By using this site, you agree to the Privacy Policy and Terms of Use.
Accept
WeStoryWeStoryWeStory
  • हिंदी न्यूज़
  • बिज़नेस
  • टेक्नोलॉजी
  • मनोरंजन
  • लाइफस्टाइल
  • सेहत
  • एजुकेशन
  • ऑटो
  • खेल
  • फाइनेंस
  • अन्‍य
    • सफलता की कहानी
    • स्टोरीज
    • शख़्सियत
    • उद्यमी (Entrepreneur)
Search
  • Advertise
Copyright © 2023 WeStory.co.in
Reading: Senior Citizen: कब बूढ़े हो गए पता ही नहीं चला ?
Share
Notification Show More
Font ResizerAa
WeStoryWeStory
Font ResizerAa
  • हिंदी न्यूज़
  • बिज़नेस
  • टेक्नोलॉजी
  • मनोरंजन
  • लाइफस्टाइल
  • सेहत
  • एजुकेशन
  • ऑटो
  • खेल
  • फाइनेंस
  • अन्‍य
Search
  • हिंदी न्यूज़
  • बिज़नेस
  • टेक्नोलॉजी
  • मनोरंजन
  • लाइफस्टाइल
  • सेहत
  • एजुकेशन
  • ऑटो
  • खेल
  • फाइनेंस
  • अन्‍य
    • सफलता की कहानी
    • स्टोरीज
    • शख़्सियत
    • उद्यमी (Entrepreneur)
Have an existing account? Sign In
Follow US
  • Advertise
© 2024 WeStory.co.in. All Rights Reserved.
WeStory > खेल > Senior Citizen: कब बूढ़े हो गए पता ही नहीं चला ?
खेलहिंदी न्यूज़

Senior Citizen: कब बूढ़े हो गए पता ही नहीं चला ?

वह पीढ़ी जो पुराने भारत में पैदा हुई थी और अपने करिअर के पीक के दिनों में आर्थिक, तकनीकी और जीवनशैली से संबंधित बदलाव से रूबरू हुई थी, वह पीढ़ी उम्र के पैमाने में तो एक निश्चित समय के बाद ही अधेड़ हुई और बूढ़ों...

WeStory Editorial Team
Last updated: 2024/02/22 at 6:07 PM
WeStory Editorial Team
Share
11 Min Read
Senior Citizen
Senior Citizen
SHARE

Senior Citizen: पुरानी पढ़ी को जिंदगी असफल-सपने अधूरे लगते हैं

वह पीढ़ी जो पुराने भारत में पैदा हुई थी और अपने करिअर के पीक के दिनों में आर्थिक, तकनीकी और जीवनशैली से संबंधित बदलाव से रूबरू हुई थी, वह पीढ़ी उम्र के पैमाने में तो एक निश्चित समय के बाद ही अधेड़ हुई और बूढ़ों की दुनिया में प्रवेश के लिए दरवाजे के बाहर पहुंच गई लेकिन उसके सपने, उसकी ख्वाहिशें और उसकी आकांक्षाएं अब के पहले किसी भी अधेड़ या बूढ़े से मेल नहीं खा रहे।

Table of Contents
Senior Citizen: पुरानी पढ़ी को जिंदगी असफल-सपने अधूरे लगते हैंलगता है कोई चीटिंग हो गयी है…शरीर ने भी आईना नहीं दिखायादेश में संचार क्रांति हुईकम्प्यूटर सीखने का दबाव बनायासंधिकाल में पुरानी पीढ़ी को हार मान गईउम्मीदों का भारी-भरकम बोझ

2010 के बाद अधेड़ या सीनियर सिटिजन के दायरे में पहुंचे व्यक्तियों में आज हर तीसरा अपनी अधूरी ख्वाहिशों के चलते बेचैन है। हालांकि अपने से पहले की तमाम पीढ़ियों के मुकाबले इसने ज्यादा सफलताएं पायी हैं, ज्यादा आर्थिक उन्नति भी की है लेकिन आज अपने से पीछे की पीढ़ी की सुविधाएं, सपने और वैभव को देखकर ये बेचैन हैं। पांचवें वेतन कमीशन के पहले रिटायर हो गए लोगों के लिए सातवें वेतन कमीशन के बाद मिले वेतन भत्ते या पेंशन हैरान और परेशान करने वाले रहे।

