Tariff Steel-Aluminium : चीन-कोरिया को दिया झटका, भारत पर भी असर
Tariff Steel-Aluminium – अमेरिका ने सभी तरह के स्टील और एल्युमिनियम आयात पर 25 प्रतिशत शुल्क लगाने की घोषणा की है। अमेरिका के इस कदम से भारतीय स्टील और इस्पात निर्माताओं पर भी प्रभाव प्रभाव पड़ सकता है। हालांकि, भारत अमेरिका को प्रमुख धातुओं का बड़ा निर्यातक नहीं है। विशेषज्ञों का कहना है कि भारतीय निर्माताओं पर इसका प्रभाव तब पड़ेगा, यदि चीन और दक्षिण कोरिया जैसे देशों के अतिरिक्त उत्पादन को भारत जैसे बाजारों की ओर मोड़ा जाता है, जिससे भारतीय स्टील मिलों की मूल्य निर्धारण शक्ति और कमजोर हो सकती है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि वह कनाडा तथा मेक्सिको सहित इस्पात और एल्युमीनियम के सभी आयातों पर 25 प्रतिशत शुल्क लगाने जा रहे हैं। साथ ही इस सप्ताह के अंत में अन्य आयात शुल्क भी लगाए जाएंगे।
शीर्ष विदेश नीति एवं व्यापार अधिकारियों की बैठक
सुपर बाउल में हिस्सा लेने के लिए फ्लोरिडा से न्यू ऑरलियन्स जाते समय विमान ‘एयर फोर्स वन में उन्होंने कहा कि अमेरिका में आने वाले किसी भी इस्पात पर 25 प्रतिशत शुल्क लगेगा। एल्युमिनियम के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि एल्युमीनियम भी व्यापार दंड के अधीन होगा। ट्रंप ने पारस्परिक शुल्क की घोषणा करने की बात भी दोहराई, जिसका मतलब है कि अमेरिका उन उत्पादों पर आयात शुल्क लगाएगा जहां किसी अन्य देश ने अमेरिकी वस्तुओं पर शुल्क लगाया है। उन्होंने कहा कि यदि वे हमसे 130 प्रतिशत शुल्क ले रहे हैं और हम उनसे कुछ भी शुल्क नहीं ले रहे हैं तो अब यह स्थिति ऐसी नहीं रहेगी। इस बीच दक्षिण कोरिया के कार्यवाहक राष्ट्रपति चोई सांग-मोक ने देश के शीर्ष विदेश नीति एवं व्यापार अधिकारियों की बैठक बुलाई है, जिसमें इस बात पर गौर किया गया कि इस्पात और एल्युमीनियम पर ट्रंप के प्रस्तावित शुल्क से उनके उद्योगों पर क्या प्रभाव पड़ेगा।
4.8 अरब अमेरिकी डॉलर का इस्पात भेजा
दक्षिण कोरिया ने 2024 में जनवरी से नवंबर के बीच अमेरिका को करीब 4.8 अरब अमेरिकी डॉलर का इस्पात भेजा, जो इस अवधि के दौरान उसके वैश्विक निर्यात का 14 प्रतिशत था। अमेरिकी शुल्क के कारण स्टील क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और अन्य स्टील उत्पादक बाजारों में अधिक आपूर्ति होगी। इससे भारतीय स्टील उत्पादकों को अपने उत्पादों का निर्यात करने में अधिक चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। पिछले 12 महीनों में भारत में स्टील के अधिक आयात ने पहले ही स्टील उत्पादों की कीमतों और मुनाफे को कम कर दिया है। हालांकि,
जिन भारतीय कंपनियों की अमेरिका में उत्पादन इकाइयां हैं, वे इसका लाभ उठा सकती हैं। इसमें विशेष रूप से एल्युमिनियम बनाने वाली हिंडाल्को इंडस्ट्रीज की नोवेलिस प्रमुख है। नोवेलिस की अलबामा के बे मिनेट में बड़ी फैक्टरी है। वह अमेरिका और दक्षिण अमेरिका में पेय पदार्थों की पैकिंग सामग्री और ऑटोमोबाइल एवं एयरोस्पेस निर्माताओं की प्रमुख आपूर्तिकर्ता है। 1.5 मिलियन टन प्रति वर्ष क्षमता वाला जेएसडब्ल्यू स्टील भी टेक्सास और ओहायो में अपने संयत्रों से आयात पर उच्च शुल्कों से लाभ उठा सकता है।
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हिंडाल्को अब अपनी नोवेलिस के संचालन पर निर्भर
आदित्य बिड़ला समूह का हिस्सा हिंडाल्को अब अपनी नोवेलिस के संचालन पर बहुत अधिक निर्भर हो गया है। नोवेलिस ने 30 सितंबर, 2024 को समाप्त तिमाही में हिंडाल्को के मुनाफे में 60 प्रतिशत से अधिक योगदान दिया है। कुल मिलाकर इस शुल्क का वास्तविक प्रभाव मुख्य रूप से यूरोपीय स्टील निर्माताओं को महसूस हो सकता है, जो यूरोप में कम मांग और आपूर्ति की अधिकता से उबरने के लिए उत्तर अमेरिकी बाजार पर निर्भर हैं। भारत विशेष ग्रेड स्टील, स्टेनलेस स्टील और कुछ फ्लैट स्टील ग्रेड के लगभग 10 मिलियन टन तक अमेरिका को निर्यात कर सकता है।
जिंदल स्टेनलेस पर होगा असर
एक विश्लेषक ने कहा कि स्टेनलेस स्टील के उच्च स्तर के निर्यातों से जिंदल स्टेनलेस प्रभावित हो सकती हैं। कंपनी ने अमेरिकी कंपनी प्रॉक्टर एंड गैंबल के साथ साझेदारी की है, ताकि कंपनी के जिलेट ब्रांड के रेज़र के लिए विशेष स्टेनलेस स्टील उत्पाद आपूर्ति कर सके। कंपनी ने ट्रंप के कार्यकाल के दौरान विदेशी स्टील पर शुल्क की आशंका को देखते हुए जिंदल स्टेनलेस से पहले ही अपनी आपूर्ति बढ़ा दी थी। हालांकि अब उसे मुश्किल हो सकती है।