Stress Free Exams: किताबी कीड़ा बनने की जरूरत नहीं
परीक्षा में हमेशा दूसरे व्यक्ति की ही इच्छा का महत्व रहता है, बच्चे साल भर पढते है, लेकिन पेपर कोई दूसरा बनाता है ओर जांचता भी है कोई और। परीक्षा का भय तो ऐसा है कि बड़े बड़े व्यक्ति भी परीक्षा के नाम से भागते है। लेकिन कुछ बातों का ध्यान रख कर बच्चे तनाव से बच सकते है और अपनी परीक्षा में अच्छा प्रदर्शन कर सकते है।
परीक्षा के लिए लक्ष्य तय करना जरूरी है। अपनी क्षमता देखकर ही अपना लक्ष्य तय करें। वरना बाद में निराशा होगी। अगर आप अब तक 65 प्रश अंक लेकर पास होते रहे हैं तो अपना लक्ष्य भी 65 से 75 प्रश अंकों का ही रखें। 95 प्रश अंकों का लक्ष्य रखने से आप भटक जाएंगे। ध्यान रहे, लगातार कई घंटों तक पढ़कर कोई बच्चा अच्छे अंक प्राप्त नहीं कर सकता। किताबी कीड़ा बनने की जरूरत नहीं। पढ़ाई के साथ थोड़ा समय बाकी कामों के लिए भी निकालें। परीक्षा के वक़्त तनाव होना जरूरी भी है, लेकिन इतना नहीं की पढ़ा हुआ याद ही न हो पाए।
हर स्टुडेंट्स का बॉडी क्लॉक
हर स्टुडेंट्स का अपना बॉडी क्लॉक होता है। किसी को रात में पढना अच्छा लगता है, तो किसी को सुबह। आप भी अपना बॉडी क्लॉक समझे और उसके अनुसार काम करें। यह सोचकर कभी नहीं पढ़े कि आपका दोस्त ज्यादा देर तक पढ़ता है, आप तो बस यह सोचे की आप कब तक पढ़ सकतें हैं? 45 से 50 मिनट लगातार पढ़ने के बाद 5 से 10 मिनट का ब्रेक जरूर लें। सुबह की सैर के साथ-साथ थोड़ा-बहुत व्यायाम व खेलकूद भी जरूरी है। इससे शरीर को नई चुस्ती-फुर्ती मिलती है, जो कि शारीरिक व मानसिक विकास के लिए बहुत जरूरी है।
मनोरंजन हमारे जीवन का जरूरी हिस्सा है। परीक्षा के दिनों में मनोरंजन का समय घटा दें, लेकिन खुद को मनोरंजन की दुनिया से पूरी तरह अलग न करें। थोड़ा समय निकालकर हल्का-फुल्का संगीत, हल्की-फुल्की कॉमेडी फिल्म या धारावाहिक अवश्य देखें। याद रखें की मनोरंजन का समय खाने में नमक की तरह होनी चाहिए, न तो बहुत ज्यादा न बहुत कम। शरीर के लिए 6 घंटे की नींद बहुत जरूरी है। इसलिए शरीर को प्रापर रेस्ट भी दें।
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बोझ नहीं हैं एक्जाम
अगर माता-पिता ने आपके सामने बहुत कठिन लक्ष्य रख दिया है, आपको लगता है कि आप उसे हासिल नहीं कर पाएंगे, तो उनसे स्पष्ट शब्दों में कहें कि आप कोशिश करेंगे लेकिन आपकी क्षमता से यह लक्ष्य बड़ा है। अगर वे फिर भी उसे बार-बार आप पर थोपते हैं तो इसे इज्जत का प्रश्न न बनाएं। धैर्यपूर्वक उतना करें, जितना आप कर सकते हैं। अनावश्यक तनाव न पालें। स्टुडेंट्स परीक्षा के तनाव को कम करें और सकारात्मक सोच अपनाएं। किसी नये चैप्टर कि शुरुआत करने कि बजाय, जो पढ़ा है, उसे ही अच्छे से पढ़ें।
पढ़ाई के साथ ही खान-पान का भी बराबर ध्यान दें। लाख समझाने पर भी स्टुडेंट्स के मन में परीक्षा को लेकर तनाव तो रहता ही हैं। इस स्थिति में दिमाग को ज्यादा ऑक्सिजन की जरूरत होती है, जो उचित खान-पान से ही संभव है। खाना सिर्फ दो बार न खाकर कुछ अंतराल में कई बार में खाएं। हर एक घंटे में पानी जरूर पियें और अंगूर, सेब, मुनक्का, मूंगफली, संतरा, सोयाबीन, पालक, खजूर, शहद और गुड़ भी खाएं। मसालेदार खाने से बचें। चिंता करें, लेकिन इतनी नहीं कि सब कुछ भूल जाएं। पढ़ाई को यदि बोझ समझेंगे, तो कभी सार्थक फल नहीं मिलेगा
