। बच्चा जब तक छोटा होता है, उसे समझाना और सिखाना आसान होता है लेकिन बड़े होते बच्चे के विचार, व्यवहार में कई तरह के बदलाव आने लगते हैं। जिसकी वजह से कई बार बच्चे में जरूरत से ज्यादा गुस्सा, बड़ों के प्रति अनादर, गैर जिम्मेदाराना बर्ताव देखा जाता है। एक्सपर्ट्स की मानें तो बच्चों के इस तरह के खराब व्यवहार और बदतमीजी के लिए कई कारण जिम्मेदार हो सकते हैं। अगर आपका बच्चा बदतमीजी कर रहा है तो उनके ऊपर चिल्लाने या उन्हें मारने पीटने से स्थिति और खराब हो सकती है। ऐसे में बेहतर है कि उनकी बदतमीजी के कारण को समझें और उसका समाधान ढूंढें।
बिगड़ने के कई कारण
बच्चे बिगड़ने के कई कारण हो सकते हैं, जैसे कि उनके विकास और शिक्षा के प्रकार, परिवारिक संबंध, और मानसिक उत्तेजना। बच्चों के ऊपर चिल्लाने या झगड़ने के बारे में भी विभिन्न संसाधनों में चर्चा की गई है। बच्चों के विकास के लिए प्यार, समर्थन, ध्यान, और उत्तेजना का महत्वपूर्ण योगदान होता है। इसके अलावा, बच्चों को साहसी और निर्भीक बनाने के लिए बड़ी-बड़ी उपाधियों से विभूषित करने की बजाय, उन्हें समझाना और समर्थन देना भी महत्वपूर्ण है। बच्चों के साथ संवाद और संबंधों को सुधारने के लिए अभिभावकों को उनकी भावनाओं को समझने और समर्थन करने की आवश्यकता होती है।
बचपन में बार-बार मार खाना
अशिक्षित परिवारों में बच्चों के साथ मारपीट करना आम होता है। इसीलिए असहाय बच्चा जब बचपन में अपने माता पिता से बार-बार मार खाता है बड़ा बनने पर असहाय और वृद्ध माता-पिता को पीटने से नहीं हिचकीचाता, क्योंकि माता-पिता ने ही तो उसे अपनी बातें मनवाने के लिए मारपीट का ‘संस्कार’ दिया। अगर बच्चे की बदतमीजी का कारण आपके समझ में नहीं आ पा रहा तब मनोवैज्ञानिक डॉक्टर चाइल्ड काउंसलर की मदद लें। वे बच्चों से संवाद कर एक या दो बैठकों में ही मूल कारण पढ़कर आपके समस्या का समाधान बता देंगे।
बच्चों की भावनाओं को पहचानें
बच्चों में कई तरह की भावनाएं आती हैं, लेकिन उन्हें पहचानना बच्चों के लिए काफी मुश्किल होता है, जैसे कि कोई स्कूल टीचर आपके बच्चे के प्रति कठोर हो सकता है, जिससे वह दुखी हो सकता है। अगर आपका बच्चा स्कूल में या स्कूल से आने के बाद दुर्व्यवहार करता है, तो ऐसे में यह जानने की कोशिश करें कि आपको ऐसा क्यों कर रहा है, और उसकी मदद करें।
आपस में तुलना करना खतरनाक
अक्सर कुछ माता-पिता अपने बच्चों की दूसरे बच्चों से तुलना करते हैं। साथ ही कई बार स्कूल में भी टीचर्स बच्चों की आपस में तुलना करते हैं। इस स्थिति में बच्चों में आत्मविश्वास कम होता है और वे खुद को दूसरे बच्चों से कम-ज्यादा आंकने लगते हैं। जिसका असर उनके व्यवहार में दिखाई देता है। इसलिए बच्चों की तुलना न करें, सभी बच्चों की अपनी अलग खासियत होती है। अगर बच्चे के साथ घर से बाहर या स्कूल में ऐसा व्यवहार होता है, तो उससे बातचीत करें और समाधान ढूंढें।
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बच्चे के सामने झगड़ा न करें
यह बात सच है कि बच्चे जो कुछ भी देखते हैं वही सीखते भी हैं। अगर पेरेंट्स आपस में झगड़ते हैं या वे उदास हैं तो इसकी अधिक संभावना है कि आपका बच्चे पर भी उसका असर पड़े। इससे उनके व्यवहार में परिवर्तन होना बहुत सामान्य है। इसके अलावा कई बार आपसे नाराज होने पर भी आपका बच्चा खराब व्यवहार कर सकता है। ऐसे में कोशिश करें कि बच्चे के सामने झगड़े न करें, उन्हें डांटे या उन पर चिल्लाएं नहीं। उनके साथ बातचीत करें और उन्हें प्यार से समझाएं।
टीवी देखने न रोकें, धीरे-धीरे उसे सझाएं
अक्सर देखा जाता है कि बच्चे टीवी पर चलने वाले शो या कुछ वीडियो गेम्स खेलने के बाद खराब व्यवहार करते हैं। अगर आप भी अपने बच्चे के साथ ऐसा देखते हैं तो ऐसा इसलिए है क्योंकि बच्चे अपने आस-पास हो रही चीजों के प्रति बहुत संवेदनशील होते हैं। वे अपने आसपास के लोगों या वातावरण से बुरी आदतों को बहुत आसानी से सीख लेते हैं। अपने टीवी देखने न रोकें, यह पहचानने की कोशिश करें कि किस शो के कारण उसके व्यवहार में बदलाव हुआ है और धीरे-धीरे उसे सझाएं।
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