Sunil Chhetri: सबसे ज्यादा गोल दागने के मामले में चौथे नंबर पर
पिछले साल भारतीय फुटबॉल टीम ने सैफ कप में पाकिस्तान को 4-0 से हराकर टूर्नामेंट में शानदार शुरुआत की थी। इस मैच की सबसे बड़ी बात यह रही कि इसमें भारतीय कप्तान सुनील छेत्री ने शानदार हैट्रिक लगायी। यह हैट्रिक लगाते ही वह फुटबॉल की दुनिया के सर्वाधिक चमचमाते सितारों की पहली कतार का हिस्सा हो गए। सुनील छेत्री जिन्हें भारत का लियोनेल मैसी भी कहा जाता है, दुनिया में सबसे ज्यादा गोल दागने के मामले में चौथे नंबर पर पहुंच गए हैं।
एक्टिव खिलाड़ियों के पैमाने से देखें तो वह मौजूदा समय में अर्जेंटीना के लियोनेल मैसी और पुर्तगाल के क्रिस्टियानो रोनाल्डो के बाद दुनिया के तीसरे सबसे ज्यादा गोल दागने वाले खिलाड़ी हैं। क्रिस्टियानो रोनाल्डो ने अब तक 123 और लियोनेल मैसी ने 109 गोल दागे हैं जबकि सुनील छेत्री ने 138 मैचों में 90 गोल किए हैं। अगर उनके क्लब लेबल के गोल्स की बात की जाए तो उन्होंने अब तक 140 मैच में 58 गोल किए हैं और अगर अब तक के उनके द्वारा किये गए सभी तरह के गोल्स की बात की जाए तो Sunil Chhetri ने अब तक देश और विदेश में खेले गए सभी तरह के फुटबॉल मैचों में 242 गोल किए हैं।
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रोनाल्डो और मैसी को भी पछाड़ा
सुनील छेत्री द्वारा किये गए ये गोल उन्हें हर मायने में दुनिया की पहली कतार का चमकदार खिलाड़ी बनाते हैं। कुछ मामलों में तो वे दुनिया के सबसे सितारा फुटबॉल खिलाड़ियों क्रिस्टियानो रोनाल्डो और लियोनेल मैसी से भी आगे हैं। मसलन रोनाल्डो और मैसी की तुलना में सुनील छेत्री का गोल स्कोरिंग रेसियो बेहतर है। सुनील छेत्री ने जहां 0.65 के रेसियो से गोल दागे हैं, वहीं क्रिस्टियानो रोनाल्डो ने 0.62 और लियोनेल मैसी ने 0.59 के रेसियो से गोल दागे हैं।
सैफ चैंपियनशिप की 21 जून, 2023 से बेंगलुरु के कांतिराव स्टेडियम से हुई और पहला मैच भारत व पाकिस्तान के बीच हुआ। इस मैच को देखने के लिए स्टेडियम में 23,000 से ज्यादा दर्शक जमा थे, जो बीच-बीच में सुनील छेत्री का नाम लेकर वैसी आवाजें लगा रहे थे जैसे क्रिकेट के दर्शक लगाते हैं। कहना न होगा कि भारत के मैसी ने भी उन्हें कतई निराश नहीं किया। जब-जब दर्शकों ने सुनील, सुनील कहकर पुकारा, उन्होंने पाकिस्तान के ऊपर हवा से लहराता हुआ गोल दाग दिया। सुनील ने खेल शुरू होने के 10वें मिनट में पहला गोल किया, 16वें मिनट में दूसरा और 73वें मिनट में तीसरा गोल करके शानदार हैट्रिक बनायी।
इससे पाकिस्तानी खिलाड़ी इस कदर बौखला गए कि मैच की समाप्ति पर वे भारतीय खिलाड़ियों से भिड़ गए और मारपीट करने की सोचने लगे लेकिन भारतीय टीम के कोच इगोर स्टिमैक की बदौलत झगड़ा बढ़ने से बच गया। इस मैच के बाद भारतीय खिलाड़ियों का जश्न कई गुना ज्यादा बढ़ गया और ऐसा हो भी क्यों ना क्योंकि Sunil Chhetri ने वह कमाल किया है जिनकी अकेले की बदौलत भारत का फुटबॉल के नक्शे पर चटख नाम देखा जा सकता है।