Senior Citizen
Senior Citizen

आज वह पीढ़ी जो नरसिम्हा राव की नई आर्थिक नीतियों के लागू होने के दौरान नौजवान हुई थी और इन नीतियों के फलने-फूलने तक रिटायर होने की तरफ बढ़ चली वह पीढ़ी ऐसी वरिष्ठ नागरिकों की पीढ़ी है जो तकनीकी रूप से तो बूढ़ी हो गई लेकिन अपने इर्द-गिर्द फलने-फूलने का जो सिलसिला देखा है, उसके कारण इसे अपनी जिंदगी असफल और सपने अधूरे लगते हैं।

लगता है कोई चीटिंग हो गयी है…

साल 2011 में 8.1 करोड़ सीनियर सिटिजन थे। इनमें से करीब 60 फीसदी ऐसे थे जो स्वस्थ थे। हर तरह के कामकाज के लायक थे। बहुत सारी स्किल्स के मालिक थे और अच्छा खास कमा भी रहे थे। आने वाले वर्षों में ऐसे स्वस्थ और सपने पालने वाले वरिष्ठ नागरिकों की संख्या 30 करोड़ से ऊपर जायेगी। हालांकि कोरोना के चलते जनगणना में हुई देरी के कारण यह आंकड़ा अभी तक नहीं आया लेकिन माना जा रहा है कि आज देश में करीब 25 करोड़ ऐसे सीनियर सिटिजन हैं जिनमें 12 से 14 करोड़ हर तरह से कार्यक्षम और अच्छा उपभोग करने वाले और न सिर्फ वर्तमान में सक्रिय बल्कि अगले एक दशक तक की अपने लिए योजना बनाने वाले हैं। वास्तव में ये ऐसे अधेड़ या वरिष्ठ नागरिक हैं जो बेहद बेचैन हैं।

Read more: Aliens-America Relation: क्या एलियंस का अमेरिका के साथ गुपचुप रिश्ता है ?

दुनियाभर की बेचैनियों को अपने सिर पर उठाए हैं और अधेड़ और वरिष्ठ नागरिक होने की पारंपरिक परिभाषा को हर हाल में बदलने के लिए तैयार हैं। बेचैनी की दो कारण हैं। एक तो देश में बुजुर्गों (60+वर्ष) की संख्या बड़ी तेजी से बढ़ी है और पीछे उससे भी तेज अधेड़ों का रेला चला आ रहा है। दूसरी वजह यह कि हाल के दशक इतनी तेज रफ्तार और उथल-पुथल भरी घटनाओं वाले रहे हैं कि पता ही नहीं चला कब बूढ़े हो गए यानी बूढ़े होने का ठप्पा लग गया। बिल्कुल ठगे सा रह जाने वाला एहसास हो रहा है। लगता है कोई चीटिंग हो गयी है। ये सोचते हैं अभी-अभी तो अपने सपनों और योजनाओं को व्यवस्थित किया था कि खट्ट से बुढ़ापे का फरमान आ गया। लोग हैरानी से अपने हाथ-पैर, दिल-दिमाग और पहनावे-ओढ़ावे को देख रहे हैं और उन्हें यकीन नहीं हो रहा कि जो कहा जा रहा है वह सही है।

Senior Citizen
Senior Citizen

शरीर ने भी आईना नहीं दिखाया

दरअसल पिछले कुछ दशक इतने उथल-पुथल भरे रहे हैं कि आज के सीनियर सिटिजन को इस स्थिति के लिए तैयार होने का समय ही नहीं मिला। शरीर ने भी आईना नहीं दिखाया क्योंकि न तन से बूढ़े हुए हैं और न ही मन से। ये इन सबसे बगावत भी कर सकते थे लेकिन इनकम ने इन्हें ठेंगा दिखा दिया। दरअसल तकनीकी रूप से हाल में बूढ़ी और तेजी से अधेड़ हुई यह वह पीढ़ी है जिसने देश के 2 रूप देखे हैं।

