Peyush Bansal – Lenskart : लेंसकार्ट का मार्केट कैप 47 हजार करोड़ से अधिक
Peyush Bansal – Lenskart – लेंसकार्ट के फाउंडर पीयूष बंसल का जन्म 26 अप्रैल 1985 को दिल्ली में हुआ। उनके पिता चार्टर्ड अकाउंटेंट और मां हाउस मैनेजर हैं। एक बड़ा भाई और एक छोटी बहन भी है। पिता चाहते थे कि बच्चे खूब पढ़ें और अच्छी नौकरी करें। पीयूष की स्कूलिंग दिल्ली में ग्रेटर कैलाश के डॉन बॉस्को स्कूल से हुई है। वे IIT करना चाहते थे, लेकिन कम नंबर की वजह से किसी भी इंस्टीट्यूट में एडमिशन नहीं हुआ।
कनाडा में पीयूष को पार्ट टाइम जॉब की जरूरत थी। उन्हें रिसेप्शनिस्ट का काम मिला। पीयूष जहां पार्ट टाइम जॉब कर रहे थे, वहीं कंप्यूटर लैब थी। पीयूष के एक सीनियर उस लैब में कोडिंग का काम करते थे। पीयूष कोडिंग में इंटरेस्ट लेने लगे। ये बात उन्होंने अपने सीनियर को बताई। सीनियर ने उन्हें कोडिंग से रिलेटेड एक किताब दी। पीयूष दिन में कॉलेज और रिसेप्शन पर काम करते और रात में कोडिंग सीखते। धीरे-धीरे उन्होंने सॉफ्टवेयर डिजाइनिंग भी सीखी और अपने सीनियर को कुछ सॉफ्टवेयर डिजाइन करके दिए। इसके बाद पीयूष को रिसेप्शन से हटा दिया गया और उन्हें उसी कंपनी में कोडिंग की जॉब मिल गई।
माइक्रोसॉफ्ट में इंटर्नशिप
कॉलेज में दूसरे साल के दौरान पीयूष ने माइक्रोसॉफ्ट में इंटर्नशिप के लिए अप्लाई किया। एप्लिकेशन फॉर्म सिलेक्ट भी हो गया। उन्हें इंटरव्यू के लिए बुलाया गया, लेकिन वे इंटरव्यू में सिलेक्ट नहीं हुए। पीयूष ने हार नहीं मानी और एक साल तक इंटरव्यू की तैयारी की। दूसरे अटेम्प्ट में उनका सिलेक्शन हो गया। तीन महीने की इंटर्नशिप पीयूष के लिए एक सपने की तरह रही। पीयूष का मन हुआ कि उन्हें परमानेंट जॉब भी यहीं करनी है।
इसके लिए उन्होंने बहुत मेहनत की और साल 2007 में कॉलेज पूरा होते ही माइक्रोसॉफ्ट में नौकरी हासिल कर ली, लेकिन एक साल बाद ही उनका मन बदल गया। उन्हें लगा कि वहां बस वे प्रोडक्ट में इम्प्रूवमेंट कर रहे हैं। उन्होंने भारत वापस आकर अपना कुछ काम करने के बारे में सोचा। पीयूष के माता-पिता और दोस्त इस फैसले से खुश नहीं थे। उन्होंने पीयूष पर इतनी अच्छी जॉब न छोड़ने का दबाव भी डाला, लेकिन पीयूष नहीं माने और 2008 में भारत लौट आए।
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नए बिजनेस आइडिया पर बातें
पीयूष के दिल्ली लौटने के बाद एक दोस्त अमित चौधरी कोलकाता से आए। अमित को रहने के लिए किराए का मकान नहीं मिल रहा था। उसने ये बात पीयूष से शेयर की। पीयूष ने अमित से कहा कि जब तक इंतजाम नहीं हो रहा है वे उनके घर में रह सकते हैं। जब भी वक्त मिलता दोनों नए बिजनेस आइडिया पर बातें करते। बातों ही बातों में एक ब्लाइंड कैपिटल का जिक्र हुआ। पीयूष को अपने कनाडा के दोस्तों की बात याद आई, वे भी उनसे इसी के बारे में पूछते थे।
इस सब्जेक्ट पर पीयूष ने रिसर्च कर जाना कि भारत को दुनिया का ब्लाइंड कैपिटल सिर्फ इसलिए कहा जाता है क्योंकि यहां की आधी आबादी को चश्मे की जरूरत है, लेकिन उसमें से सिर्फ 25 प्रतिशत लोग ही चश्मा लगाते हैं। अमित और पीयूष ने इसी दिशा में काम करने का फैसला किया। उन्होंने एक ऐसी कंपनी बनाने का प्लान बनाया जो भारत के लोगों की चश्मा न पहनने की आदत को बदल सके। उन्होंने लिंक्डइन पर एक और को-फाउंडर सुमीत कपाही को ढूंढा। उन्होंने कुछ महीने पहले ही एक आईवियर कंपनी की नौकरी छोड़ी थी।
