National Education Policy: शिक्षकों के प्रशिक्षण, डिजिटल शिक्षा पर होगा खर्च
हाल ही पेश सरकार के बजट में राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करने के लिए 10,000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। इस राशि का उपयोग स्कूलों और कॉलेजों के बुनियादी ढांचे में सुधार, शिक्षकों के प्रशिक्षण और डिजिटल शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए किया जाएगा। प्राथमिक विद्यालयों के लिए 100% अनुदान देने का प्रावधान किया गया है। इससे सरकारी प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार होगा।
सभी सरकारी स्कूलों में खेल के मैदानों के निर्माण का प्रावधान किया गया है। इससे छात्रों के शारीरिक और मानसिक विकास को बढ़ावा मिलेगा। कौशल विकास कार्यक्रमों के लिए 10,000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। इससे युवाओं को रोजगार के अवसरों तक पहुंचने में मदद मिलेगी। उच्चतर शिक्षा के लिए बड़ी संख्या में नए संस्थानों के अंतर्गत 7 आईआईटी, 16 आईआईआईटी, 7 आईआईएम, 15 एम्स और 390 विश्वविद्यालय स्थापित किए जाएंगे।

उच्चतर शिक्षा में महिलाओं का नामांकन 28% बढ़ा
10 वर्षों में उच्चतर शिक्षा में महिलाओं का नामांकन 28 प्रतिशत बढ़ गया है। स्टेम (साइंस, टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग और मेडिकल) पाठ्यक्रमों में 43 प्रतिशत नामांकन बालिकाओं और महिलाओं का है, जो कि दुनिया में सबसे अधिक है। विभिन्न विभागों के तहत मौजूदा अस्पताल अवसंरचना का उपयोग करके और अधिक चिकित्सा महाविद्यालय (मेडिकल कॉलेज) स्थापित किए जाएंगे। इस उद्देश्य से मामलों की जांच करने और संगत सिफारिशें करने के लिए समिति गठित की जाएगी।
भारत में दसवीं कक्षा में ड्रॉपआउट दर 2021-22 में थी। 2018-19 में 28।4% के साथ ड्रॉपआउट दर लगातार घट रही है। फिर भी यह अभी भी 20% से ऊपर बनी हुई है। वहीं स्किल इंडिया मिशन के अंतर्गत 1।4 करोड़ युवाओं को प्रशिक्षित किया गया है। 54 लाख युवाओं का कौशल-उन्नयन किया गया है तथा उन्हें दूसरे हुनर में कुशल बनाया गया है।
स्किल इंडिया ने दी 1.4 करोड़ युवाओं को ट्रेनिंग
अन्य देशों से तुलना में कमतर रहने के बावजूद अंतरिम बजट में शिक्षा क्षेत्र का जिक्र करते हुए वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने कई उपलब्धियां गिनाईं। उन्होंने कहा कि स्किल इंडिया ने 1.4 करोड़ युवाओं को ट्रेनिंग दी जा चुकी है। इससे युवाओं का करियर और बेहतर बनेगा। उन्होंने कहा कि बहुत सारे युवा चाहते हैं कि वे डॉक्टर बनें और देश के लिए स्वास्थ्य सेवाएं दे सकें। इसके लिए और अधिक चिकित्सा महाविद्यालय बनेंगे, सबसे पहले एक समिति बनाई जाएगी जो कि इसका निर्धारण करेगी। एक ताजा इंटरनेशनल सर्वे के मुताबिक 86% नौजवान भारत के भविष्य को लेकर आशावादी तो हैं, लेकिन इनमें से 33% युवाओं ने शिक्षा की कमी को चिंता का विषय बताया।
दुनिया में शिक्षा पर सबसे ज्यादा खर्च करने वाला देश नॉर्वे है। यह अपनी जीडीपी का 6% से ज्यादा खर्च करता है। हालांकि, बच्चों को पढ़ाने और उनका होमवर्क कराने में वक्त देने के मामले में भारतीय दुनिया में पहले नंबर पर आते हैं। वहीं शिक्षा पर खर्च के मामले में भारत की स्थिति बहुत संतोषजनक नहीं है। इस क्षेत्र में खर्च के मामले में भारत का दुनिया में 136वां स्थान है। जरूरत के मुताबिक कम खर्च और क्वालिटी एजुकेशन की कमी को युवा सबसे बड़ी चिंता मानते हैं। फिर भी शिक्षा मंत्रालय को वर्ष 2023-24 में अब तक का सर्वाधिक आवंटन 1,12,898.97 करोड़ किया गया है।
सबसे बेहतरीन ब्रिटेन की शिक्षा व्यवस्था
ऑक्सफोर्ड से लेकर कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी तक दुनिया के कुछ प्रमुख एजुकेशनल इंस्टीट्यूट ब्रिटेन में मौजूद हैं। ब्रिटेन की शिक्षा व्यवस्था को दुनिया में सबसे बेहतरीन माना जाता है। ‘इंस्टीट्यूट फॉर फिस्कल स्टडीज’ के मुताबिक ब्रिटेन का वित्तीय वर्ष 2023-24 में शिक्षा बजट 116 बिलियन पाउंड यानी भारतीय मुद्रा में लगभग 11.6 लाख करोड़ रुपये रहा। भारत का 2023 में शिक्षा बजट 1.12 लाख करोड़ रुपये रहा, जिसमें पिछले वित्तीय वर्ष 2022-23 की तुलना में 13 फीसदी का इजाफा देखने को मिला। भारत के कुल खर्चे का ये 2।9 फीसदी था। हालांकि ब्रिटेन के मुकाबले भारत का शिक्षा बजट लगभग 10 गुना तक कम है।
- US Importers: अमेरिकी आयातकों का सीमा शुल्क ‘बिल’ बढ़ा - May 15, 2025
- Manufacturing Hub India: भारत का रुख कर सकती है एपल और बड़ी कंपनियां - May 15, 2025
- Subprime Loan: देश में कर्ज के जाल में फंस रहे लाखों परिवार - May 15, 2025