जब यह पीढ़ी नौजवान हुई थी तब देश अनंत समस्याओं का घर था और आर्थिक रूप से अक्लमंद होने का पैमाना कम से कम में जीवन गुजारना था लेकिन इनकी जवानी के दिनों में ही 90 के दशक में आयी नई आर्थिक नीतियों के बाद प्रधानमंत्री स्वर्गीय पीवी नरसिम्हा राव और तत्कालीन वित्त मंत्री डॉ. मनमोहन सिंह (जो बाद में 2 बार लगातार प्रधानमंत्री बने) की जोड़ी ने धीरे-धीरे देश की आर्थिक सूरत और हमारी पारंपरिक जीवनशैली की सीरत बदल दी। 90 के दशक के उत्तरार्ध में एक साथ इतने सारे बदलाव हुए जो उससे पहले के 4-5 दशकों में कभी नहीं हुए थे।

देश में संचार क्रांति हुई

देश बहुत तेजी से बदलने लगा। यही वह समय था जब देश में संचार क्रांति हुई। जिस देश में टेलीफोन लग जाने पर घर का स्टेटस बदल जाता था, लोग मुहल्ले में खुशी के लड्डू बंटवाते थे, उसी देश में घर में टेलीफोन लगाना अब इतना आसान हो गया कि बाजार गए और साथ में टेलीफोन लिए चले आए। सिर्फ टेलीफोन तक ही यह बदलाव सीमित नहीं था। स्कूटर, मोटरसाइकिल और कारों के मामलों में भी यही हो गया।

देश में आयी विदेशी बहुराष्ट्रीय कंपनियां लोगों को इतना वेतन देने लगीं कि एक-दो बार बताने पर कानों को यकीन ही नहीं होता था। बैंक मध्यवर्ग को इतनी सहजता और उदारता से कर्ज बांटने लगे कि जिस देश में औसतन 45 साल की उम्र के बाद नौकरी पेशे वाले लोग अपना मकान बना पाते थे, उस देश में युवा 28, 29 साल की उम्र में अपना फ्लैट और अपनी गाड़ी, ईएमआई के जरिये खरीदने लगे। देस में ये सब बहुत तेजी से हुआ। रातोरात जीवनशैली बदल गई। सपने बदल गए।

Read more: Land for Job Scam Case: कल ही हुए लालू प्रसाद यादव बिहार सरकार से बेदखल,आज होगी ED की पूछताछ

कम्प्यूटर सीखने का दबाव बनाया

यहीं पर उस दौर की युवा और स्थापित पीढ़ी के साथ कुछ नाइंसाफी भी हुई। वह पीढ़ी जो बेहद गरीब भारत में अपनी मेहनत और कोशिशों से उठकर व्यवस्थित हुई थी और यह समझ रही थी कि वह पारंपरिक रूप से सफल है, अचानक वह 90 के दशक के उत्तरार्ध में कम्प्यूटर इलिटरेट हो गई। हर दफ्तर में कम्प्यूटर हो जाने या जल्द ही कम्प्यूटर हो जाने की संभावना ने इस पीढ़ी में रातोरात कम्प्यूटर सीखने का दबाव बनाया और करीब-करीब 70 से 80 फीसदी तक लोगों ने अपने आपको नई तकनीकी जरूरतों के रूप में ढाला भी लेकिन 20 से 25 फीसदी लोग ऐसा नहीं कर पाए और उन्हें अपनी नौकरी गंवानी पड़ी। जो लोग हर हाल में संघर्ष करके अपने आपको नई तकनीक के अनुकूल ढाला, उनकी भी रफ्तार और परफार्मेंस उस पीढ़ी के सामने गच्चा खा गई जो कम्प्यूटर, मोबाइल और इंटरनेट के बीच ही आंखें खोली थीं।

