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Reading: Automatic Train Protection System: ट्रेन एक्सीडेंट रोकने आ रहा ‘कवच’
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WeStory > टेक्नोलॉजी > Automatic Train Protection System: ट्रेन एक्सीडेंट रोकने आ रहा ‘कवच’
टेक्नोलॉजी

Automatic Train Protection System: ट्रेन एक्सीडेंट रोकने आ रहा ‘कवच’

Automatic Train Protection System: रेलवे के तमाम उपायों के बावजूद ट्रेन एक्सीडेंट की घटनाओं पर रोक नहीं लग पा रही है।

WeStory Editorial Team
Last updated: 2024/10/07 at 11:05 AM
WeStory Editorial Team
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4 Min Read
Automatic Train Protection System
Automatic Train Protection System
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Automatic Train Protection System – 10,000 इंजनों को उपकरण से लैस किया जाएगा

Automatic Train Protection System: रेलवे के तमाम उपायों के बावजूद ट्रेन एक्सीडेंट की घटनाओं पर रोक नहीं लग पा रही है। ऐसी घटनाओं पर लगाम लगाने के लिए रेलवे इन दिनों कवच ऑटोमेटिक ट्रेन प्रोटेक्शन सिस्टम पर जोर दे रहा है। आने वाले माह में 9,600 किलोमीटर रेलवे ट्रैक पर इसे लगाया जाएगा। इसी के साथ-साथ 10,000 इंजनों को भी इस उपकरण से लैस किया जाएगा। इन कार्यों को पूरा करने के लिए टेंडर जारी कर दिया गया है। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने ट्रेन एक्सीडेंट को रोकने के लिए कई मोर्चों पर एक साथ काम शुरू किया है। इनमें मानवीय भूलों के प्रभाव को कम करना, ट्रैक रखरखाव में कमियों को दूर करना और आने वाले माह में बेसिक इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करना शामिल है। 96,000 रूट किलोमीटर पर जो कवच इंस्टालेशन का टेंडर आया है, उसे इसी से जोड़ कर देखा जा रहा है।

Table of Contents
Automatic Train Protection System – 10,000 इंजनों को उपकरण से लैस किया जाएगाकई रूट्स पर इंस्टाल2016 में किया गया था डिजाइनअधिक प्रभावी और कुशल है कवच80 फीसदी दुर्घटना की वजह मानवीय भूल
Automatic Train Protection System
Automatic Train Protection System

कई रूट्स पर इंस्टाल

रेलवे के अधिकारियों ने बताया कि सेफ्टी इंटीग्रिटी लेवेल (एसआईएल)-4 के साथ कवच को कई रूट्स पर इंस्टाल किया जा चुका है। इनमें मथुरा-पलवल और मथुरा-नागदा के बीच 632 किलोमीटर का हिस्सा और कोटा से सवाई माधोपुर के बीच का 108 किलोमीटर का हिस्सा शामिल है। ये दोनों रूट्स मिला कर 740 किलोमीटर रेलवे ट्रैक पर इसे इंस्टाल कर परीक्षण किया जा चुका है। अब इस सिस्टम को 9,600 किलोमीटर ट्रैक पर लगाने की योजना है। इसके साथ-साथ 10,000 इंजनों को भी इस प्रणाली से लैस किया जाएगा।

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Automatic Train Protection System
Automatic Train Protection System

2016 में किया गया था डिजाइन

कवच को 2016 में डिजाइन किया गया था और 2019 में इसे एसआईएल प्रमाणन दिया गया था। इस वर्ष 16 जुलाई को इसे एसआईएल-4 सर्टिफिकेशन दिया गया है। 2021 में वैष्णव और रेलवे बोर्ड के तत्कालीन अध्यक्ष ने एक-दूसरे के खिलाफ चल रही 2 ट्रेनों में सवार होकर कवच का परीक्षण किया था। इस परीक्षण का उद्देश्य कवच में विश्वास पैदा करना था। हालांकि, हाल ही में हुई रेल दुर्घटनाओं ने कवच की प्रभावशीलता पर सवालिया निशान लगा दिया है।

Automatic Train Protection System
Automatic Train Protection System

अधिक प्रभावी और कुशल है कवच

वैष्णव ने जोर देकर कहा है कि कवच एसआईएल-4 यूरोपीय ट्रेन नियंत्रण प्रणाली की तुलना में अधिक लागत प्रभावी और कुशल है। कवच की परिकल्पना उस टक्कर रोधी उपकरण (एंटी-कोलिजन डिवाइस ) के प्रतिस्थापन के रूप में की गई थी। एसीडी को ममता बनर्जी के रेल मंत्री रहते हुए लगाया गया था।

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Automatic Train Protection System
Automatic Train Protection System

80 फीसदी दुर्घटना की वजह मानवीय भूल

रेल मंत्रालय का आकलन है कि पिछले कुछ वर्षों के दौरान हुई 80 फीसदी रेल दुर्घटनाएं ड्राइवर की गलती या मानवीय भूल के कारण हुई हैं। कवच को लगाने का उद्देश्य मानवीय भूल से होने वाली दुर्घटनाओं को रोकना है। शेष 20 प्रतिशत दुर्घटनाएं ट्रैक रख-रखाव में कमियों और लोकोमोटिव, वैगनों तथा अन्य बुनियादी ढांचे से संबंधित समस्याओं के कारण होती हैं।

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