बचपन से ही जबरदस्त रुचि
नेपाली माता-पिता की संतान सुनील छेत्री का जन्म 3 अगस्त 1984 को हैदरावाद के जुड़वां शहर सिकंदराबाद में हुआ था। उनकी दो मौसियां नेपाल की राष्ट्रीय टीम के लिए फुटबॉल खेला करती थीं। शायद इसीलिए फुटबॉल सुनील की रगों में बहते खून में था। बचपन से ही सुनील की फुटबॉल के खेल में जबरदस्त रुचि थी। सुनील के पिता चूंकि भारतीय सेना की गोरखा रेजिमेंट में थे, इसलिए उनका कुछ दिनों के बाद तबादला होता रहता था। नतीजतन सुनील छेत्री को एक नहीं कई शहरों में बचपन गुजारना पड़ा। उन्हें इससे कोई फर्क नहीं पड़ा क्योंकि उनकी तो रग रग में फुटबॉल मैच का नशा था।
इसलिए वे जहां भी जाते जल्द ही अपनी उम्र के लड़कों का एक ग्रुप तैयार करते और फुटबॉल खेलना शुरू कर देते। 17 साल की उम्र में साल 2001 में सुनील छेत्री ने अपना पहला प्रोफेशनल फुटबॉल मैच देश की राजधानी दिल्ली में खेला। यहीं पर देश के मशहूर फुटबॉल क्लब मोहन बागान ने पूत के पांव पालने में देख लिया। मोहन बागान के सेलेक्टर को सुनील छेत्री का खेल देखकर यह समझने में देर न लगी कि वह भविष्य के सितारे हैं। इसलिए बिना किसी हील हुज्जत के मोहन बागान ने सुनील छेत्री को अपने क्लब से जोड़ लिया। इसके बाद शुरू हुई सुनील छेत्री की शानदार ट्रेनिंग और सुनील फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।
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जूनियर और सीनियर दोनों ही श्रेणियों में खेला
सुनील ने भारतीय टीम के लिए जूनियर और सीनियर दोनों ही श्रेणियों में खेला है। वह मौजूदा भारतीय सीनियर फुटबॉल टीम के कप्तान हैं। साल 2007 में जब सुनील ने कंबोडिया के विरुद्ध शानदार 2 गोल किए तभी वह रातोरात देशभर में फुटबॉल प्रेमियों के हीरो बन गए थे। सिर्फ देश के ही नहीं बल्कि उस मैच को देखकर दुनिया के फुटबॉल प्रेमियों की आंखों के सुनील सितारा बन गए।
इसी तरह 2008 में उन्होंने ताजिकिस्तान के विरुद्ध 3 शानदार गोल किए और 27 सालों के बाद भारत को एशिया कप में प्रवेश दिलाया। सुनील छेत्री के इस शानदार खेल को देखकर दुनिया के कई देशों के फुटबॉल क्लबों ने और कई देशों ने अपनी राष्ट्रीय टीम की तरफ से सुनील को खेलने का ऑफर दिया लेकिन सुनील ने किसी देश की टीम के साथ खेलने के ऑफर को बिल्कुल नहीं स्वीकारा। उनके बारे में कहा जा रहा था कि इंग्लिश प्रीमियर लीग उनके साथ अनुबंध करना चाहती है लेकिन यह संभव नहीं हुआ।

72 मैचों में 41 गोल दागे
साल 2010 में कंसास सिटी के लिए Sunil Chhetri ने मेजर लीग सॉकर खेलने यूएसए गए और इस तरह वे तीसरे भारतीय बने जो भारत के बाहर अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल क्लबों में खेले हैं। साल 2012 में उन्होंने स्पोर्टिंग क्लब डी पुर्तगाल की रिजव्र्स टीम की तरफ से भी खेला और अपने शानदार खेल से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। स्पोर्टिंग क्लब डी पुर्तगाल के साथ अनुबंध खत्म होते ही उन्होंने बेंगलुरु फुटबॉल क्लब के साथ अनुबंध कर लिया और फिलहाल वह इसी के साथ जुड़े हुए हैं।
वे इस क्लब के कप्तान हैं और देश की राष्ट्रीय टीम के भी। अपने 72 मैचों में जब सुनील ने 41 गोल दागे थे तभी वह देश में सबसे ज्यादा गोल करने वाले फुटबॉल बन गए थे और अब तो उनके द्वारा किये गए कुल गोल 90 हैं। भारत ने 2007, 2009 और 2012 में नेहरू कप जीता है, तो इसमें भी बड़ी भूमिका सुनील छेत्री की थी। साल 2008 में जब भारत ने एशिया कप के लिए क्वालीफाई किया तो उसमें भी सुनील छेत्री का बड़ा योगदान था। इसमें कोई किंतु परंतु ही नहीं है कि वे भारत के अब तक के सबसे अच्छे फुटबॉल खिलाड़ी हैं। यहां तक कि बाईचुंग भूटिया भी उनकी प्रतिभा की जबरदस्त रोशनी में फीके पड़ जाते हैं।

2007 में प्लेयर ऑफ द ईयर का पुरस्कार
Sunil Chhetri को साल 2007 में पहली बार प्लेयर ऑफ द ईयर का पुरस्कार मिला था। इसके बाद वह 3 बार और प्लेयर ऑफ द ईयर का अवार्ड जीत चुके हैं। ये तमाम कारनामे और उनके खेल की दूर-दूर तक प्रसिद्धि बताती है कि वे भारत के अब तक के सबसे प्रतिभावान खिलाड़ी हैं।
उन्होंने महज अपनी बदौलत भारतीय फुटबॉल टीम को इतनी ऊंचाई पर ले गए हैं कि ओलंपिक के लिए भारतीय टीम द्वारा क्वालीफाई तक न कर पाने के बावजूद फुटबॉल की दुनिया में भारत को भी एक ताकत माना जाता है। हालांकि हमारी फीफा रैंकिंग 102 है लेकिन हाल ही में सुनील छेत्री की बदौलत भारत ने 99 रैंकिंग वाले लेबनान को 2-0 से हराकर इंटरकान्टिनेंटल फुटबॉल क्लब जीता था। इस मैच में भी इस विंगर या स्ट्राइकर की जबरदस्त भूमिका थी।