Broomees Niharika Jain – ब्रूमीज कंपनी की नींव रखने वाली निहारिका जैन की कहानी
Broomees Niharika Jain: निहारिका ने अपने उद्यमिता और मेहनत से कैसे ब्रूमीज कंपनी की नींव रखी ये हम आपको बताएंगे ही, साथ ही उनकी संघर्षों से लेकर, कैसे उन्होंने यह कंपनी एक सफल व्यापार में बदली, इसकी कहानी भी बताएंगे। यह कहानी न सिर्फ एक व्यक्ति की कड़ी मेहनत और समर्पण का प्रतीक है, बल्कि एक समाज की सेवा करने की भावना को भी उजागर करता है। यह कहानी निहारिका जैन और उनकी कंपनी ‘ब्रूमीज’ के बारे में है, जो ऑनलाइन घरेलू सहायक और देखभाल सेवाएं प्रदान करती है। इस कहानी का उद्देश्य है निहारिका जैन की सफलता को साझा करना और उनके उद्यमिता के क्षणों को दर्शाना है। इस कहानी का उद्देश्य सिर्फ मोटिवेशनल और उद्यमिता की प्रेरणा प्रदान करना है और किसी भी व्यापारिक योजना या निवेश के लिए सलाह नहीं है। हर व्यक्ति की स्थिति अनुसार निवेश की योजना बनाने से पहले विशेषज्ञ सलाह लेना सुरक्षित होता है।

वैभव और सौरव के साथ खड़ी की कंपनी
निहारिका का कहना है कि रिश्तेदार बोलते थे लड़की होकर ऐसा स्टार्टअप कौन करेगा, मैं अक्सर घर पर देखते थी की काम करने वाली कभी देर से आई तो कभी आई ही नहीं, बिना बताए ही वह कई-कई दोनों की छुट्टी ले लेती थी, काम को लेकर भी इनके पास कोई प्रोफेशनलिज्म नहीं होता, ना ही कोई स्किल। सिचुएशन को देखकर मैं इसके सॉल्यूशन के बारे में सोने लगी, साल 2019 की बात है दिल्ली के हिंदू कॉलेज से पढ़ाई पूरी करने के बाद मैं हैदराबाद पढ़ाई करने जा रही थी। फीस वगैरा सब कुछ जमा हो चुकी थी, तभी कोविड आ गया सारी चीज बंद हो गई, तब मैं स्टार्टअप करने के बारे में सोचने लगी। व्हाट्सएप ग्रुप से दो दोस्त वैभव और सौरव मिले, हमने ऑनलाइन घरेलू हेल्पर को ध्यान में रखते हुए ब्रूमीज की शुरुआत की। आज हमारे साथ 11,000 से ज्यादा लोग जुड़े हुए हैं, कंपनी का सालाना टर्नओवर 4 करोड़ है।
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बस्ती की महिलाओं की दिक्कतों को समझा
निहारिका कहती हैं जब हम ऑनलाइन कैब बुक कर सकते हैं, खाना ऑर्डर कर सकते हैं, सामान मंगवा सकते हैं, तो फिर ऑनलाइन हाउस हेल्पर क्यों नहीं। हम हाफस हेल्पर का काम करने वाली महिलाओं को ट्रेनिंग भी देते हैं। कोरोना के दौरान जब हमने देखा की सैकड़ों लोग गांव की तरफ वापस जा रहे हैं, लोग बेरोजगार हो रहे हैं, खासतौर से महिलाओं को काम नहीं मिल रहा है, तब लगा की यह सबसे सही समय है। निहारिका के साथी वैभव बताते हैं मैं और सौरव हम दोनों ने दिल्ली से ही 2018 में इंजीनियरिंग कंप्लीट की है, कॉलेज के दौरान भी हम लोग सोशल काम करते थे। स्लम बस्ती की रहने वाली महिलाओं बच्चों के हेल्थ और शिक्षा पर काम करते थे, इसलिए हमने झोपड़िया में रहने वाली महिलाओं की दिक्कतों को करीब से देखा था। उन्हें काम मिलने में बड़ी परेशानी थी, काम मिलता भी था तो शोषण का शिकार होना पड़ता था।