Senior Citizen
Senior Citizen

संधिकाल में पुरानी पीढ़ी को हार मान गई

सवाल है, इसमें नई कौन सी बात है। ऐसा तो पहले भी होता रहा है कि दो पीढ़ियों के संधिकाल में पुरानी पीढ़ी को हार माननी ही पड़ती रही है लेकिन 21वीं सदी में कुछ ऐसा हुआ जो पहले नहीं हुआ था। 21वीं सदी के पहले दशक में संचार माध्यमों विशेषकर इंटरनेट की बदौलत सचमुच में दुनिया एक ग्लोबल विलेज में बदल गई। पहले यह बात सिर्फ जुमलों और कुछ लोगों की वास्तविकता तक ही सीमित थी लेकिन 21वीं सदी के पहले दशक में दुनिया के 80 से 90 फीसदी तक आम से आम लोगों के कामकाज से लेकर खानपान और कमाई तक के संबंध भूमंडलीय हो गए।

कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक आम लोगों के घरों में चाऊमीन, मैगी, मंचूरियन और पिज्जा पहुंच गए। सस्ते और आसानी से मिलने वाले लोन के कारण 1998 से 2013 तक लगातार कारों की संख्या में 10 से 15 फीसदी का इजाफा सालाना हुआ। औसतन लगभग हर तीसरे घर में दोपहिया वाहन की एंट्री हो गई और पूरे देश में लगभग 5 करोड़ छोटे-बड़े मकान करीब डेढ़ दशकों के भीतर अस्तित्व में आये। इसलिए लगातार रियल स्टेट 20 फीसदी या इसके ऊपर की वृद्धि करता रहा।

Read more: Deficiency of Potassium in Soil: पोटेशियम की कमी से जूझ रही 20% कृषि मिट्टी

उम्मीदों का भारी-भरकम बोझ

उम्र बढ़ती जा रही है। काम का बोझ भी बढ़ता जा रहा है लेकिन आय समानुपातिक रूप में या तो घट रही है या जरूरतों व महत्वाकांक्षाओं के सामने मामूली होती जा रही है। आज देश में ताजा-ताजा हुए सीनियर सिटिजन या होने के कगार पर खड़े ज्यादातर लोगों की यही स्थिति है। एक जमाना था जब यह उम्र या इस उम्र के नजदीक पहुंचना स्वतः राहत महसूसना होता था। जीवन में भले कुछ न कर पाए हों लेकिन दिल में कोई बहुत बेचैनी नहीं होती थी।

शायद उम्र के इस पड़ाव तक आते-आते दिल दिमाग ऑटोमेटिक स्वीकार कर लेता था कि जो कुछ हो सकता था, वह हो गया। आज ऐसा नहीं है। आज नया-नया हुआ सीनियर सिटिजन या इसके नजदीक पहुंच रहा शख्स अपने सिर पर उम्मीदों और असफलताओं का भारी-भरकम बोझ लादे हुए है जिसकी वजह से वह बेचैन है।

 

  • Author
  • Recent Posts
WeStory Editorial Team
WeStory Editorial Team
Author at WeStory
WeStory.co.in - वीस्टोरी के संपादक टीम आपको अनुभव, सफलता की कहानी, जोश,हिम्मत और बराबरी की कहानी के साथ -साथ ताजा समाचार और अन्य विषय पर भी एजुकेशन, मनोरंजन, टेक्नोलॉजी, ऑटोमोबाइल, बिज़नेस, फाइनेंस, सेहत, लाइफस्टाइल इत्यादि पे आपने लेख पब्लिश करते हैं !
WeStory Editorial Team
Latest posts by WeStory Editorial Team (see all)
  • Mark Zuckerberg joins US Army: अमेरिकी सेना के जवान पहनेंगे चश्मे और हेलमेट - June 11, 2025
  • Pahalgam Terrorist Attack: नया भारत है, यह रुकता नहीं, झुकता नहीं - June 11, 2025
  • Ather Electric Scooters: एथर रिज़्टा की 1 लाख से अधिक यूनिट्स बिकीं - June 11, 2025

