Quick Commerce Companies – 6.1 अरब डॉलर तक पहुंच गया कारोबार क्विक कॉमर्स कंपनियों का कारोबार
Quick Commerce Companies: देश में त्वरित वाणिज्य (क्विक कॉमर्स) यानी कुछ ही मिनटों में सामान पहुंचाने की सुविधा देने वाली इकाइयां देश में उपभोक्ताओं की खरीदारी के तरीके में महत्वपूर्ण बदलाव ला रही हैं। बीते वर्ष इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से सभी किराना ऑर्डर में से दो-तिहाई से अधिक और ‘ई-रिटेल’ खर्च का दसवां हिस्सा त्वरित वाणिज्य से जुड़ी इकाइयों के मंच पर हुआ। फ्लिपकॉर्ट और बेन एंड कंपनी की एक रिपोर्ट में यह कहा गया है।
क्विक कॉमर्स ने भारतीय बाजार में ऐसी रफ्तार पकड़ी है कि ई-कॉमर्स की दिग्गज कंपनियां अमेजन और फ्लिपकार्ट तक इसके बढ़ते प्रभाव से चिंतित हैं। 10-30 मिनट में सामान डिलीवरी की सुविधा ने न केवल ग्राहकों का दिल जीता है, बल्कि इसकी बढ़ती लोकप्रियता ने बाजार के नियम ही बदल दिए हैं। 18-35 साल के युवा वर्ग को टारगेट करते हुए क्विक कॉमर्स कंपनियां हर तरह के उत्पाद, जैसे सब्जी, दूध, कपड़े, मेकअप, यहां तक कि महंगे इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स भी अल्ट्रा-फास्ट डिलीवरी के जरिए पहुंचा रही हैं।
6.1 अरब डॉलर तक पहुंच गया कारोबार
रिपोर्ट के अनुसार, 2030 तक फटाफट सामान पहुंचाने वाली इन इकाइयों में सालाना 40 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि होने की उम्मीद है। इसकी वृद्धि को विभिन्न श्रेणियों, भौगोलिक क्षेत्रों और ग्राहक खंड में विस्तार से गति मिलेगी। इसमें कहा गया फटाफट सामान पहुंचाने (30 मिनट से कम समय में डिलिवरी) की सुविधा का शुरू होना पिछले दो वर्षों में देश के ई-रिटेल बाजार की सबसे महत्वपूर्ण विशेषताओं में से एक रहा है। रिपोर्ट के अनुसार, बीते वर्ष, सभी ई-किराना ऑर्डर में से दो-तिहाई से अधिक और ई-रिटेल खर्च का दसवां हिस्सा इन मंचों पर हुआ। क्विक कॉमर्स का कारोबार वर्ष 2022 में भारत में लगभग 2 अरब डॉलर का था।
वर्ष 2024 में यह आंकड़ा 6.1 अरब डॉलर तक पहुंच गया है और अनुमान है कि 2030 तक यह कारोबार 40 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है। तेजी से बदलते इस परिदृश्य ने ई-कॉमर्स दिग्गजों के बीच नए निवेश और रणनीतियों की होड़ मचा दी है। अमेजन और फ्लिपकार्ट जैसी कंपनियां भी अब क्विक कॉमर्स के बाजार में पैर जमाने की तैयारी में हैं। वहीं, जेप्टो, ब्लिंकिट, स्विगी और जोमैटो जैसी कंपनियां इस स्पेस में पहले ही बड़ा नाम बना चुकी हैं।
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कम किराये वाले ‘डार्क स्टोर’
उल्लेखनीय है कि देश की फटाफट सामान पहुंचाने वाली वाणिज्य इकाइयां वैश्विक रुझानों को पीछे छोड़ते हुए तेजी से आगे बढ़ी हैं। रिपोर्ट के अनुसार इन इकाइयों में तेज वृद्धि का कारण उच्च जनसंख्या घनत्व और कम किराये वाले ‘डार्क स्टोर’ यानी पूरी तरह से ऑनलाइन ऑर्डर को पूरा करने वाले खुदरा दुकानों के नेटवर्क तक करीबी पहुंच शामिल हैं। इस क्षेत्र ने कई कंपनियों को आकर्षित किया है, जिसने उपभोक्ता मूल्य प्रस्ताव को समृद्ध किया है। क्विक कॉमर्स ने 2022 में 54 लाख उपभोक्ताओं से शुरुआत की थी। 2024 तक यह संख्या 2.6 करोड़ तक पहुंच गई है। रिपोर्ट्स के अनुसार, 2030 तक इसके उपभोक्ताओं की संख्या 4 करोड़ से अधिक होने की संभावना है। यह तेज वृद्धि दर्शाती है कि भारत में शहरी और युवा उपभोक्ताओं के बीच क्विक कॉमर्स (Quick commerce) कितनी तेजी से लोकप्रिय हो रहा है।
