Caste Census – राजनीतिक कीमत चुकाने के लिए तैयार राहुल गांधी
Caste Census: लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने एक बार फिर देशभर में जातिगत जनगणना कराने की मांग दोहराई है। उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में संविधान सम्मान सम्मेलन और उसके बाद एक एक्स पोस्ट में उन्होंने कहा कि वह जिस जाति जनगणना की मांग कर रहे हैं वह सीधे तौर पर देश के संविधान की रक्षा से जुड़ी है। उन्होंने जोर देकर कहा कि जाति जनगणना होकर रहेगी। साथ ही कहा कि जाति जनगणना उनका मिशन है और इसके लिए वो राजनीतिक कीमत चुकाने के लिए भी तैयार है।
संख्या का पता लगाना जरूरी
लोकसभा में विपक्ष के नेता ने सम्मेलन के दौरान कहा, ‘‘कांग्रेस के लिए जातिगत जनगणना नीति निर्माण की बुनियाद है।” उन्होंने कहा, “नब्बे प्रतिशत लोग इस व्यवस्था से बाहर बैठे हुए हैं। उनके पास हुनर और ज्ञान है, लेकिन उनका इस व्यवस्था से कोई जुड़ाव नहीं है। यही वजह है कि हमने जाति जनगणना की मांग उठाई है।” उन्होंने जोर दिया कि समाज के विभिन्न तबकों की भागीदारी सुनिश्चित करने से पहले उनकी संख्या का पता लगाना जरूरी है। कांग्रेस के लिए जाति जनगणना, नीति निर्माण का आधार है। यह नीति निर्माण का उपकरण है। हम बिना जाति जनगणना के भारत की वास्तविकता के बारे में नीतियां नहीं बना सकते। उन्होंने कहा, “जिस तरह से हमारा संविधान मार्गदर्शक है और इस पर हर दिन हमला किया जा रहा है, इसी तरह जाति जनगणना, सामाजिक आर्थिक सर्वेक्षण है, एक संस्थागत सर्वेक्षण है और हमारा दूसरा मार्गदर्शक होगा। हम आंकड़े चाहते हैं। कितने दलित, ओबीसी, आदिवासी, महिलाएं, अल्पसंख्यक, सामान्य जातियां हैं। हम जाति जनगणना की इस मांग के जरिए संविधान की रक्षा करने का प्रयास कर रहे हैं।
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यह विचारधारा की लड़ाई
गांधी ने कहा कि जो लोग समझते हैं कि जाति जनगणना रोकी जा सकती है या आरक्षण पर 50 प्रतिशत की सीमा नहीं बढ़ाई जा सकती, वे सपने देख रहे हैं। उन्होंने कहा, “यह निश्चित तौर पर होगा, यह नहीं रुक सकता। ना तो जाति जनगणना और ना ही आर्थिक सर्वेक्षण या संस्थागत सर्वेक्षण रोका जा सकता है और 50 प्रतिशत की सीमा भी हटेगी। यह सभी होगा। केंद्र की सत्तारूढ़ भाजपा पर निशाना साधते हुए गांधी ने कहा कि 2004 में जब से वह राजनीति में आए हैं, तब से उन्हें भाजपा नेताओं द्वारा परेशान किया जाता रहा। उन्होंने कहा, “मैंने उन्हें (भाजपा नेताओं) को अपना गुरु माना जिन्होंने मुझे सिखाया कि क्या ना करें। यह भाजपा के साथ एक विचारधारा की लड़ाई है और यह जारी रहेगी।”
समाज का एक्स-रे सामने आ जाएगा
बाद में सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कांग्रेस नेता ने कहा, “जातिगत जनगणना सामाजिक न्याय के लिए नीतिगत ढांचा तैयार करने का आधार है। संविधान हर एक भारतीय को न्याय और बराबरी का अधिकार देता है, लेकिन कड़वी सच्चाई है कि देश की जनसंख्या के 90 प्रतिशत के लिए न तो अवसर हैं और न ही तरक्की में उनकी भागीदारी है।” 90 फीसदी बहुजन – दलित, आदिवासी, ओबीसी, अल्पसंख्यक और गरीब सामान्य वर्ग के वो मेहनतकश और हुनरमंद लोग हैं जिनके अवसरों से वंचित होने के कारण देश की क्षमता का पूरा उपयोग नहीं हो पा रहा है। ये स्थिति वैसी ही है जैसे 10 सिलेंडर के इंजन को सिर्फ एक सिलेंडर से चलाया जाए और नौ का प्रयोग ही न किया जाए।” जातिगत जनगणना से सिर्फ जनसंख्या की गिनती भर नहीं होगी, समाज का एक्स-रे भी सामने आ जाएगा तथा ये पता चल जायेगा कि देश के संसाधनों का वितरण कैसा है और कौन से वर्ग हैं जो प्रतिनिधित्व में पीछे छूट गए हैं।
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