Sensex-Nifty : सेंसेक्स-निफ्टी के साथ मिडकैप और स्मॉलकैप में भी सुधार
Sensex-Nifty – देश के रिटेल निवेशकों के हितों को ताक पर रख विदेशी फंडों को फायदा पहुंचाने वाली विवादग्रस्त माधवी पुरी बुच की ‘सेबी’ के अध्यक्ष पद से विदाई और पूर्व केंद्रीय वित्त सचिव आईएएस तुहिन कांत पांडेय को ‘सेबी’ की कमान देने के साथ ही भारतीय शेयर बाजार में मंदी का दबाव कम होने लगा है। नए सेबी प्रमुख पांडेय ने निवेशकों का भरोसा बढ़ाने और नियमों में सरलता लाने की बात कही है। इससे पिछले 5 महीनों से भयंकर मंदी की मार झेल रहे करोड़ों रिटेल निवेशकों को कुछ राहत मिली है।
मुख्य शेयर बेंचमार्क में बढ़त
पिछले कारोबारी दिनों में जिस तरह से विभिन्न क्षेत्रों की अग्रणी कंपनियों के शेयरों में निचले स्तरों पर अच्छी लिवाली देखी गयी और चारों मुख्य शेयर बेंचमार्क में जो बढ़त आई और साथ ही विदेशी निवेशकों की बिकवाली का दबाव कम हुआ। उसे देख कर यह ठोस संकेत मिल रहे हैं कि भारतीय बाजार में अब मंदी का दौर समाप्त होने को है। मुख्य बेंचमार्क बीएसई सेंसेक्स 4 मार्च को 72,633 अंक के निचले स्तर तक गिरने के बाद अब 73,829 अंक पर है।
इसी तरह एनएसई का निफ्टी भी 21,964 अंक तक गिरने के बाद 22,397 अंक पर आ गया है। खास बात यह है कि सेंसेक्स ने अपना महत्वपूर्ण समर्थन स्तर 72,080 और निफ्टी ने 21,885 अंक नहीं तोड़ा है, ये स्तर 4 जून 2024 को बने थे। बाजार में और मंदी की आशंका के बावजूद सेंसेक्स-निफ्टी के साथ-साथ मिडकैप और स्मॉलकैप में भी तेज सुधार आया है।
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5 प्रतिशत का सुधार
बाजार का व्यापक रूख दर्शाने वाला बीएसई स्मॉलकैप, जिसमें 938 कंपनियों के शेयर शामिल हैं, नीचे में 41,709 अंक तक गिरने के बाद अब 43,845 अंक पर आ गया है। यानी 5 प्रतिशत का सुधार। इसी तरह बीएसई मिडकैप इंडेक्स नीचे में 37,832 अंक तक गिरने के बाद अब 39,063 अंक पर आ गया है। यानी 3।25 प्रतिशत की बढ़त दर्ज हुई है। हालांकि अभी पूरी तरह से तो यह नहीं कहा जा सकता कि मंदी खत्म हो गयी है, लेकिन जो स्थिति बनी है, उसको देख कर यह अवश्य कहा जा सकता है कि अब यदि सेंसेक्स फिर गिरता भी है तो 72,000 का स्तर टूटने की आशंका बहुत कम होगी। इस स्तर के आसपास बाजार की वैल्यूएशन काफी आकर्षक होगी। जिससे फिर तेज रिकवरी के आसार बन सकते हैं।
कई फैक्टर पॉजिटिव हो गए
शेयर बाजार में तेजी-मंदी कभी बताकर नहीं आती है। तेजी के समय और तेजी आने की उम्मीद होती है जबकि मंदी के समय और मंदी का डर बना रहता है। अब भी मंदी का डर बना हुआ है। लेकिन गौर करने वाली बात यह है कि अब कई फैक्टर पॉजिटिव हो गए हैं।
पहला फैक्टर : अमेरिकी बाजारों के साथ-साथ बॉन्ड यील्ड और डॉलर इंडेक्स में गिरावट का रूख बन गया है।
दूसरा फैक्टर : भारतीय बाजार में भारी गिरावट के बाद वैल्यूएशन आकर्षक हो गई है। इससे अमेरिका में इन्वेस्टमेंट फ्लो कम होगा और भारत में बढ़ने की उम्मीद होगी।
तीसरा फैक्टर : कच्चा तेल 70 डॉलर के नीचे आना, जो भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए बिग पॉजिटिव है। कच्चा तेल सस्ता होने से कई निर्माण उद्योगों की लागत घटेगी और मुनाफा बढ़ेगा। चिंता सिर्फ टैरिफ वार की है। लेकिन इतिहास गवाह है कि कोई भी डर कुछ दिन ही निवेशकों को चिंतित करता है, कुछ दिन बाद उसका असर कम हो जाता है। अब अमेरिका के टैरिफ वार के डर का प्रभाव भी कम होने लगा है। लिहाजा बाजार में अब अच्छे शेयरों में मीडियम टर्म के लिए निवेश का सही मौका दिख रहा है।
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बाजार में उल्टे-सीधे नियम थोप दिए
पिछले 5 महीनों में बाजार में जो भंयकर मंदी आई, वैसे तो उसके कई कारण हैं, लेकिन सबसे बड़ा कारण है माधबी पुरी के रिटेल निवेशक अहितकारी कदम। सेबी प्रमुख के रूप में माधबी पुरी बुच ने रिटेल निवेशकों को नुकसान से बचाने के नाम पर बाजार में उल्टे-सीधे नियम थोप दिए। परंतु अधिकांश शेयरों में आई 30 से 70 प्रतिशत की अप्रत्याशित भयंकर मंदी ने रिटेल निवेशकों को ही बर्बादी के कगार पर पहुंचा दिया। लालची मर्चेंट बैंकर, प्रमोटर और विदेशी फंडों को पूरी छूट दी गयी। इस कार्टेल ने पिछले एक साल में अनेक महंगे आईपीओ लाकर देश के लाखों रिटेल निवेशकों को जमकर लूटा।
जिनमें ओला, स्विगी, वन मोबिक्विक जैसी कई भारी घाटे वाली कंपनियां भी शामिल हैं। पिछले एक साल में 340 कंपनियों के आईपीओ लाकर 2.20 ट्रिलियन रुपये बाजार से बटोर लिए गए। अब इनमें से अधिकांश के शेयर भाव आधे हो गए हैं। यह खुलेआम लूट सेबी प्रमुख माधबी और अन्य अधिकारियों की ‘अनुमति’ से हुई, लेकिन अफसोस इस गंभीर मुद्दे पर सभी खामोश हैं। अब नए सेबी प्रमुख पांडेय से उम्मीद है कि वे इस लूट पर अंकुश लगाएंगे।