You Might Also Like

Mark Zuckerberg joins US Army: अमेरिकी सेना के जवान पहनेंगे चश्मे और हेलमेट

Pahalgam Terrorist Attack: नया भारत है, यह रुकता नहीं, झुकता नहीं

Basavaraju News: अबूझमाड़ में मारा गया बसवराजू , आंध्र-तेलंगाना में माओवादी पार्टी का पर्याय था

Indian Business Family: युवाओं की पारिवारिक बिजनेस में रुचि कम

US Debt Crisis: सिर से पैर तक कर्ज में डूबा है अमेरिका, रेटिंग एजेंसी का झटका

TAGGED: Citizen, Senior Citizen, Senior people, westory

Sign Up For Daily Newsletter

Be keep up! Get the latest breaking news delivered straight to your inbox.

By signing up, you agree to our Terms of Use and acknowledge the data practices in our Privacy Policy. You may unsubscribe at any time.
Share This Article
Facebook Twitter Copy Link Print
Share
Previous Article Deficiency of Potassium in Soil Deficiency of Potassium in Soil: पोटेशियम की कमी से जूझ रही 20% कृषि मिट्टी
Next Article Credit Score Credit Score: कर्ज लेना है तो सुधार लो Cibil Score
Leave a comment Leave a comment

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Latest News

Mark Zuckerberg joins US Army
Mark Zuckerberg joins US Army: अमेरिकी सेना के जवान पहनेंगे चश्मे और हेलमेट
हिंदी न्यूज़ June 11, 2025
Pahalgam Terrorist Attack
Pahalgam Terrorist Attack: नया भारत है, यह रुकता नहीं, झुकता नहीं
हिंदी न्यूज़ June 11, 2025
Ather Electric Scooters
Ather Electric Scooters: एथर रिज़्टा की 1 लाख से अधिक यूनिट्स बिकीं
टेक्नोलॉजी June 11, 2025
Travel insurance
Travel insurance: इंटरनेशनल ट्रिप की प्लानिंग कर रहे हैं? जानिए क्यों ट्रैवल इंश्योरेंस है सबसे अच्छा साथी
फाइनेंस June 11, 2025

Categories

  • अन्‍य
  • उद्यमी (Entrepreneur)
  • एजुकेशन
  • ऑटोमोबाइल
  • खेल
  • टेक्नोलॉजी
  • फाइनेंस
  • बिज़नेस
  • मनोरंजन
  • लाइफस्टाइल
  • सफलता की कहानी
  • सेहत
  • स्टोरीज
  • हिंदी न्यूज़

About WeStory US

WeStory.co.in एक न्यूज पोर्टल प्रोफेशनल Author,न्यूज़ जर्नलिस्ट और अनुभवी केटेगरी के प्रफेशनल के दुवारा लिखा लेख इन सारे विषय से जैसे की जुकेशन, मनोरंजन, टेक्नोलॉजी, ऑटोमोबाइल, बिज़नेस, फाइनेंस, सेहत एक न्यूज ब्लॉग पब्लिश करते है और आपको जानकारी देके आपको अनभभावी बनाते है !

Recent Posts

  • Mark Zuckerberg joins US Army: अमेरिकी सेना के जवान पहनेंगे चश्मे और हेलमेट
  • Pahalgam Terrorist Attack: नया भारत है, यह रुकता नहीं, झुकता नहीं
  • Ather Electric Scooters: एथर रिज़्टा की 1 लाख से अधिक यूनिट्स बिकीं

Categories

  • अन्‍य
  • उद्यमी (Entrepreneur)
  • एजुकेशन
  • ऑटोमोबाइल
  • खेल
  • टेक्नोलॉजी
  • फाइनेंस
  • बिज़नेस
  • मनोरंजन
  • लाइफस्टाइल
  • सफलता की कहानी
  • सेहत
  • स्टोरीज
  • हिंदी न्यूज़

Important Links

  • About Us
  • Contact Us
  • Disclaimer
  • Privacy Policy
Follow US
© 2024 Westory. All Rights Reserved.
Join Us!

Subscribe to our newsletter and never miss our latest news, podcasts etc..

Zero spam, Unsubscribe at any time.
Go to mobile version
Welcome Back!

Sign in to your account

Lost your password?