Karuna Pandey: ‘पुष्पा इम्पॉसिबल’ दृढ़संकल्पित महिला पुष्पा की कहानी
Karuna Pandey: सोनी सब का ‘पुष्पा इम्पॉसिबल’ एक दृढ़संकल्पित महिला पुष्पा (करुणा पांडे) की दिल छू लेने वाली कहानी बताता है, जो बिना उम्मीद खोए जीवन की चुनौतियों का सामना करती है। हालिया एपिसोड्स में, दर्शकों ने देखा कि बापोदरा चॉल के सदस्य अश्विन (नवीन पंडिता) के सबसे अच्छे दोस्त भास्कर (विक्रम मेहता) को खोने के गम से उबर रहे हैं। आगामी एपिसोड्स में, तनाव बढ़ जाता है क्योंकि मीडिया में प्रार्थना के मामले पर विधायक पाटिल (शारुख सदरी) और बापोदरा (जयेश भरभाया) की बातचीत की रिकॉर्डिंग लीक हो जाती है, जिस पर अपनी कार से भास्कर की बाइक को टक्कर मारने का आरोप लगाया गया है। मीडिया पुष्पा के परिवार पर बरसता है और मांग करता है कि बापोदरा और प्रार्थना एक प्रेस कॉन्फ्रेंस दें। हालांकि, प्रार्थना कॉन्फ्रेंस में सुन्न पड़ जाती है और कुछ भी नहीं बोल पाती है। उस वक्त उसका पति चिराग (दर्शन गुर्जर) उसके समर्थन के लिए सामने आता है।
अपराधबोध से ग्रस्त है प्रार्थना
प्रार्थना अपराधबोध से ग्रस्त है क्योंकि भास्कर की पत्नी आशावरी (मानसी जैन) ने उसे माफ नहीं किया है। अपने दिल पर अपराध बोध की चट्टान रखकर, पुष्पा ने उसे चिराग के बिना जूनागढ़ में उसके अंकल के घर भेजने का फैसला किया, ताकि वह अपने सदमे से उबर सकें। प्रार्थना की भूमिका निभाने वाली इंद्राक्षी कांजीलाल ने कहा, “जो कुछ भी हुआ उसके बाद प्रार्थना को मुश्किल दौर से गुज़रना पड़ रहा है। वह दुर्घटना के बाद भास्कर की मौत के लिए अपराधबोध महसूस करती है और सोचती है कि हर कोई उसके आसपास रहने से परेशान है।

इसलिए, वह कुछ समय के लिए कहीं और जाने का फैसला करती है और पुष्पा के जूनागढ़ जाने के विचार से सहमत होती है। वह अकेली नहीं रहना चाहती और इसलिए चाहती है कि उसका पति भी वहां जाए, हालांकि, उसकी सास पुष्पा तय करती है कि उसका अकेले जाना ही समझदारी भरा फैसला होगा। भले ही इससे प्रार्थना नाराज हो गई है, फिर भी वह आगे बढ़ने का फैसला करती है क्योंकि वह जानती है कि इससे सभी को मदद मिलेगी, जिसमें वह खुद भी शामिल है। यह मुश्किल निर्णय है, लेकिन उसे उम्मीद है कि इससे सबका भला होगा।”
हर एपिसोड खास और प्रभावशाली
पुष्पा का किरदार निभाने वाली करुणा पांडे ने कहा कि हर दिन मैं यहां से कुछ न कुछ सीखकर जाती हूं। कॉन्सेप्ट बहुत अच्छा है और जिस तरह से उसका चित्रांकन किया जा रहा है, वह भी बहुत अनूठा है। हमारे जो निर्देशक हैं प्रदीप यादव, वे एक्टर की प्रतिभा और दृश्य की आत्मा पर बहुत ज्यादा ध्यान देते हैं। यही वजह है कि इसका हर एपिसोड इतना खास और प्रभावशाली बन पा रहा है। जो भी आप हर दिन देखते हैं, उसमें इन दोनों का बहुत बड़ा योगदान है। पुष्पा की जो मासूमियत है, वो मुझे सबसे ज्यादा अपील करती है। उसके चरित्र की सच्चाई, जो आज के समय में बहुत दुर्लभ है, वह बहुत खूबसूरत है। भोलापन, एक सच्चा मन बहुत प्रेरित करता है। सिंगल मदर और टॉक्सिक रिश्ते जैसे बहुत गंभीर मुद्दों को इसमें उठाया गया है. ये सब इंसानी भाव हैं। करुणा होने के नाते भी मैं उन भावों को महसूस तो कर ही सकती हूं, चाहें वह ममत्व है, किसी भी रूप में, किसी भी शक्ल में वह बाहर आती ही है। ये सारे भाव प्रेम और सद्भाव आपके अंदर ही होते हैं। उन्हीं को हम जी रहे होते हैं।
