Anil Agrawal – अनिल अग्रवाल ने कई देशों में खड़ा किया माइनिंग और मेटल का बिजनेस
Anil Agrawal: भारतीय उद्योग में वेदांता रिसोर्सेज लिमिटेड के चेयरमैन अनिल अग्रवाल का एक बड़ा नाम है। वह न केवल एक सफल बिजनेसमैन हैं, बल्कि उनकी कहानी भी बहुत ही प्रेरक है। वेदांता से पहले अग्रवाल ने 9 बिजनस शुरू किये थे। लेकिन सभी फेल हो गए। इसके बाद उन्होंने वेदांता रिसोर्सेज की स्थापना की और आज यह हजारों करोड़ की कंपनी है। खास बात यह है कि अग्रवाल कभी कॉलेज नहीं गए। इतना ही नहीं, उन्हें इंग्लैंड की कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में बिजनेस स्टूडेंट को संबोधित करने के लिए भी बुलाया गया। उन्हें हाल में ही कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में स्टूडेंट को ‘सपनों का पीछा कैसे करें’ विषय पर संबोधित करने के लिए बुलाया गया था।

कभी हार मत मानो, डिग्री की जरूरत नहीं
कैंब्रिज यूनिवर्सिटी जाने के अपने अनुभव के बारे में अनिल अग्रवाल ने लिखा कि यह किसी सपने से कम नहीं था। बिहार से निकलकर दुनिया के कई देशों में माइनिंग और मेटल बिजनेस का साम्राज्य खड़ा करने वाले अनिल अग्रवाल के मुताबिक, जो कभी कॉलेज नहीं गया, उसे कैंब्रिंज यूनिवर्सिटी बुलाया जाए और छात्रों के साथ बातचीत का मौका मिले, यह किसी सपने से कम नहीं है। वेदांता के मालिक ने छात्रों को कहा कि सबसे अहम चीज है कि कभी हार मत मानो। आपको डिग्री की जरूरत नहीं है, फैमिली बैकग्राउंड जरूरी नहीं है या अच्छी अंग्रेजी भी महत्वपूर्ण नहीं है। वेदांता के मालिक के मुताबिक ये चीजें मदद करती हैं लेकिन सबसे अधिक जरूरी जिद, बिना भय का होना है।
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गरीबी में कटा बचपन
बिहार के पटना के एक छोटे से गाँव में अग्रवाल परिवार के घर 24 जनवरी 1854 को एक लड़के का जन्म होता है, जिसका नाम रखा गया अनिल। परिवार में चार बच्चों का पालन-पोषण करना गरीब माता-पिता के लिए बहुत मुश्किल था। महीने में 400 रुपए की कमाई में ही सभी का पालन होता। अपनी स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद अनिल अग्रवाल ने कॉलेज जाने से बेहतर अपने पिता के काम को करना समझा। चूँकि अनिल अग्रवाल अपने पिता के साथ काम कर रहे थे तो उन्होंने नौकरी करने के बजाय खुद का छोटा सा व्यवसाय शुरू करना ही सही समझा। इसके लिए उन्होंने भोईवाड़ा के मेटल मार्केट में किराए पर छोटी सी दुकान खरीद ली। अब भी उनके पास न ही ज्यादा पैसे थे और न ही ज्यादा अनुभव। बस अपने सपनों को पूरी लगन के साथ पूरा करने के लिए मेहनत करते रहे। इस दूकान पर वे मेटल का कबाड़ बेचा करते। 1970 के दशक में उन्होंने मेटल की धातुओं की ट्रेडिंग शुरू कर दी थी। वे कई राज्यों की कबल कंपनियों से सामान खरीदकर मुंबई में बेचा करते थे। मेहनत के कारण उन्हें अपने काम में सफलता भी मिली। देखते ही देखते उन्होंने अपनी कम्पनी की भी स्थापना कर दी।

19 साल की उम्र में मुंबई गये
पटना के एक मारवाड़ी परिवार में पैदा हुए अनिल अग्रवाल का शुरू से ही अपने बिजनेस को बड़ा बनाने का सपना था। 19 साल की उम्र में उन्होंने अपने पिता का बिजनेस छोड़ मुंबई का रुख किया और अपने लिए नए अवसर तलाशने में जुट गए। आज माइनिंग टाइकून के रूप में दुनियाभर में नाम कमा चुके अनिल अग्रवाल ने साल 1970 में कबाड़ खरीदना (स्क्रैप डीलर) शुरू किया था। उन्होंने कैंब्रिज में स्टूडेंट को बताया कि 20 से 30 साल की उम्र में मैंने काफी संघर्ष किया। इस दौरान 9 बार अपने बिजनेस में फेल हुआ और तब मुझे पहली सफलता मिली। इसके बाद मैंने पीछे मुड़कर नहीं देखा और अपने लिए नए-नए रास्ते बनाते गए। अनिल अग्रवाल ने अपने टि्वटर हैंडल पर बिजनेस के दौरान हुए अनुभवों को शेयर किया है। उन्होंने लिखा- ‘एक ऐसा व्यक्ति जो कभी कॉलेज नहीं गया, उसे कैंब्रिज यूनिवर्सिटी से स्टूडेंट को संबोधित करने के लिए बुलाया गया। जहां बताया कि सपनों के लिए कुछ भी असंभव नहीं होता।’

