Prathap C. Reddy – अपोलो की 6,000 से ज्यादा फार्मेसी है देश में
Prathap C. Reddy : अपोलो हॉस्पिटल्स एंटरप्राइजेज लिमिटेड के फाउंडर और सीईओ प्रताप चंद्र रेड्डी का जन्म 5 फरवरी 1933 को आरागोंडा मद्रास में हुआ था। वे पेशे से कार्डियोलॉजिस्ट यानी हार्ट स्पेशलिस्ट हैं। उन्हें भारत में हेल्थकेयर में क्रांति लाने के लिए जाना जाता है। वे अपने परिवार और गांव से कॉलेज में पढ़ने वाले पहले व्यक्ति थे। डॉ. रेड्डी ने साइंस में ग्रेजुएशन किया था। उनके पिता चाहते थे कि वे एमबीए करें। हालांकि वो समय पर आवेदन नहीं कर सके इसलिए एडमिशन नहीं मिला।
स्टेनली मेडिकल कॉलेज से उन्होंने एमबीबीएस किया। आगे की पढ़ाई के लिए ब्रिटेन गए और कार्डियोलॉजिस्ट बन गए। शादी के बाद पत्नी और चार बेटियों के साथ अमेरिका शिफ्ट हो गए। फिर 1971 में एक दिन डॉ. रेड्डी के घर से चिट्ठी आई और वो पूरे परिवार को लेकर भारत लौट आए। उन्हें हेल्थ सेक्टर में लगातार सोशल वर्क करने के चलते 1991 में पद्म भूषण और 2010 में पद्म विभूषण मिला है।
एक हार्ट पेशेंट से मिली प्रेरणा
साल 1979 में चेन्नई के डॉ. प्रताप चंद्र रेड्डी के पास एक हार्ट पेशेंट आया। उसकी हालत गंभीर थी। उस वक्त डॉ. रेड्डी देश के बड़े कार्डियोलॉजिस्ट थे। पेशेंट का इलाज शुरू हुआ, लेकिन हालत में सुधार नहीं हो रहा था। तब हार्ट सर्जरी के लिए देश में अच्छी सुविधाएं नहीं होती थीं। डॉ. रेड्डी ने पेशेंट को तुरंत अमेरिका जाने की सलाह दी। इससे पहले भी डॉ. रेड्डी कई पेशेंट को इलाज के लिए अमेरिका भेज चुके थे। पेशेंट अमेरिका नहीं जा सका और कुछ ही दिन में उसकी मौत हो गई। इस हादसे के बाद डॉ. रेड्डी ने तय किया कि भारत में बेहतर हॉस्पिटल बनाएंगे। तब भारत में हॉस्पिटल को बिजनेस के तौर पर मान्यता नहीं थी। इस वजह से डॉ. रेड्डी को बैंक लोन नहीं मिल रहा था। वहीं मेडिकल डिवाइस पर भी 100% टैक्स लगता था। डॉ. रेड्डी ने इसके लिए दिल्ली के करीब 50 चक्कर लगाए। कई सरकारी अधिकारी और नेताओं से मिले।
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सबने मूर्ख कहा था
साल 1982 में कांग्रेस पार्टी के नेता जीके मूपनार ने उनकी मुलाकात इंदिरा गांधी से करवाई। साल 1983 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की मदद से डॉ. रेड्डी ने चेन्नई में पहला अपोलो हॉस्पिटल बनाया। 150 बेड वाले एक मल्टीस्पेशिलिटी हॉस्पिटल शुरू करने वाले डॉ. रेड्डी ने भारत की पहली कॉर्पोरेट हॉस्पिटल चेन बनाई। उन्होंने कहा कि 1980 के दशक में जब मैंने अपोलो हॉस्पिटल शुरू करने के बारे में लोगों को बताया तो सबने मुझे मूर्ख कहा। यही मेरी ताकत बना और 1983 में पहला मल्टी स्पेशिलिटी हॉस्पिटल बना। हॉस्पिटल का नाम डॉ. रेड्डी की दूसरी बेटी सुनीता ने चुना था। सुनीता ने डॉ. रेड्डी से कहा था कि ग्रीक देवता अपोलो के नाम पर हॉस्पिटल का नाम रखना चाहिए क्योंकि ग्रीक देवता अपोलो को मेडिकल और साइंस से जोड़ा जाता है।
