Umang Shridhar Designs: खास ब्रांड के रूप में ख़ास पहचान ‘उमंग श्रीधर डिजाइन लिमिटेड’
Umang Shridhar Designs – अपने मजबूत इरादों के साथ महज 30 हज़ार रुपये में अपने बिजनेस की शुरुआत करने वाली भोपाल की उमंग श्रीधर की टेक्सटाइल कंपनी का सालाना टर्नओवर 1.5 करोड़ का है। 2014-15 में जब उन्होंने उमंग श्रीधर डिजाइन लिमिटेड (पहले खादीजी) की शुरुआत की. मध्य प्रदेश के दमोह जिले के एक छोटे से गांव किशनगंज में जन्मीं उमंग ने दिल्ली विश्वविद्यालय से बी.कॉम ऑनर्स की डिग्री गोल्ड मेडल के साथ हासिल करने के बाद कॉर्पोरेट करियर चुनने के बजाए अपने गांव के स्थानीय बुनकरों और कारीगरों के लिए कुछ करने का फैसला किया और एक टेक्सटाइल कंपनी खड़ी कर खादी के कपड़ों का कारोबार शुरू कर दिया। उनकी लगन और मेहनत का नतीजा है कि अल्प समय में ही उमंग श्रीधर डिजाइन लिमिटेड की देश में एक ख़ास ब्रांड के रूप में ख़ास पहचान बन गई है। अपने इस काम के लिए उमंग वर्ष 2019 में फोर्ब्स 30 अंडर 30 की लिस्ट में अपना नाम दर्ज करा चुकी हैं।
21 की उम्र में शुरू किया था पहला काम
21 साल की उम्र में अपना 30 हजार रुपये से एक एनजीओ शुरू किया. उमंग बताती हैं ‘स्टार्टअप शुरू करने और गारमेंट्स सेगमेंट को समझने के लिए पहले फैशन इंडस्ट्री को समझना जरूरी था, इसलिए एनआईएफटी भोपाल से एक महीने का फैशन डिजाइनिंग का कोर्स किया। मिनिस्ट्री ऑफ टेक्सटाइल के एक कॉम्पिटिशन डिजाइन सूत्रा के लिए खादी का कलेक्शन बनाया, जिसे नेशनल लेवल पर दूसरा पुरस्कार मिला। खादीजी का आइडिया भी यहीं दिमाग में आया।
जो लोग पहले कताई-बुनाई करते थे उन्हें अपनी टीम का हिस्सा बनाया और काम शुरू कर दिया। खादी के क्षेत्र में काम करने के लिए उमंग ने प्रदेश में कई जिलों, तहसीलों और गांवों के दौरे किए और अंत में मुरैना के जनौरा को चुना। वहां पर उन्होंने चरखे से खादी धागा और धागे से साडि़यां बनाना शुरू किया। देखते ही देखते महज तीन साल में उमंग के खादी जी के साथ 350 महिलाएं जुड़ गईं। उमंग अब 5 राज्यों के 13 क्लस्टर में खादी के कपड़े बनाने का काम कर रही हैं। उनके उत्पाद आदित्य बिड़ला, रिलायंस, रेमंड जैसी बड़ी कंपनियों को सप्लाई किये जाते हैं। सरकार से भी ऑर्डर और ट्रेनिंग के कई प्रोजेक्ट मिलते रहते हैं।
इन संस्थाओं से मिली मदद
उमंग ने बताती हैं ‘2017 में आईआईएम अहमदाबाद और भोपाल की एक संस्था की मदद से काम शुरू किया। अपनी मां से भी उन्होंने रुपए उधार लिए थे। 40 लाख का फंड हमें मिला, लेकिन पहले ही साल हमें बहुत नुक्सान उठाना पड़ा, लेकिन लोगों ने मेरे आइडिया पर विश्वास किया और हमें इन्वेस्टर्स मिलते गए। साल 2022 में साला टर्नओवर 1.5 करोड़ का रहा, हमारा अगले वर्ष का लक्ष्य 5 करोड़ का टर्नओवर का है।
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एप फैसिलिटी 2023 में
उमंग बताती हैं- बुनकरों व कारीगरों के लिए इस साल हम टेक्नोलॉजी का सहारा लेकर एक एप लॉन्च करने वाले हैं, जो उनके लिए वन स्टॉप असिस्टेंस सेंटर होगा। यहां काम को बेहतर बनाने की ट्रेनिंग मिलेगी, मार्केट नेटवर्क मिलेगा और फंड रेजिंग के लिए व्यवस्था होगी। अभी तक हम 300 लोगों को ट्रेनिंग दे चुके हैं और वे अपने घरों से ही सोशल मीडिया के जरिए आय अर्जित कर रहे हैं। इस साल हम 11 क्लस्टर में करीब 2500 महिलाओं को आंत्रप्रेन्योरशिप की ट्रेनिंग देने वाले हैं। वह कहती हैं हम देश के पहले टेक्सटाइल ब्रांड बने, जिसने बैंबू कॉटन पर काम किया। आज तक मप्र में कभी भी खादी का 100 काउंट का धागा नहीं बना था। यह भी पहली बार हमने कर दिखाया।
अब 100 तरह के टेक्सटाइल्स हैं, जिन्हें हम बी-टू-बी सिस्टम से सेल करते हैं। श्रीधर कहती हैं, ‘कोरोना के दौरान ट्रेंड बुनकर में से कुछ की मौत हो गई। अब फिर से नए लोगों को ट्रेनिंग के जरिए अपने बिजनेस में जोड़ रही हूं। साथ ही हमारा लक्ष्य महिलाओं को एंटरप्रेन्योर बनाना है। ताकि ये अपना हैंडलूम प्रोडक्ट खुद से बनाकर, ऑनलाइन-ऑफलाइन बेच पाएं। अभी 200 महिलाओं को ट्रेनिंग दे रही हूं।’ वे बताती हैं मैंने खादी क्राफ्ट को इसलिए चुना ताकि सोसाइटी में एक बदलाव ला पाएं। उनका फोकस ज्यादा से ज्यादा भारतीय ग्रामीण महिलाओं को रोजगार दिलाने पर है।
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