Star And Producer: रिश्ते महज फिल्मों की सफलता तक ही मजबूत रहे
Star And Producer: बॉलीवुड में सितारों और निर्माताओं की दोस्ती कभी भी दोस्ती नहीं, बिजनेस फॉर्मूला ही रही है। अमिताभ बच्चन, मनमोहन देसाई या अमिताभ बच्चन, प्रकाश मेहरा के तमाम मजबूत रिश्ते महज फिल्मों की सफलता तक ही मजबूत थे। कई बार जब फिल्में नहीं चलीं और निर्माता उनकी फीस नहीं अदा कर पाये तो एवज में उन्होंने सुपरस्टार को मुंबई स्थित अपने बंगले ऑफर किए और सुपरस्टार ने जरा भी संकोच किए बिना उनके बंगलों पर कब्जा कर लिया।
अगर देखा जाए तो सुपरस्टार नामक प्राणी को कुछ लालची निर्माताओं ने ही अकेले सारी कमाई कर लेने के इरादे से हवा में चढ़ाया है। बेसिर पैर की फॉर्मूला फिल्में अमिताभ बच्चन से लेकर सलमान खान तक की हिट होती रहीं और प्रोड्यूसर मालामाल होते रहे तो उन्होंने भी उनकी कीमत कल्पनीय कर दी। जहां पहले दो-चार करोड़ में फिल्में बन जाती थीं, इस सदी के दूसरे दशक तक आते-आते सितारों की फीस ही 20-20 करोड़ होने लगी।
तमाम क्रिएटिव निर्माता बाहर हो गए
अब ऐसे में ये रिश्ते या कामयाबी का यह गणित कब तक चलता। हां, बॉलीवुड का एक नुकसान इन लालची निर्माताओं ने यह किया कि तमाम क्रिएटिव निर्माता उनकी वजह से इंडस्ट्री से ही बाहर हो गए क्योंकि उनके पास दर्शकों के बीच लोकप्रिय सितारों को साइन करने के लिए कभी पर्याप्त पैसे ही नहीं थे। नतीजा यह निकला कि वे या तो कुंठित हो गए या ऐसी फिल्में बनाईं जिनमें से ज्यादातर डिब्बे में बंद रहीं। सिर्फ अनुराग कश्यप जैसे कुछ निर्माता जो जबरदस्त निर्देशक भी थे और एकता कपूर जैसी निर्माता जिनके पास अंधाधुंध पैसे थे, वही कामयाबी के साथ टिकी रह सकीं। इनके अलावा करण जौहर और आदित्य चोपड़ा अपनी शानदार लिगेसी तथा बड़ा और भव्य सोचने के कारण अपनी जगह पर रह सके। यही बात संजय लीला भंसाली पर भी लागू होती है।
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धोखाधड़ी की वारदातें सार्वजनिक
हाल के सालों में जिस तरह से कई बड़े सितारों और निर्माताओं के बीच धोखाधड़ी की जो वारदातें सार्वजनिक रूप से आपस में तू-तू करते हुए बाहर आयी हैं, वे इस बात का सबूत हैं कि निर्माताओं और सितारों के बीच दूरी बढ़ती जा रही है। फिल्म निर्माता सुनील दर्शन और सौरव गुप्ता ने सनी देओल पर न सिर्फ धोखाधड़ी करने का आरोप लगाया बल्कि सौरव गुप्ता ने तो यह भी कहा कि सनी देओल ने उनके साथ काम करने के नाम पर करोड़ों रुपये ठग लिए हैं।
अब साथ काम करने को भी तैयार नहीं हैं। पहले समझा जा रहा था कि शायद आमतौर पर चुप रहने वाले सनी देओल से सौरव गुप्ता ही किसी किस्म का षड्यंत्र कर रहे हैं लेकिन उन पर ऐसी ही फर्जीगिरी का आरोप फिल्ममेकर सुनील दर्शन ने भी लगाया है। पिछले दिनों सौरव गुप्ता की तरह सुनील दर्शन ने भी प्रेस कॉन्फ्रेंस करके पत्रकारों को बताया कि सनी देओल ने उनकी फिल्म अजय (1996) के ओवरसीज डिस्ट्रीब्यूशन के राइट लिए थे और केवल आधा पैसा भुगतान किया, बाकी बचा पैसा बार-बार मांगने के बाद भी वापस नहीं किया।
कई और निर्माताओं ने एक एग्रीमेंट साइन किया है जिसमें लिखा है कि सनी देओल इस तरह की परेशानी खड़े करते आ रहे हैं। एक निर्माता का आरोप है कि 5 करोड़ पर फिल्म साइन करने के बाद भी वह मुंबई में लगाये गए उसके बड़े सेट पर कभी आये ही नहीं और फीस 5 करोड़ की जगह 25 मांगने लगे क्योंकि 2023 में उनकी फिल्म गदर-2 ब्लॉकबस्टर हो गई थी। इसलिए उन्होंने अपनी फीस खुद ही 500 फीसदी बढ़ा ली है। सनी देओल अकेले प्रोड्यूसरों की नजर में विलेन नहीं हैं।
दर्शक भी आज कहीं ज्यादा मेच्योर हो गए