तीनों 30-30 हजार इन्वेस्ट किया
निहारिका कहती हैं, मेरे घर में तो सभी का यानी चार्टड अकाउंटेंट है लेकिन मुझे का नहीं बनना था, हालांकि अकाउंट में इंटरेस्ट था इसलिए मैंने भी काम किया। निहारिका कहती है हम तीनों ने ब्रोमीज की शुरुआत की, शुरुआत में करीब 1 साल तक हम लोग गांव घूमते रहे, यहां के लोगों से कनेक्ट हुए, शहरों में रहने वाले लोगों से भी हमने हाउस हेल्पर को लेकर डीटेल्स लिया जानकारी जुटाई। रिमोट एरिया की महिलाएं सबसे ज्यादा हाउस हेल्पर, बेबी केयरटेकर का कम करती हैं लेकिन स्किल ना होने की वजह से इन महिलाओं को ठीक से काम नहीं मिल पाता है, मिलता भी है तो पैसे कम। हम तीनों दोस्तों ने टेक डेवलपमेंट और ऑफिस सेटअप के लिए 30-30 हजार इन्वेस्ट किया। टोटल 90 हजार रुपए से हमने इस कंपनी की शुरुआत की थी। निहारिका कहती है यह बिजनेस पूरी तरह से ट्रस्ट और हाउस हेल्पर पर डिपेंड करता है।

गांव में एक थर्ड पार्टी से लेते हैं मदद
निहारिका कहती हैं, धीरे-धीरे सोशल मीडिया के जरिये लोगों में कंपनी के बारे में बात फैलने लगी। अब हम इन गांव में एक थर्ड पार्टी को रखते हैं जो हमें इन लोगों से लाइनअप करवाते हैं। निहारिका कंपनी में कस्टमर सेगमेंट को देखती है जबकि सौरभ और वैभव ऑपरेशन,मार्केटिंग समेत दूसरे क्षेत्र को देखते हैं। निहारिका कहती है मैं खुद भी एक महिला हूं, इसलिए मुझे पता है की कैसे इन हाउस हेल्पर महिलाओं से डील करना है। अधिकांश हाउस हेल्पर की काम के लिए लोग महिला को ही रखना चाहते हैं जब मैं शुरुआत में लोगों के पास जाती थी और उनसे हाउस हेल्पर के काम को लेकर होने वाली दिक्कतों के बारे में पूछती थी, उनका कहना था सबसे बड़ी दिक्कत स्किल्ड हाउस हेल्पर और ट्रस्ट को लेकर होती है। हमने इन्हीं दोनों चीजों पर कम करना शुरू किया, जो महिलाएं ट्रेन नहीं होती है, उन्हें हम ट्रेन करते हैं, यदि कस्टमर की शिकायत होती है तो हम हाउस हेल्पर को रिप्लेस कर देते हैं। हमारी कंपनी के साथ जुड़ने के लिए कस्टमर को एक सब्सक्रिप्शन भी है।
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तीन गुना ज्यादा तक पैसा कमाती हैं महिलाएं
निहारिका कहती हैं, 90 हजार रुपए से हमने कंपनी की शुरुआत की थी, आज 4 करोड़ का टर्नओवर है जबकि अगले साल 8 करोड़ की टर्नओवर का प्रोजेक्ट है, पैसे रुपए को छोड़ें तो मुझे खुशी तब होती जब हम इन महिलाओं के चेहरे पर खुशी दिखते हैं, यह महिलाएं पहले से तीन गुना ज्यादा तक पैसा कमाती है। हम इन हाउस हेल्पर के लिए अलग-अलग तरह के इंश्योरेंस भी प्रोवाइड करते हैं। कम निवेश की शुरुआती बाधा के बावजूद, इस उल्लेखनीय तिकड़ी ने एक सपने को वास्तविकता में बदल दिया। ब्रूमीज़ एक संपन्न समुदाय का पोषण करता है, अपने प्लेटफ़ॉर्म पर सूचीबद्ध श्रमिकों के लिए कौशल विकास और रोज़गार के अवसरों को बढ़ाता है। ब्रूमीज़ एक ऐसा माहौल तैयार करता है जहां सेवा प्रदाता और उपभोक्ता दोनों ही फलते-फूलते हैं। यह प्लेटफ़ॉर्म भरोसे और प्रामाणिकता का प्रमाण है, जो हर कदम पर विश्वसनीयता और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आधार और पुलिस सत्यापन सहित सख्त पृष्ठभूमि जांच लागू करता है। अपने गतिशील दृष्टिकोण के माध्यम से, ब्रूमीज़ न केवल एक उद्योग को नया रूप दे रहा है, बल्कि घरेलू सहायता में गुणवत्ता और विश्वसनीयता के मानकों को फिर से परिभाषित कर रहा है।
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