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Reading: Dynastic Politics: जम्मू-कश्मीर में भी वंशवाद राजनीति का दबदबा
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WeStory > हिंदी न्यूज़ > Dynastic Politics: जम्मू-कश्मीर में भी वंशवाद राजनीति का दबदबा
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Dynastic Politics: जम्मू-कश्मीर में भी वंशवाद राजनीति का दबदबा

Dynastic Politics: वंशवाद की राजनीति लोगों में चर्चा के लिए पसंदीदा विषय है। वंशवादी राजनीति की शुरुआत देश के सबसे उत्तरी राज्य जम्मू और कश्मीर से होती है, जहां दो परिवारों, अब्दुल्ला और मुफ्ती ने दशकों से सार्वजनिक जीवन पर दबदबा बनाए रखा है।

WeStory Editorial Team
Last updated: 2024/09/03 at 12:27 PM
WeStory Editorial Team
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7 Min Read
Dynastic Politics
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Dynastic Politics – नई पीढ़ी अपने माता-पिताओं की विरासत को आगे बढ़ाने तैयार

Dynastic Politics: वंशवाद की राजनीति लोगों में चर्चा के लिए पसंदीदा विषय है। वंशवादी राजनीति की शुरुआत देश के सबसे उत्तरी राज्य जम्मू और कश्मीर से होती है, जहां दो परिवारों, अब्दुल्ला और मुफ्ती ने दशकों से सार्वजनिक जीवन पर दबदबा बनाए रखा है। कश्मीर में राजनीतिक वंशजों की नई पीढ़ी यहां के अशांत राजनीतिक परिदृश्य में अपनी जगह बनाने के लिए तैयार है। इनके कंधों पर अपने प्रभावशाली माता-पिताओं की विरासत को आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी है। जम्मू-कश्मीर का प्रमुख राजनीतिक परिवार अब्दुल्ला हैं, जिनकी तीन पीढ़ियों में कम से कम चार मुख्यमंत्री रहे हैं। अब्दुल्ला परिवार की तीसरी पीढ़ी के नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) नेता उमर अब्दुल्ला मुख्यमंत्री रह चुके हैं। जबकि उनके पिता फारूक अब्दुल्ला 2009 और 2014 के बीच यूपीए-2 सरकार में केंद्रीय मंत्री होने के अलावा कई बार राज्य की कमान संभाल चुके हैं। उमर के दादा शेख अब्दुल्ला हैं जिन्हें लोकप्रिय रूप से ‘शेर-ए-कश्मीर’ (कश्मीर का शेर) कहा जाता है, उन्होंने कश्मीर के प्रधानमंत्री और बाद में मुख्यमंत्री के रूप में सेवा करने से पहले एनसी की स्थापना की थी।

Table of Contents
Dynastic Politics – नई पीढ़ी अपने माता-पिताओं की विरासत को आगे बढ़ाने तैयारउमर तीसरी पीढ़ी के राजनेताइल्तिजा मुफ्ती बढ़ाएंगी परिवार का नामकंगन में मजबूत आधार मियां मेहर अलीहजरतबल से उम्मीदवार हैं सलमान सागरलाल चौक सीट से मैदान में हैं अहसान परदेसीकई और भी हैं मैदान में
Dynastic Politics
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उमर तीसरी पीढ़ी के राजनेता

राज्य की शीर्ष कुर्सी से परिवार के संबंध यहीं खत्म नहीं होते हैं। फारूक के बहनोई गुलाम मोहम्मद शाह 1980 के दशक में मुख्यमंत्री रह चुके हैं। इसके अलावा, शेख अब्दुल्ला के भाई, शेख मुस्तफा कमाल ने राज्य में मंत्री के रूप में कार्य किया। जबकि फारूक के चचेरे भाई शेख नजीर, एनसी के सबसे लंबे समय तक सेवारत महासचिव थे। उन्होंने लगभग तीन दशकों तक इस पद पर काम किया था। 2015 में उनका निधन हो गया। पूर्व सीएम और नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला इस बार विधानसभा चुनाव में गांदरबल से लड़ रहे हैं।

Read more: Karnataka Kharge Family: सिद्धारमैया के बाद अब खड़गे फैमिली पर सवाल

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इल्तिजा मुफ्ती बढ़ाएंगी परिवार का नाम