पिछले कुछ सालों से बॉलीवुड में लगातार निर्माताओं और सितारों के बीच के रिश्ते खट्टे होते जा रहे हैं। दरअसल, एक जमाने में जब बड़े पैमाने पर बॉलीवुड में रियल सेक्टर के उद्योगपति यह सोचकर आते थे कि चल रहे फॉर्मूले पर वह किसी सितारे को लेकर अपनी फिल्म बनाएंगे और देखते ही देखते पैसे बरसने लगेंगे लेकिन कुछ परिस्थितियों ने इस तरह खलल डाला कि रातोरात न सिर्फ कामकाज के तौर-तरीके बदले बल्कि दर्शक भी आज कहीं ज्यादा मेच्योर हो गए हैं जिस कारण अब फॉर्मूला फिल्में धड़ाधड़ पिटने लगी हैं।
इसलिए बिल्डिंगें बनाकर पैसा कमाने वाले जो निर्माता उससे जल्दी और आसानी से फिल्म बनाकर ज्यादा पैसा कमाने की सोच रहे थे, उनकी सोच गड़बड़ा गई। तेजी से ऐसे निर्माता सामने आने लगे जो न सिर्फ सोचने, समझने वाले बल्कि खुद शानदार अभिनेता भी थे। मसलन फरहान अख्तर जो एक जमाने में रितेश सिद्धवानी के साथ अपनी कंपनी खड़ी की थी और फिर कई शानदार और कामयाब फिल्में बनाकर ‘भाग मिल्खा भाग’ में शानदार अभिनय भी कर डाला।
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एक्टिंग से ज्यादा प्रोडक्शन के लिए जाने गए आमिर खान
आमिर खान ने भी हाल के सालों में एक्टिंग से ज्यादा अपने प्रोडक्शन के लिए जाने गए। चाहे ‘लगान’ रही हो, ‘दंगल’ रही हो, ‘तारे जमीं पर’ रही हो या ‘सीक्रेट सुपरस्टार’, इन सब फिल्मों ने जबरदस्त बिजनेस किया। जिनमें आमिर ने अभिनय किया, उनका अभिनय भी खूब पसंद किया गया। अब उन्हें बाहर के प्रोड्यूसर चाहकर भी अपने प्रोजेक्ट में शामिल नहीं कर पाते क्योंकि वे इतने पैसे मांगते हैं कि छोटे-मोटे निर्माता उन्हें साइन करने की सोच ही नहीं सकते लेकिन जो दूसरी लाइन के प्रोड्यूसर हैं, उनकी और सितारों के बीच जबरदस्त टसलिंग देखने को मिल रही है।
इसके पीछे कोई सैद्धांतिक कारण नहीं बल्कि रातोरात तेजी से पैसा कमाने की कोशिशों के बाद भी पैसा न कमा पाने की खीझ है। दरअसल दर्शक कोरोना के बाद तेजी से बदल गए हैं। उन्हें बेसिर पैर का मनोरंजन भी चाहिए तो वह भी बहुत हाई ड्रामा और ग्रैविटी के साथ। यही कारण है कि पिछली दीवाली से इस साल की होली तक बॉलीवुड की रिलीज हुई 57 फिल्मों में से सिर्फ रणवीर कपूर की फिल्म ‘एनीमल’ ही ब्लॉकबस्टर साबित हुई। बाकी दो-चार फिल्में अपना बजट वसूल पायीं जबकि ज्यादातर फिल्में धड़ाम साबित हुईं। कारण यही है कि प्रोड्यूसर फॉर्मूला फिल्में बनाकर रातोरात पैसा कमाना चाहते हैं और नये अभिनेता किसी सुपरहिट फिल्म की नकल करके वैसी ही एक्टिंग करके रातोरात छा जाना चाहते हैं।
निर्माताओं से मनपसंद फीस नहीं पा रहे सितारे
बदले हुए फिल्म प्रदर्शन के माध्यमों और सोशल मीडिया में हर समय मिल रहे नये से नये मनोरंजन के कारण अब आम दर्शक भी न तो निर्माताओं की और न ही सितारों की योजनाओं को सही साबित होने दे रहे हैं। इस कारण एक तरफ जहां निर्माताओं और सितारों के बीच झगड़े बढ़ रहे हैं, मनमुटाव हो रहे हैं, सितारे इन निर्माताओं से मनपसंद फीस नहीं पा रहे, जिससे उनकी वह हाई इमेज नहीं बन रही, जो उनके सपनों में दिन-रात उन्हें परेशान कर रही है तो दूसरी तरफ प्रोड्यूसर भी परेशान हैं कि वे जितना आसान समझ रहे थे फिल्म इंडस्ट्री से पैसा कमाना, उतना आसान साबित नहीं हो रहा।
बॉलीवुड में काफी चर्चित रहीं अभिनेत्री ऋचा चड्ढा का इन दिनों अपने कई प्रोड्यूसर्स से छत्तीस का आंकड़ा चल रहा है। वजह; न तो निर्माताओं की उनसे जबरदस्त उम्मीद लगायी गई फिल्में चल रही हैं और न ही निर्माता ऋचा चड्ढा को वह फीस दे रहे हैं जो फीस उन्हें बॉलीवुड की टॉप हीरोइनों के आसपास ले जाए। इससे दोनों एक-दूसरे से चिढ़े हुए हैं। ऋचा चड्ढा का आरोप है कि उनके पास आने वाले ज्यादातर प्रोड्यूसर खासकर महिला प्रोड्यूसर रातोरात पैसा तो खूब कमाना चाहती हैं लेकिन उनके पास कोई ढंग की स्क्रिप्ट ही नहीं होती।
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