Digital Arrest – 78 साल के बुजर्ग ने 3.15 करोड़ गंवाए
Digital Arrest: उत्तर प्रदेश के नोएडा में सेक्टर 75 में स्थित गार्डेनिया गेटवे सोसाइटी में रहने वाले 78 वर्षीय पूर्व बैंकिंग और वित्त अधिकारी डिजिटल धोखाधड़ी के शिकार हो गए। उन्हें 15 दिनों तक डिजिटल अरेस्ट में रखा गया और 3.15 करोड़ ठग लिए गए। यह मामला 25 फरवरी से शुरू हुआ, जब उन्हें एक वीडियो कॉल आई। कॉल करने वाले ने खुद को भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (ट्राई) का अधिकारी बताया। जिस पर बुजुर्ग ने विश्वास कर लिया। कॉलर ने कहा कि मुंबई के कोलाबा में उनके नाम से पंजीकृत एक मोबाइल नंबर का अवैध गतिविधियों में उपयोग किया गया है, जिसके कारण उनके खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज किया गया है। इन गतिविधियों में हवाला लेनदेन शामिल था, जिसे जेट एयरवेज के पूर्व संस्थापक नरेश गोयल के खिलाफ चल रहे मनी लॉन्ड्रिंग केस से जोड़ा गया।
कॉलर ने कोलाबा पुलिस स्टेशन आने को कहा
शिकायतकर्ता ने बताया कि कॉलर ने उन्हें कोलाबा पुलिस स्टेशन आने के लिए कहा। जब उन्होंने बताया कि वह एक वरिष्ठ नागरिक हैं तो कॉलर ने कहा कि वह यह मामला ऑनलाइन ही संभाल लेंगे और अगले दिन उन्हें वीडियो कॉल के माध्यम से भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) के सामने पेश होना होगा। ईडी ने सितंबर 2023 में नरेश गोयल को मनी लॉन्ड्रिंग निवारण अधिनियम के तहत 538 करोड़ रूपये की धोखाधड़ी के मामले में गिरफ्तार किया था। तब से कई साइबर ठगी के मामले सामने आए हैं, जिनमें मुंबई में अप्रैल 2024 की घटना भी शामिल है, जहां जालसाजों ने गोयल के केस का हवाला देकर लोगों को ठगा।
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खुद को आईपीएस अधिकारी बताया
शिकायतकर्ता ने पहले भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) और फिर बीमा क्षेत्र में काम किया है। उन्होंने पुलिस को बताया कि अगले दिन दो व्यक्ति, एक खुद को आईपीएस अधिकारी विजय खन्ना और दूसरा सीबीआई अधिकारी राहुल गुप्ता बताकर उन्हें वीडियो कॉल पर मुख्य न्यायाधीश के सामने पेश करने के लिए आए। कॉल पर कोई न्यायाधीश नहीं था, बल्कि पीड़ित को बताया गया कि उनके बैंक खाते और एफडी को फ्रीज करने का आदेश जारी कर दिया गया है और उनका पैसा एक गुप्त निगरानी खाते में स्थानांतरित किया जाएगा।
25 फरवरी से 15 मार्च तक डिजिटल अरेस्ट में रहे
उन्होंने बताया कि कॉलर्स ने उनसे कहा कि इस पूरी प्रक्रिया की जानकारी किसी से साझा न करें, क्योंकि यह राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा मामला है। उन्होंने धमकी दी कि अगर मैंने किसी को बताया तो मुझे गिरफ्तार कर लिया जाएगा। मैं डर गया, क्योंकि मेरी देखभाल के लिए कोई नहीं है और मेरी पत्नी (71) भी अकेली हैं। कॉलर्स बार-बार कहते रहे कि यदि जांच में मेरी कोई संलिप्तता नहीं पाई गई तो पैसा वापस मेरे खाते में आ जाएगा। शिकायतकर्ता ने कुल 3.15 करोड़ एक दिए गए खाते में स्थानांतरित कर दिए। वह 25 फरवरी से 15 मार्च तक डिजिटल अरेस्ट में रहे। उनकी पत्नी भी घर पर थीं। 3 मार्च को दो और अधिकारी वीडियो कॉल पर आए और बताया कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश उनके पक्ष में आ गया है। तब तक ठग सारा पैसा ले चुके थे।
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सुप्रीम कोर्ट का जाली आदेश भेजा
शिकायतकर्ता ने कहा कि उन्होंने मुझे सुप्रीम कोर्ट का एक जाली आदेश भेजा, जिसमें कहा गया कि मेरी सारी संपत्ति वैध और निष्कलंक है। लेकिन, अब तक पैसे की वापसी नहीं हुई है। उनकी शिकायत पर अज्ञात लोगों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 308 (2) (जबरन वसूली), 319 (2) (छल द्वारा प्रतिरूपण), 318 (4) (धोखाधड़ी) और आईटी अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है। साइबर सेल की डीसीपी प्रीति यादव ने कहा कि पीड़ित डिजिटल अरेस्ट में अकेले थे। उनकी पत्नी ने डर के कारण किसी से मदद नहीं मांगी। हम पैसे को ट्रेस करने की कोशिश कर रहे हैं।