Campus Placement: ईमानदारी से पढ़ाई करके बनाएं रणनीतिक
पिछले एक-दो सालों में बड़ी संख्या में पहले से काम कर रहे लोगों की छुट्टी हुई है। अब उन जगहों पर फिर से नये लोग लिए जाने तय हैं क्योंकि कोरोना के बाद से बिगड़ी हुई दुनिया की सप्लाई लाइन धीरे-धीरे काफी हद तक सही हो चुकी है। अनुमान है कि इस साल पटरी से उतरी सप्लाई चेन फिर से पटरी पर आ जायेगी। ऐसे में जाहिर है बड़ी संख्या में भर्तियां शुरू होंगी। कैम्पस प्लेसमेंट सबसे ज्यादा होंगे लेकिन क्या आपको मालूम है कि कैम्पस प्लेसमेंट पारंपरिक तरीके से लगने वाली नौकरी से भिन्न होती है। यहां तुरत-फुरत में आपको जांचा परखा जाता है और नौकरी मिल जाती है। हालांकि कैम्पस प्लेसमेंट के तहत सबको नौकरियां आसानी से नहीं मिलतीं।
कम से कम पिछले 2 साल का अनुभव तो यही है। सवाल है, फिर क्या किया जाए? कैम्पस प्लेसमेंट का मौका हाथ से न छूटे, इसके लिए रणनीतिक तैयारी बनायी जाए और संबंधित नौकरी के संबंध में ईमानदारी से पढ़ाई करके इस मौके को हासिल किया जाना चाहिए। पिछली सदी के 90 के दशक तक कैम्पस प्लेसमेंट बहुत कम होते थे। महज 8 से 10 फीसदी। इस सदी के पहले दशक के मध्य में कैम्पस प्लेसमेंट का सिलसिला तेजी से बढ़ा। कोरोना के पहले बड़ी कंपनियों में 100 में 57-58 फीसदी कैम्पस प्लेसमेंट से भरा जाने लगा था। अब जबकि फिर से ऑफलाइन भर्तियां शुरू होंगी तो जाहिर है इस आंकड़े तक तो लोग पहुंचेंगे ही। सवाल है आप भी उसमें शामिल हों, इसके लिए क्या किया जाए? ऑक्सफोर्ड प्लेसमेंट स्टडीज के मुताबिक कैम्पस प्लेसमेंट पाने के लिए छात्रों में कुछ बातों का होना जरूरी है।
फर्जी शैक्षिक संस्थानों से बचें
निःसंदेह इनमें पहला स्थान शिक्षण संस्थानों का है यानी प्रतिष्ठित और भरोसेमंद शिक्षण संस्थानों से पढ़ाई करना नौकरी पाने की गारंटी है। इसलिए फर्जी विश्वविद्यालयों और शैक्षिक संस्थानों से बचें क्योंकि यहां की गई पढ़ाई का सकारात्मक फायदा नहीं मिलता। यह बात भी सही है कि सिर्फ अपने संस्थान की प्रतिष्ठा के भरोसे नौकरी की उम्मीद नहीं करनी चाहिए।
विषय में मजबूत पकड़ रखें
अगर आपको हर हाल में कैम्पस में प्लेसमेंट पाना है तो न सिर्फ अपने विषय में मजबूत पकड़ रखें बल्कि कैम्पस में आये इम्प्लॉयर के सामने खुद को स्मार्ट तरीके से प्रजेंट करें। जब कैम्पस प्लेसमेंट में इंटरव्यू दें उस समय अपनी तमाम निजी पहचान जैसे आधार कार्ड, पासपोर्ट, पैनकार्ड को अपने पास रखें।
आवासीय पता नहीं तो परेशान न हों
कैम्पस प्लेसमेंट के लिए दूसरी जो चीज महत्वपूर्ण होती है, वह है नौकरी चाहने वाले का निवास स्थान या रेजिडेंस। जी, हां, छात्रों का पता भी मायने रखता है। हर किसी की कामयाबी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाला आवासीय पता छात्रों के लिए भी महत्वपूर्ण होता है। हालांकि अगर आप बहुत अच्छे इलाके के बाशिंदा नहीं हैं तो इसमें आपका कोई कुसूर नहीं है। इसलिए अपने स्थायी आवास के महत्वपूर्ण न होने पर परेशान न हों। लाखों नहीं करोड़ों लोग ऐसे हैं जिनके निवास स्थान उनके महत्वपूर्ण होने के बाद महत्वपूर्ण हुए।