2010 में वैल्यू टेक्नोलॉजी बनाई
तीनों ने मिलकर 2010 में वैल्यू टेक्नोलॉजी बनाई, जिसमें अलग-अलग ई-कॉमर्स वेबसाइट थी। इसमें लेंसकार्ट, ज्यूलकार्ट, बैगकार्ट और वॉचकार्ट वेबसाइट्स थीं। कुछ समय बाद चश्मे के मार्केट में पोटेंशियल देख कर तीनों ने सिर्फ लेंसकार्ट पर फोकस करना शुरू किया। देश में चश्मे बेचने के लिए पीयूष बंसल एक स्कीम लेकर आए, जिसका नाम था ‘नो क्वेश्चन आस्क्ड रिटर्न पॉलिसी’।
यह ऐसी पॉलिसी थी जिसके तहत चश्मा पसंद न आने पर कस्टमर 14 दिन के अंदर वापस कर सकता था। उनसे कोई सवाल नहीं पूछा जाता था। इतना ही नहीं, इन्होंने चश्मों के लिए अलग से कॉल सेंटर भी बनाए, जहां कस्टमर अपने सवाल पूछ सकते थे। इस पॉलिसी के कारण तेजी से ग्राहक जुड़े और उन्हें बेहतर अनुभव मिलने पर माउथ पब्लिसिटी से ग्राहकों की संख्या बढ़ती गई।
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कंपनी के पास 70 लाख ग्राहक
देश और विदेश से मिलाकर कंपनी के पास 70 लाख ग्राहक हैं। 2013 में, लेंसकार्ट ने घर पर ही हेल्थ सर्विस देना शुरू कर दिया। भारत में 500 से ज्यादा स्टोर खोले गए। 2019 में सिंगापुर में अपना पहला स्टोर शुरू हुआ। इसी साल 10 लाख लोगों ने कंपनी का एप डाउनलोड किया। 2024 तक देश में 2000 से ज्यादा स्टोर हो चुके हैं। इसके अलावा मिडिल ईस्ट, अमेरिका, ताइवान, सिंगापुर, मलेशिया में भी स्टोर खुल चुके हैं। कंपनी में 10 हजार से ज्यादा कर्मचारी काम करते हैं।
पीयूष कहते हैं – मैंने माइक्रोसॉफ्ट में जाकर सीखा कि प्रॉब्लम को प्रॉब्लम की तरह देखना चाहिए, बिजनेस की तरह नहीं। वहां सारा फोकस कस्टमर पर होता था। हम उनकी दिक्कतें पता करके उन्हें सॉल्व करते थे। हम बिजनेस के लिए नहीं, बल्कि अपने कस्टमर को खुश करने के लिए काम करते थे। पीयूष बंसल ने लेंसकार्ट की शुरुआत से ही नई तकनीक पर फोकस किया है।
रोबोट की मदद से चश्मा बनाया
मैन्युफैक्चरिंग प्लांट में रोबोट की मदद से चश्मा बनाना शुरू किया। सप्लाई चेन मजबूत करने AI का यूज करके रियल टाइम स्टॉक और सप्लाई की जानकारी मिलती रहती है। हर स्टोर में टैंगो AI वीडियो एनालिसिस सॉफ्टवेयर का यूज होता है। यह सॉफ्टवेयर सीसीटीवी की मदद से स्टोर में ग्राहकों की संख्या, फुटफॉल और दूसरी चीजों के आधार पर जानकारी का विश्लेषण होता है। जिससे स्टोर में जरूरत के हिसाब से सुधार किए जाते हैं। कंपनी ने राजस्थान के भिवाड़ी में दुनिया की पहली ऑटोमेटिक मैन्युफैक्चरिंग यूनिट शुरू की।
वर्तमान में दिल्ली, गुरुग्राम के साथ चीन के झेंगझोऊ में भी मैन्युफैक्चरिंग यूनिट हैं। कंपनी 1600 करोड़ रुपए की लागत से एक नया प्लांट बेंगलुरु में लगाने जा रही है। अगले 18 महीनों में इसमें प्रोडक्शन शुरू हो जाएगा। लेंसकार्ट को मजबूत रेवेन्यू ग्रोथ और कम समय में बड़ा ब्रांड बनने पर स्टार्टअप ऑफ द ईयर का अवॉर्ड मिला है। लेंसकार्ट का मार्केट कैप 47 हजार करोड़ से अधिक का है। अनुमान लगाया जा रहा है कि वित्त वर्ष 2025 के खत्म होने तक इसका रेवेन्यू 8 हजार करोड़ को पार कर जाएगा।
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