1996 में स्टॉक मार्केट में कदम
साल 1996 में अपोलो ने स्टॉक मार्केट में कदम रखा। इसके बाद अपोलो हॉस्पिटल को छोटे शहरों में शुरू करने पर फोकस किया गया। कंपनी को इसका फायदा लॉन्ग टर्म में हुआ। अपोलो हॉस्पिटल ने टेलीमेडिसिन फैसिलिटी, ग्लोबल कंसल्टेंट जैसी सुविधाएं दीं, ताकि लोग फोन पर या ऑनलाइन डॉक्टर से कंसल्ट कर सकें और बेहतर इलाज मिले। साथ ही बेहतर ट्रीटमेंट और दवाओं के लिए रिसर्च सेंटर भी बनाया। कंपनी हाई टेक्नोलॉजी ट्रीटमेंट्स डेवलप करने के एरिया में लगातार काम कर रही है। साल 1983 में ही पहले अपोलो हॉस्पिटल के साथ चेन्नई में पहली फार्मेसी भी शुरू हुई थी।
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फार्मेसी बिजनेस का रेवेन्यू 2,282 करोड़
आज अपोलो फार्मेसी के 6000 से ज्यादा आउटलेट्स है। हर दिन अपोलो फार्मेसी में 37 हजार ऑर्डर हैं। इन फार्मेसी आउटलेट्स के प्रॉफिट में साल-दर-साल 17% का इजाफा हुआ है। इस साल अपोलो फार्मेसी बिजनेस का रेवेन्यू 2,282 करोड़ रुपए पहुंच गया है। डॉ. रेड्डी की चारों बेटियां प्रीता रेड्डी, सुनिता रेड्डी, शोभना कामिनेनी और संगीता रेड्डी शुरू से ही अपोलो से जुड़ी थीं। कंपनी के पैम्फलेट, हॉस्पिटल का कंस्ट्रक्शन और इंटीरियर डिजाइन जैसे काम देख रही थीं। साल 2010 में बेटियों ने पूरी तरह से कंपनी की कमान संभाली। फार्मेसी, इनोवेशन, मैनेजमेंट और फाइनेंस जैसे सेक्टर से जुड़े महत्वपूर्ण फैसले लिए। इस ग्रुप की तीसरी पीढ़ी भी जिम्मेदारी संभाल रही है।
मॉडर्न टेक्नोलॉजी और इनोवेशन सेक्टर में काम
तीसरी पीढ़ी मॉडर्न टेक्नोलॉजी और इनोवेशन सेक्टर में काम कर रही हैं। इसमें शोभाना कामिनेनि की बेटी और साउथ सुपरस्टार राम चरण की पत्नी उपासना भी शामिल हैं। संगीता रेड्डी की बेटियां अंजलि रेड्डी और अरुणा रेड्डी मैनेजमेंट देखती हैं। प्रीता रेड्डी के बेटे कार्तिक फाइनेंस देखते हैं। साथ ही सुनीता रेड्डी की बेटी सिंदूरी चाइल्ड केयर सेक्टर में काम कर रही हैं। देश के कई शहर में बड़ी संख्या में अपोलो फार्मेसी नजर आने लगी हैं। चमकते-दमकते ये स्टोर 24 घंटे खुले होते हैं। यहां सिर्फ दवा ही नहीं साबुन, शैंपू से लेकर ब्यूटी प्रोडक्ट तक सब कुछ मिलता है। आप घर बैठे-बैठे भी ऑर्डर कर सकते हैं। साथ ही छोटी-मोटी बीमारी के लिए फोन पर ही डॉक्टर से भी कंसल्ट कर सकते हैं। चेन्नई से लेकर कश्मीर तक पूरे भारत में अब अपोलो की 6,000 से ज्यादा फार्मेसी हैं। 1983 में चेन्नई में एक हॉस्पिटल से शुरू हुआ अपोलो, आज 18 हजार करोड़ की कंपनी है।
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