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करेक्टर सर्टिफिकेट को महत्व दें
करेक्टर सर्टिफिकेट आज भी नौकरी पाने में बड़े सहायक की भूमिका निभाता है। इसलिए करेक्टर सर्टिफिकेट को महत्व दें। कम से कम किसी भी संस्थान के लिए यह इसलिए भी महत्वपूर्ण होता है क्योंकि वह संस्थान जॉब शुरू करने के पहले ही ऐसा कर्मचारी नहीं चाहता जिसके नकारात्मक होने की आशंका हो। इसलिए ध्यान रखें कि आपके किसी व्यवहार से आपका करेक्टर असेसमेंट नकारात्मक न हो जाए।
80 फीसदी से ज्यादा हो उपस्थिति
अगर आपको लगता है कि आपकी पढ़ाई के दौरान क्लास में सकारात्मक उपस्थिति सिर्फ परीक्षाओं में बैठने के लिए ही जरूरी है तो दोबारा सोचिए। आज की तारीख में तमाम बड़ी कंपनियां अपने लिए भविष्य के कर्मचारियों को चुनते समय ऐसे छात्रों को तरजीह देती हैं, पढ़ाई के दौरान कक्षा में जिनकी उपस्थिति नियमित रही हो और औसतन 80 फीसदी से ज्यादा हो। इसलिए सिर्फ परीक्षाओं को ध्यान में रखकर ही नियमित क्लास अटेंड करने की नहीं सोचनी चाहिए। यह भी ध्यान रखना चाहिए कि आपकी क्लास न अटेंड करने की आदत बाद में आपके लिए नौकरी में बाधा खड़ी कर सकती है।
कैम्पस में लड़ाई, झगड़ों से बचें
यह भी याद रखिए कि कोई चुपके से आपके हावभाव और आदतों का ब्योरा भी इकट्ठा करता है। इसलिए सिर्फ क्लास अटेंड करने में ही नियमित न रहें बल्कि कैम्पस में लड़ाई, झगड़ों और आक्रामक के रूप में पहचान पाने से भी बचें। इसका भी असर रिक्रूटमेंट में देखने को मिलता है। सबसे महत्वपूर्ण चीज निःसंदेह आपकी योग्यता ही है। योग्यता ही अंततः आपको तमाम दूसरों से अलग और श्रेष्ठ बनाती है। इसलिए अपनी योग्यता को लगातार मांजें, भले कैम्पस प्लेसमेंट में अभी देर हो।
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लोकल कंपनियों में नहीं हुई छंटनी
तमाम आशंकाओं के बावजूद साल 2022 और 2023 का हिस्सा कोरोना जैसी महामारी से बचा रहा और लगता है अब कोरोना लौटकर शायद नहीं आयेगा। बावजूद इसके साल 2022 और 2023 का ज्यादातर समय और इस नये साल के पहले महीने में भी बार-बार कर्मचारियों की छंटनी की सुर्खियां ही डराती रही हैं। देखने वाली बात यह कि छोटी-मोटी लोकल कंपनियों में कर्मचारियों की छंटनी का यह सिलसिला नहीं चला बल्कि देश और दुनिया की जानी मानी राष्ट्रीय व बहुराष्ट्रीय कंपनियों में हाल के महीने में छंटनी के बादल बार-बार घिरते रहे।
जानकारों का मानना है कि अनेक कंपनियों में हाल के महीने में हुई छंटनी मजबूरी से ज्यादा रणनीतिक रही। कुछ जानकारों का मानना है कि छंटनी की एक लंबी लाइन लगाने के बाद जब कंपनियां प्लेसमेंट का सिलसिला शुरू करेंगी तो मनोवैज्ञानिक ढंग से लोग नौकरी पाने के लिए बार्गेनिंग करने की बजाय नौकरी प्रदाता की शर्तों को आसानी से मान लेंगे। हाल के दिनों में गूगल, माइक्रोसॉफ्ट से लेकर अमेजन जैसी बहुराष्ट्रीय कंपनियों में जबरदस्त छंटनी का सिलसिला इसी रणनीति का हिस्सा रहा।
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