Effect of Increasing Age: मस्तिष्क की परतों और सेरेब्रल कॉर्टेक्स में तनाव
जैसे हमारी त्वचा का लचीलापन और दृढ़ता समय के साथ खत्म होने लगती है, उसी तरह उम्र बढ़ने के साथ हमारा दिमाग भी शिथिल होना शुरू हो जाता है। यह शोधकर्ताओं का कहना है। एक हाल के अध्ययन में पता चला है कि मनुष्य की उम्र, मस्तिष्क की परतों और सेरेब्रल कॉर्टेक्स में तनाव- हमारे दिमाग के बाह्य परत के न्यूरल ऊतक में कमी दिखाई देने लगती है। प्रारंभिक अनुसंधान से पता चलता है कि स्तनधारी प्रजातियों के कॉर्टेक्स में तह बनना एक सर्वव्यापक नियम है- यह आकार और आकृति में एक समान होते हैं। ब्रिटेन के न्यू कैसल विश्वविद्यालय के प्रमुख लेखक युजियांग वांग ने कहा, हम इस नियम का प्रयोग मानव मस्तिष्क में परिवर्तन का अध्ययन के लिए कर सकते हैं।
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बीमारी का शुरुआती संकेत
शोधकर्ताओं ने कहा कि हालांकि इसका प्रभाव ज्यादा अल्जाइमर रोग के व्यक्तियों में पाया गया है। वांग ने कहा, अल्जाइमर रोग में यह प्रभाव शुरुआती आयु में देखा गया है और अधिक स्पष्ट होता है। इसके अलगे चरण में तहों में बदलाव को देखना शामिल है, जो इस बीमारी का शुरुआती संकेत देता है। अध्ययन में यह भी पता चला है कि पुरुष और महिलाओं के मस्तिष्क में आकार और सतह क्षेत्र और तह की डिग्री में अंतर होता है। शोधकर्ताओं का कहना है कि वास्तव में, महिलाओं का मस्तिष्क समान उम्र के पुरुषों की तुलना में थोड़ा कम तह (मुड़ा) होता है। इसके बावजूद महिलाओं और पुरुष के मस्तिष्क एक ही तरह के नियम का पालन करते हैं।
शोधकर्ताओं ने कहा कि अध्ययन में मस्तिष्क के अंतर्निहित क्रियाविधि पर प्रकाश डाला गया है जो दिमाग के तहों पर प्रभाव डालता है। इसका इस्तेमाल भविष्य में मस्तिष्क रोगों की पहचान के लिए किया जा सकेगा।
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एक्टिव रखेगा योग
बुजुर्गों के लिए शरीर को ऊर्जावान और सक्रिय बनाए रखना बहुत मुश्किल होता है। लेकिन मार्जरासन जैसे सरल योगासन का प्रत्येक दिन अभ्यास करने से शरीर में स्फूर्ति बनी रहती है। इस आसन से पाचनतंत्र मजबूत होता है जिससे पेट की बीमारियां जैसे- कब्ज, एसिडिटी आदि नहीं होती हैं।
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विधि
टेबल मुद्रा के समान हथेलियों और घुटनों पर शरीर को स्थापित कर दीजिए। इस अवस्था में कलाई, कंधे के नीचे और घुटने हिप्स के नीचे होने चाहिए। इसके बाद हथेलियों को फैलाइए, इस क्रिया में मध्यमा (पांचों उंगलियों के बीच की उंगली) को एकदम सीधा रखिए। मेरुदंड (पीठ की हड्डी), गर्दन और सिर को एक सीध में रखिए। इस अवस्था में मेरुदंड को बिलकुल भी झुकाना नहीं चाहिए। इस आसन क्रिया में शरीर का पूरा भार हथेलियों और घुटनों पर एक समान रूप से डालिए। हिप्स को अंदर की ओर लीजिए और कमर को छत के ऊपर की तरफ उठाइए।
इसके बाद ठुड्डी को सीने से लगाइए। गहरी सांस अंदर खींचते हुए पेट को नीचे की तरफ ले आकर कमर को ऊपर की ओर ले जाइए। सिर को छत की दिशा में उठाते हुए सामने की तरफ देखिए। इस मुद्रा को कम से कम 5-7 बार दोहराइए। आसन के दौरान हड्डियों में पूरा खिंचाव हो, इस बात का पूरा ध्यान रखना चाहिए। इस अवस्था में शरीर के पिछले भाग में दबाव नहीं हो, इसका ख्याल रखना चाहिए। जब कमर को उठा रहे हों और पीठ को घुमा रहे हों तब उस समय कंधे तनावरहित होने चाहिए।
नोट – कमर में किसी प्रकार की कोई भी परेशानी हो। घुटनों एवं कलाइयों में मोच अथवा दर्द की स्थिति में भी इस आसन का अभ्यास नहीं करना चाहिए। इस आसन को करते समय शरीर को जितना सहज और लचीला बनाएंगे, उतना ही अच्छा होगा।
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