अब्दुल्ला परिवार के बाद कश्मीर में कोई दूसरा ताकतवर राजनीतिक परिवार है तो वो मुफ्ती हैं। पीडीपी के संस्थापक मुफ्ती मोहम्मद सईद राज्य के मुख्यमंत्री रहे हैं। सईद पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री भी रहे। जब उनका निधन हुआ तो पार्टी की कमान उनकी बेटी महबूबा मुफ्ती ने संभाल ली। पार्टी ने उन्हें पिता की जगह मुख्यमंत्री पद पर भी नियुक्त किया। बेटी महबूबा मुफ्ती के बाद सईद के बेटे, सिनेमैटोग्राफर, तसद्दुक मुफ्ती ने भी राजनीति में कदम रखा। मुफ्ती परिवार की राजनीति में नवीनतम प्रवेशकर्ता हैं महबूबा की बेटी और सईद की नातिन इल्तिजा मुफ्ती इस चुनाव में शायद सभी नवोदितों में वह सबसे हाई-प्रोफाइल हैं। इल्तिजा ने दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग की बिजबेहरा सीट से नामांकन भरा है।

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कंगन में मजबूत आधार मियां मेहर अली

मियां मेहर अली, सांसद मियां अल्ताफ अहमद के बेटे हैं। मेहर अली कंगन (गांदरबल की एक तहसील) की राजनीति में अपने परिवार की चौथी पीढ़ी का प्रतिनिधित्व करते हैं। उनका राजनीति में आना इलाके में खानदान के मजबूत दबदबे का भी संकेत है। कंगन में एक मजबूत आधार और जड़ें होने के कारण, मेहर से उम्मीद की जाती है कि वह पारिवारिक परंपरा को जारी रखेंगे। साथ ही अपने निर्वाचन क्षेत्र के निवासियों के सामने आने वाली मौजूदा चुनौतियों से भी निपटेंगे।

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हजरतबल से उम्मीदवार हैं सलमान सागर

सलमान सागर एनसी के महासचिव और पूर्व मंत्री अली मुहम्मद सागर के बेटे हैं। सागर कश्मीर के राजनीतिक ढांचे में अपने परिवार की पकड़ को और मजबूत करने के लिए तैयार हैं। नेशनल कॉन्फ्रेंस जम्मू-कश्मीर की मुख्यधारा की राजनीति में एक महत्वपूर्ण ताकत है। यह देखते हुए पार्टी रैंक में सलमान के चढ़ने का मतलब है सागर परिवार द्वारा राजनीति में अधिक वर्षों तक सेवा करने का मौका मिलना। वह हजरतबल से एनसी की उम्मीदवार हैं।

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लाल चौक सीट से मैदान में हैं अहसान परदेसी

गुलाम कादिर परदेसी के बेटे अहसान परदेसी लचीलेपन और कुछ कर सकने वाले रवैये के ट्रैक रिकॉर्ड के साथ राजनीतिक क्षेत्र में प्रवेश कर रहे हैं। एक नौकरशाह से राजनेता बने उनके पिता अपनी बहुमुखी प्रतिभा के लिए जाने जाते थे, जो राजनीतिक पक्षों को तुरंत बदल देते थे। अहसान के राजनीति में प्रवेश को तब से दिलचस्पी के साथ देखा जा रहा है जब से उन्हें अपने पिता के उत्तराधिकारी के रूप में माना जाने लगा है। अहसान परदेसी नेशनल कॉन्फ्रेंस के प्रादेशिक उपाध्यक्ष हैं और वह श्रीनगर की लाल चौक सीट से मैदान में हैं।

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कई और भी हैं मैदान में

नेता-कवि-पर्यावरणविद् दिवंगत सादिक अली के बेटे तनवीर सादिक को न केवल राजनीतिक विरासत बल्कि सांस्कृतिक विरासत भी मिली है। सादिक एनसी में एक वरिष्ठ नेता थे और बाद में पीडीपी में शामिल हो गए। पूर्व कांग्रेस नेता गुलाम रसूल कर के बेटे इरशाद रसूल कर अपनी पिता की ऐतिहासिक राजनीति को आगे बढ़ा रहे हैं। मुहम्मद शफी के बेटे सज्जाद शफी उस नेता के नक्शेकदम पर चलेंगे जिन्होंने सालों तक उरी विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया। जाविद रेयाज बेदार वरिष्ठ एनसी नेता और रिटायर आईपीएस अधिकारी रेयाज बेदार के बेटे हैं। हिलाल अकबर लोन विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष मुहम्मद अकबर लोन के बेटे हैं। क्योंकि उनके पिता एक कैबिनेट मंत्री, स्पीकर और बाद में एक सांसद थे। इसलिए हिलाल के राजनीति में प्रवेश को एक प्रभावशाली विरासत के रूप में देखा जा रहा है।

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