सफलता की ओर पहला कदम: स्टरलाइट इंडस्ट्रीज
अग्रवाल की कड़ी मेहनत का फल 1986 में तब मिला जब भारत सरकार ने प्राइवेट सेक्टर को टेलीफोन केबल बनाने की मंजूरी दी। 1980 में अग्रवाल ने स्टरलाइट इंडस्ट्रीज को खरीदा और 1990 में कॉपर रिफाइनिंग का व्यवसाय शुरू किया। स्टरलाइट इंडस्ट्रीज भारत की पहली प्राइवेट कंपनी बनी जो कॉपर रिफाइनिंग का काम करती थी। इसके बाद अग्रवाल ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और उनकी सफलता की कहानी लगातार आगे बढ़ी।
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वेदांता का वैश्विक प्रभाव
आज वेदांता रिसोर्सेज लिमिटेड एक वैश्विक प्राकृतिक संसाधन कंपनी बन चुकी है जो मिनरल्स ऑयल और गैस का निष्कर्षण और प्रसंस्करण करती है। कंपनी के पास लगभग 64000 कर्मचारी और कॉन्ट्रैक्टर हैं और इसका प्रोडक्ट दुनिया भर में बेचा जाता है। वेदांता की सफलता अनिल अग्रवाल के संघर्ष और दृढ़ संकल्प का परिणाम है जो हर व्यवसायी के लिए एक प्रेरणा है। वेदांता रिसोर्सेज लिमिटेड एक नेचुरल रिसोर्सेज कंपनी है। दुनियाभर में इसकी उपस्थिति है। यह मिनरल्स, ऑयल एंड गैस को निकालती है और प्रोसेस करती है। कंपनी के करीब 64 हजार कर्मचारी और कॉन्ट्रैक्टर्स हैं। मुख्य रूप से यह कंपनी भारत, अफ्रिका, आयरलैंड और ऑस्ट्रेलिया में है। दुनियाभर में कंपनी का प्रोडक्ट बिकता है।

आज हैं हजारों करोड़ के मालिक
अनिल अग्रवाल को सोशल मीडिया पर फॉलो करने वालों की भी कमी नहीं है। उनके मोटिवेशनल पोस्ट को लोग काफी पसंद करते हैं। टि्वटर पर उनके करीब 1.63 लाख फॉलोअर्स हैं। फोर्ब्स के अनुसार, उनकी नेट वर्थ 16 हजार करोड़ रुपये है। अगर उनके परिवार की कुल नेट वर्थ देखी जाए तो यह 32 हजार करोड़ रुपये बैठती है। मौजूदा समय में उनका वेदांता ग्रुप 1,48,729 करोड़ रुपये पहुंच गया है। कभी थोड़े से पैसे के लिए परेशान रहने वाले अनिल अग्रवाल आज 3.6 बिलियन डॉलर की संपत्ति के मालिक के मालिक है। वे अपने आप को बहुत खुशनसीब मानते हैं और समाज की भलाई के लिए हमेशा आगे रहते हैं। उन्होंने कोरोना काल में समाज के लिए 150 करोड़ दान किये थे।
इतना ही नहीं वे उस वक्त भी चर्चा में आये जब उन्होंने घोषणा की कि वे अपनी संपत्ति का 75 प्रतिशत हिस्सा समाज के नाम कर देंगे। अनिल अग्रवाल अपनी इस सफलता के लिए अपनी मां और पत्नी को श्रेय देते हैं। इसीलिए उन्होंने महिला दिवस के मौके पर भी करोड़ों का दान दिया था। सोशल मीडिया के जरिये वे अपने संघर्ष और सफलता की कहानी साझा करते रहते हैं। साथ ही युवाओं को संदेश देते हैं कि यदि आप सपने देखते हैं तो उन्हें पूरा करने के लिए मेहनत भी करें क्योंकि सच्चे दिल से किये गए काम को पूरा करने के लिए किस्मत धीरे-धीरे अपने दरवाजे खोलती है।
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