स्माइल के साथ स्टडी
अगर आप तनाव में हैं या फिर आपको किसी तरह की घबराहट या बेचैनी हो रही है तो जल्दी ही घर के किसी सदस्य को या फिर करीबी मित्र को बताएं। अगर आपको लगता है कि आपकी बात कोई नहीं सुनेगा तो किसी हेल्पलाइन पर फोन करें। वे आपका मार्गदर्शन करेंगे। परीक्षा के दिनों में बच्चों के लिए विशेष हेल्पलाइन शुरू की जाती हैं। स्माईल के साथ पढाई करें, ऐसा करने से मस्तिष्क में ब्लड सरकुलेशन तेज हो जाता हैं। दिमाग और मन दोनों ही आपके नियंत्रण में रहते हैं और वह दोगुनी तेजी से काम करेंगे। जब हम खुश होतें हैं तो सब कुछ अच्छा लगता है। इसी तरह परीक्षा को भी खुशी-खुशी लें। यह समझे कि साल भर जो कुछ सिखा है उसे दिखाने का समय आ गया है अगर फिर भी मन न माने तो तो दिल पर हाथ रखे और बोले ‘आल इज वेल’।
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सक्सेस का सूत्र
परीक्षा पास आते ही विद्यार्थियों को उसका भय सताने लगता है। पढ़ाई में मन नहीं लगना, पाठ याद न होना, पुस्तक खुली होने पर भी मन का पढ़ाई में एकाग्रचित्त न होना, रात को देर तक नींद न आना या मध्य रात्रि में नींद उचट जाना आदि परीक्षा के भय के लक्षण हैं। परीक्षा पढ़ाई का केवल एक मापक है, यह विद्यार्थी के ज्ञान का आकलन मात्र है। व्यक्ति के जीवन में उतार-चढ़ाव या लाभ-हानि इसके द्वारा निर्धारित नहीं होते। किसी भी परीक्षा में सफल होने के लिए कुछ सूत्र होते हैं। इन सूत्रों को जान लेने, समझ लेने और उनके उपयोग करने से अच्छी सफलता सहजता से प्राप्त हो सकती है। पाठ्यक्रम की तैयारी परीक्षा में संभावित प्रश्नों के अनुसार ही करनी चाहिए। अतः पिछले वर्षों के परीक्षा पत्रों का अभ्यास भी एक सूत्र है।
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मनोवैज्ञानिक तर्क
मनोवैज्ञानिक राबर्ट स्टनवर्ग का यह दृष्टिकोण याद रखना चाहिये कि परीक्षा में जितना अच्छा प्रदर्शन विश्लेषणात्मक बुद्धि के बच्चे कर सकते हैं, वैसा सृजनात्मक और व्यावहारिक बुद्धि के बच्चों के लिए संभव नहीं है। आप अपने बच्चे को लेकर योजना बना सकते हैं। सबसे पहले उसे परखें, उसकी अभिरुचि को पहचानें। भय, हीनताबोध, तनाव, आत्मसम्मान पर चोट और आत्मविश्वास की कमी ऐसे कारक हैं जो बच्चे की एकाग्रता पर बहुत खराब असर डालते हैं। इसलिए नकारात्मक टिप्पणियों और हतोत्साहित करने वाले शब्दों से बचें। भय और तनाव से घिरे बच्चे बड़े लक्ष्य का पीछा नहीं कर पाते हैं।
अच्छी मेरिट के लिए आप बच्चे को आत्मविश्वास से लैस करें, फिर प्रेरित करें। यह सुनिश्चित करें कि परीक्षा के दिनों में बच्चे का स्वाभाविक दैनिक चक्र बिगड़ने न पाये। उसे एकदम मोबाइल और टी।वी। से अलग करना ठीक नहीं होगा। सुबह का नाश्ता, दोपहर और रात का भोजन वह समय से करे। बच्चा एक घंटा पढ़ाई कर ले तो उसे दस-पन्द्रह मिनट का ब्रेक लेने को कहें। रात में बिस्तर पर जाने के बीस-पच्चीस मिनट पहले बच्चे की पढ़ाई बन्द करा दें। इससे वह सुबह जागने पर अधिक तरो-ताजा महसूस करेगा। समय-सारिणी के अनुसार पढ़ाई करने से अच्छी तैयारी होती है। अन्तिम समय में हड़बड़ी के बीच पढ़ने से बच्चे को रोकें। आरम्भ में बच्चे से उसकी रुचि के कार्य करायें। बाद में धीरे-धीरे लक्ष्य की तरफ मोड़ें और परीक्षा की घड़ी को भी सेलिब्रेट करें।
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