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आसपास के जीवन को समझता है कलाकार
एक कलाकार अपने आसपास के जीवन को समझ ही सकता है। किसी व्यक्ति का आपके जीवन से दूर चले जाना या उसका अच्छा न निकलना, ये सब कहीं न कहीं तो घटित होता ही है। बाकी लोग भी आपकी मदद करते ही हैं, इन सबको पर्दे पर संजीदगी से प्रस्तुत करने में। उन्होंने कहा कि शिक्षा एक जरूरी मुद्दा है। हर व्यक्ति को शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार है। फिर चाहें वह किसी भी उम्र का हो, सावित्री बाई फुले ने भी शिक्षा के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इसी तरह राधा काकू भी एक मजबूत स्त्री पात्र हैं, जो हमेशा पुष्पा को मजबूत रहने, आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती हैं। हमने बार-बार इस पर बात की, कि शिक्षा कितनी महत्वपूर्ण है। इसलिए पुष्पा आगे पढ़ने का फैसला करती है। पहले बच्चों की तरफ से विरोध होता ह, लेकिन बाद में वे भी मान जाते हैं। इसी के साथ हमने इस बात को भी समझा कि शिक्षा केवल स्कूलों और कॉलेजों तक ही सीमित नहीं है।
किसी से भी ले सकते हैं ज्ञान
ज्ञान आप कहीं से भी, किसी से भी ले सकते हैं। एक कलाकार के तौर पर ये मेरा सौभाग्य है कि मुझे एक ऐसा विषय मिला है, जिसके माध्यम से मैं लोगों को शिक्षा के बारे में जागरुक कर सकती हूं। यह अनुभव इतना शानदार रहा कि मुझे फिर से अपने स्कूल के दिन याद आ गए। 97 में मैंने 12वीं पास की थी, वो सब कुछ जो पीछे छूट गया था, अब फिर से याद किया, दोहराया। एक मां जो सब कुछ छोड़ चुकी थी, परिवार को संभालने में, वह फिर से अपना शिक्षा का सपना पूरा कर पाती है। उसका व्यक्तित्व ऐसा है कि वह खुद को भी उतनी ही महत्ता देती है, जितनी बच्चों को।
यह उसके चरित्र का एक बड़ा हिस्सा है कि वह खुद को नहीं भूलती, इतनी तकलीफों के बावजूद। चाहें कितनी भी परेशानियां आएं, वे अपने जीवन के छोटे-छोटे पलों को चुरा लेती है। चाहें क्रिकेट खेलना हो, गाना गाना हो, अंताक्षरी खेलना हो, वो अपना जीवन जीती है। पुष्पा ही नहीं, करुणा होते हुए भी बहुत पहले से यह मानती हूं कि मां, मां होने से पहले एक व्यक्ति भी है। जब तक आप अपना ध्यान नहीं रखेंगी, खुद को नरिश नहीं करेंगी, तब तक आप अपने परिवार के लिए भी कुछ नहीं कर पाएंगी। चाहें आप कितना भी अपने को पुश कर लें, अगर आप दुखी रहेंगे, तो दूसरों तक आप क्या पहुंचाएंगे। पुष्पा इम्पॉसिबल देखते रहें, हर सोमवार से शनिवार रात 9:30 बजे, केवल सोनी सब पर।
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