बढ़ती प्रतिस्पर्धा का प्रबंधन करना जरूरी
वैसे फटाफट सामान पहुंचाने की सुविधा की शुरुआत किराने के सामान से हुई थी। लेकिन अब इसके सकल वस्तु मूल्य या जीएमवी का 15 से 20 प्रतिशत सामान्य वस्तुएं, मोबाइल फोन, इलेक्ट्रॉनिक्स और परिधान जैसी श्रेणियों से आता है। महानगरों के अलावा छोटे शहरों में विस्तार ने भी वृद्धि को गति दी है। हालांकि, अब भी जीएमवी का बड़ा हिस्सा शीर्ष छह महानगरों से आता है। रिपोर्ट में सुझाव दिया गया हालांकि, लाभदायक विकास को बनाए रखने के लिए, कंपनियों को प्रमुख महानगरों के अलावा अन्य बाजारों के लिए भी व्यापार मॉडल को अपनाना चाहिए, बढ़ती प्रतिस्पर्धा का प्रबंधन करना चाहिए और आपूर्ति श्रृंखलाओं को अनुकूलतम करना चाहिए। क्विक कॉमर्स (Quick commerce)की डिलीवरी पारंपरिक ई-कॉमर्स के मुकाबले महंगी होती है। इसके बावजूद, ऑर्डर्स की संख्या तेजी से बढ़ रही है। युवा उपभोक्ता वर्ग, जो अपनी व्यस्त दिनचर्या के चलते समय की बचत चाहता है, क्विक कॉमर्स सेवाओं का सबसे बड़ा ग्राहक है।
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तीसरा सबसे बड़ा खुदरा बाजार
भारत में 2025 में ऑनलाइन खरीदारी के रुख पर फ्लिपकार्ट-बेन की रिपोर्ट में कहा गया है कि देश पिछले एक दशक में खुदरा क्षेत्र में बड़ा केंद्र बन गया है और 2024 में वैश्विक स्तर पर तीसरा सबसे बड़ा खुदरा बाजार बन गया है। भारतीय ई-रिटेल बाजार का सकल वस्तु मूल्य लगभग 60 अरब डॉलर तक पहुंच गया है। इसके साथ यह ऑनलाइन खरीदारी के लिहाज से दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा केंद्र बन गया है। हालांकि, निजी खपत में कमी से 2024 में ई-रिटेल क्षेत्र में वृद्धि 20 प्रतिशत के ऐतिहासिक उच्चस्तर से 10 से 12 प्रतिशत पर आ गयी। लेकिन 2025 में त्योहारों के दौरान स्थिति बदलने की उम्मीद है।एक अनुमान के अनुसार ई-रिटेल खंड अगले छह साल में 18 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि के साथ 170 से 190 अरब डॉलर जीएमवी पर पहुंच सकता है।
शहरों में जगह की कमी और महंगे रियल एस्टेट के चलते क्विक कॉमर्स ब्रांड (Quick commerce) अब डार्क स्टोर्स को मॉर्डन अवतार देने की योजना बना रहे हैं। ये स्टोर्स न केवल स्टाफ के लिए आरामदायक होंगे, बल्कि डिलीवरी पार्टनर्स के लिए पार्किंग और अन्य सुविधाओं से भी लैस होंगे। रियल एस्टेट सेक्टर भी क्विक कॉमर्स की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए विशेष प्रोजेक्ट्स तैयार कर रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि 2030 तक क्विक कॉमर्स (Quick commerce) न केवल शहरी भारत में बल्कि छोटे शहरों में भी अपनी जड़ें जमा लेगा। इसके साथ ही, यह क्षेत्र नई नौकरियों और निवेश के अवसर भी पैदा करेगा। हालांकि, इसका सीधा असर पारंपरिक बाजार पर पड़ेगा, और छोटे व्यापारियों को इससे निपटने के लिए नई रणनीतियां अपनानी होंगी।